उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के साथ-साथ हेमकुंड साहिब की यात्रा भी शुरू हो गयी है। हेमकुंड यात्रा के दौरान एक बहुत ही खूबसूरत घाटी पड़ती है, जिसे फूलो की घाटी (Valley Of Flowers) के नाम से जाना जाता है। इस घाटी के लिए रास्ता हेमकुंड साहिब जाने वाले रास्ते के बीच से कटा है। हर साल मई से नवंबर के बीच में हेमकुंड साहिब की यात्रा करने वाले श्रद्धालु वैली ऑफ़ फ्लावर्स का ट्रेक भी करते हैं। यह ट्रेक देखने में जितना सुन्दर है तो उतना ही खतरनाक भी है।
इस ब्लॉग में हम वैली ऑफ़ फ्लावर्स ट्रेक की जानकारी आपको देंगे, जिससे आप जब भी इस ट्रेक का प्लान करे तो आपको प्लान करने में सहायता मिले। अधिकतर श्रद्धालु इस ट्रेक को करने के लिए पैकेज भी बुक करते हैं लेकिन आप इस ट्रेक को अकेले भी कर सकते हैं। तो आप इस ट्रेक को कैसे कर सकते हैं? और ट्रेक से सम्बंधित सभी जानकारियों को हम आपसे साझा करेंगे। तो आईये जानते हैं फूलो की घाटी (वैली ऑफ़ फ्लावर्स) से सम्बंधित सभी जानकरियों को…
विषय सूची
शार्ट जानकारी
जगह | फूलो की घाटी (वैली ऑफ़ फ्लावर्स) |
पता | गोविन्द घाट से 14 किलोमीटर दूर उत्तराखंड |
प्रसिद्ध होने का कारण | 500 फूलो की अलