भारत के गुजरात राज्ये में स्थित “गिरनार पर्वत” को बहुत अधिक पवित्र तीर्थस्थान माना जाता है। यह स्थान हिन्दुओ और जैनो दोनों के लिए बहुत अधिक पवित्र और प्राचीन है। गिरनार कुछ पहाड़ियों के समूह को कहा जाता है और इन पहाड़ियों पर बहुत से प्राचीन जैन और हिन्दू मंदिर बने हुए हैं। यहां तक पहुंचने के लिए आपको 10000 (दस हजार) सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।
इस ब्लॉग में हम गिरनार से जुड़ी हुयी सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे। जैसे गिरनार पर्वत कहाँ है?, गिरनार पर्वत का इतिहास, गिरनार पर्वत की कहानी, गिरनार कैसे पहुंचे आदि इन सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे। तो आईये जानते हैं गिरनार से जुड़ी हुयी सभी जानकारियों को…
विषय सूची
शार्ट जानकारी
जगह | गिरनार पर्वत |
पता | जूनागढ़ गुजरात |
प्रसिद्ध | जैन धर्म के 22 वें तीर्थकर नेमिनाथ मंदिर और हिन्दू मंदिर अम्बा माता और भावनाथ महादेव मंदिर |
ट्रेक | 10000 (दस हजार) सीढ़ियां |
बेस्ट टाइम | सितम्बर से फरवरी |
निकट रेलवे स्टेशन | जूनागढ़ रेलवे और राजकोट रेलवे स्टेशन गुजरात |
निकट एयरपोर्ट | राजकोट एयरपोर्ट गुजरात |
गिरनार पर्वत कहाँ है?
गिरनार भारत के गुजरात राज्ये के सौराष्ट प्रान्त के जूनागढ़ में स्थित कुछ पहाड़ियों का समूह है। यह जूनागढ़ के मुख्य शहर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गिरनार की पांचवी छोटी जिसे “नेमिशिखर” के नाम से जाना जाता है। इसके बारे में कहा जाता है की यहां जैन धर्म के 22 वें तीर्थकर नेमिनाथ को मोक्ष प्राप्त हुआ था।
गिरनार पर्वत का इतिहास
गिरनार का इतिहास बहुत ही पुराना और सुन्दर है। यहाँ पर जैन धर्म के 22 वें तीर्थकर नेमिनाथ को मोक्ष प्राप्त हुआ था इसकी पांचवी चोटी को नेमिशिखर के नाम से जाना जाता है। गिरनार का प्राचीन नाम ऊर्ज्ज्यांत था। गिरनार की पहाड़ियां पर प्राचीन राजाओ द्वारा किये गए मंदिरो के निर्माण का वर्णन शिलालेखों में आज भी मौजूद है।
गिरनार पर्वत की पहाड़ी पर अशोक के 14 धर्मलेख चन्द्रगुप्त मौर्या और बहुत से राजाओ द्वारा बनाये गए मंदिरो का उल्लेख आज भी हमे मिलता है। यहाँ आपको शिलालेखों पर 150 ईस्वी तक के अभिलेख लिखे हुए मिलते हैं। गिरनार में अभी भी बहुत सी ऐतिहासिक और प्रचीन शिलालेख और मंदिर मौजूद हैं जो वक़्त के साथ टूटते जा रहे हैं। यह पहाड़ी जितनी प्राचीन और ऐतिहासिक हैं उतनी ही धार्मिक और आस्था से जुड़ी हुयी भी है।
गिरनार पर्वत दर्शन
गिरनार पर्वत पर पांच चोटी हैं जिसमे सबसे पहली चोटी पर नेमिनाथ जी का मंदिर उसके बाद आप अम्बा माता के मंदिर के दर्शन करते हैं। इस चोटी को नेमिशिखर के नाम से जाना जाता है। उसके बाद दूसरी चोटी को गोरखनाथ शिखर के नाम से जानी जाती है जो गिरनार की सबसे ऊँची चोटी है और यहाँ गोरखनाथ जी की चरण पादुका रखी हुयी हैं। उसके बाद औगढ़ चोटी फिर दत्तात्रे मंदिर और फिर काली मंदिर की चोटी स्थित है।
गिरनार पर्वत पर कुल जैन और हिन्दू मंदिर मिलकर 866 मंदिर स्थित हैं। यह सभी मंदिर गिरनार की पहाड़ियों पर अलग-अलग जगहें स्थित हैं। इन मंदिरो में से कुछ मंदिर अभी कुछ वर्षो पहले बने हैं तो कुछ मंदिर बहुत सदियों पुराने हैं। तो आप जब भी यहाँ आये तो इन सभी मंदिर में कुछ समय जरूर व्यतीत करे।
गिरनार पर्वत का रहस्य
गिरनार की सबसे ऊँची चोटी गोरखनाथ है। गिरनार पर्वतो में से इसके बारे में कहा जाता है की यह एक मृत ज्वालामुखी है, और यह 1117 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस पर्वत के गोरनाथ शिखर पर गोरखनाथ जी की चरण पादुका स्थित हैं और इसी के पास में पत्थरो से बनी एक सुरंग है जिसमे से गुजरने से व्यक्ति के द्वारा किये गए सभी पापो से मुक्ति मिल जाती है।
गिरनार पर्वत की कहानी
ऐसा कहा जाता है की जैन धर्म में 24 तीर्थकर रहे हैं। उनमे से 22 वें तीर्थकर श्री नेमिनाथ महाराज अपने सभी सांसारिक सुख दुःख को छोड़कर ज्ञान की प्रति के लिए निकल पड़े। नेमिनाथ जी ज्ञान प्राप्ति के लिए गिरनार पर्वत पर ध्यान करने आये और उन्हें गिरनार की पांचवी चोटी पर मोक्ष की प्राप्ति हुयी जिस वजह से गिरनार का इतना महत्व और उसके प्रति लोगो की आस्था है।
गिरनार पर्वत परिक्रमा
गिरनार पर्वत का और यहाँ बने मंदिरो बहुत अधिक महत्व है। जितना महत्व यहाँ बने मंदिरो का है उतना ही गिरनार पर्वत के चारो ओर की गयी परिक्रमा का है। यह परिक्रमा 36 किलोमीटर की है जो हर साल देव दीपावली के दिन शुरू होती है। इस परिक्रमा का इतना महत्व है की 2023 में की गयी परिक्रमा में 7 लाख लोगो ने भाग लिया था। यह परिक्रमा कार्तिक शुक्लपक्ष को शुरू होती है और 5 दिनों तक चलती है। यह परिक्रमा गिरनार पर्वत के चारो ओर लगायी जाती जो पर्वतो के रास्तो से होकर जाती है।
गिरनार में कहाँ रुके?
आप जब भी इस पर्वत पर चढ़ाई शुरू करे तो सुबह में जल्दी ही शुरू करे जिससे आप शाम तक वापसी भी कर सके। आपको यहाँ पर पर्वत पर चढ़ाई के दौरान रुकने की कोई भी व्यवस्था नहीं मिलेगी। आप नीचे जूनागढ़ में रुक सकते हैं। जूनागढ़ में बहुत से छोटे होटल और धर्मशालाए हैं पर पर्वत के चढ़ाई के दौरान रुकने की कोई भी व्यवस्था नहीं है या फिर आप मंदिर में बात करके वहां रुक सकते हैं। सबसे अच्छा यही रहता है की आप नीचे आकर ही रुके और नीचे ही खाना खाये। वैसे यहाँ बने मंदिरो में 24 घंटे भंडारा चलता है तो आप वो भी खा सकते हैं।
गिरनार आने का सबसे अच्छा समय
गिरनार पर्वत पर आने का सबसे अच्छा समय सितम्बर से फरवरी तक का है। इस समय में आपको मौसम साफ और ठंडा मिलेगा। यदि आप गिरनार शिखर तक पैदल सीढ़ियों पर चढ़कर जाना चाहते हैं तो आप कोशिश करे की आप इसी समय यहाँ पर आये। नवंबर में कार्तिक शुक्लपक्ष को शुरू होने “लीली गिरनार परिक्रमा” के दौरान आना भी बहुत ज्यादा अच्छा और शुभ माना जाता है। बाकि यहाँ रोपवे बनने की वजह से अब आप किसी भी मौसम या सीजन में यहां आ सकते हैं।
गिरनार तलेटी पर बना भवनाथ मंदिर में जनवरी से फरवरी के बीच मेला का आयोजन किया जाता है जिसमे यहां के लोग पारम्परिक नृत्य, गाना गाते हैं। मंदिर में डांस और गाने के साथ पूजा अर्चना की जाती है।
गिरनार रोपवे
गिरनार शिखर तक पहुंचने के लिए पहले लोगो 10 हजार सीढ़ियां चढ़ना होती थी। जिसे पैदल चढ़ने और वहां दर्शन करने में लोगो को पूरा दिन लगता था, लेकिन 2018 में बन कर तैयार हुआ रोपवे की सहायता से अब लोगो 10 मिनट में अम्बा माता के मंदिर तक पहुंच जाते हैं। जो 5000 सीढ़ियों के बाद मौजूद है।
इस रोपवे का एक तरफ का किराया 400 रुपये है तो दोनों तरफ का किराया 750 रुपये है और बच्चो के लिए यह किराया 350 रुपये है। रोपवे का समय सुबह 8 बजे से शाम में 5 बजे तक चलती है और मौसम ख़राब होने पर इसे किसी भी समय बंद कर दिया जाता है।
मंदिरो के खुलने का समय
गिरनार पर्वत पर बने बहुत से मंदिर दोपहर में 11 बजे से 3 बजे के बीच बंद रहते हैं बाकि समय में आप यहां पर दर्शन कर सकते हैं। गिरनार का सबसे प्राचीन और विशाल मंदिर जैनो के 22 वें तीर्थकर श्री नेमिनाथ जी का है। यह मंदिर पुरे दिन खुला रहता है और इस मंदिर में आप कभी भी दर्शन कर सकते हैं।
गिरनार पर्वत कैसे पहुंचे?
गिरनार पर्वत गुजरात के जूनागढ़ में स्थित है। यहां तक आप ट्रेन और फ्लाइट द्वारा पहुंच सकते हैं लेकिन इनके द्वारा सिर्फ आप आधी दूरी को ही तय कर सकते हैं। आप सड़कमार्ग द्वारा भी यहां तक आसानी से पहुंच सकते हैं। सबसे अच्छा तरीका है की आप राजकोट तक ट्रेन द्वारा सफर करे और फिर वहां से बस द्वारा जूनागढ़ आ जाये। तो आईये जानते हैं की आप किस तरह यहां तक आसानी से पहुंच सकते हैं…
सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
आपको गिरनार तक पहुंचने के लिए सबसे पहले गुजरता के राजकोट पहुंचना होगा। राजकोट से गिरनार पर्वत तक की दूरी 103 किलोमीटर की है। राजकोट के लिए बस आपको दिल्ली से मिल जाएँगी जो बहुत ज्यादा महंगी हो सकती हैं। राजकोट के लिए बस आपको गुजरात और उसके आस पास के क्षेत्र से आसानी से मिल जाएँगी। राजकोट से जूनागढ़ 103 किलोमीटर है जिसे आप सरकारी बस द्वारा पूरा कर सकते हैं। इसका किराया 90 रुपये से 110 रुपये के बीच में होता है।
जूनागढ़ बस स्टैंड पहुंचने के बाद आप ऑटो द्वारा गिरनार पर्वत के बेस तक पहुंच सकते हैं। जहाँ से गिरनार की चढ़ाई और रोपवे शुरू होती है। वहां से आप अपनी गिरनार तक की चढ़ाई शुरू कर सकते हैं। यदि आप रोपवे के सहारे जाना चाहते हैं तो उसके सहारे भी जा सकते हैं।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
गिरनार के सबसे निकट रेलवे स्टेशन जूनागढ़ रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन गुजरात के लगभग सभी रेलवे स्टेशनो से अच्छे से जुड़ा हुआ है। यदि आप गुजरात के अलावा किसी और राज्ये से आते हैं तो आप दिल्ली से राजकोट के लिए ट्रेन ले सकते हैं या फिर मुंबई से भी यहां के लिए ट्रेन ले सकते हैं। राजकोट से आप जूनागढ़ बस या ट्रेन द्वारा आ सकते हैं। यदि आप गुजरात के अलावा किसी और राज्ये से आते हैं तो सबसे अच्छा तरीका ट्रेन द्वारा यहां तक पहुंचने का है क्यूंकि ट्रेन द्वारा यहाँ आना सस्ता भी रहता है और आरामदायक भी रहता है।
हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
गिरनार के सबसे निकट एयरपोर्ट राजकोट एयरपोर्ट है। यह गिरनार से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गिरनार के सबसे निकट अंतर्राष्टीय एयरपोर्ट अहमदाबाद है जो गिरनार से 319 किलोमीटर की दूरी पर है। राजकोट से गुजरात के बाकि शहरो की यातायात सुविधा बहुत अच्छी है तो राजकोट से जूनागढ़ गिरनार तक आप आसनी से पहुंच सकते हैं। फ्लाइट द्वारा यहां तक आना आसान तो रहता है लेकिन काफी खर्चीला भी होता है। तो आप अपनी सुविधा को देखते हुए जिस भी साधन से यहां आना चाहे उसके द्वारा यहां आ सकते हैं।
FAQ
Q. गिरनार पर्वत का दूसरा नाम क्या है?
Ans. गिरनार पर्वत का दूसरा और प्राचीन नाम उर्ज्जयंत था।
Q. गिरनार पर्वत क्यों प्रसिद्ध है?
Ans. गिरनार जैन धर्म के 22 वें तीर्थकर नेमिनाथ के लिए प्रसिद्ध है।
Q. गिरनार में कितनी सीढ़ियां चढ़नी होती हैं?
Ans. गिरनार में 10 हजार सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।
Q. क्या गिरनार में रोपवे है?
Ans. जी हाँ, गिरनार में रोप वे है और इसका अनावरण 2018 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया।
Q. गिरनार परिक्रमा कितनी किलोमीटर की है?
Ans. गिरनार परिक्रमा 36 किलोमीटर की है। जो 5 दिन तक चलती है।
Q. गिरनार परिक्रमा कब शुरू होती है?
Ans. गिरनार परिक्रमा जिसे “लीली परिक्रमा” कहते हैं वह हर साल देव दीपावली के दिन कार्तिक शुक्लपक्ष के दिन शुरू होती है।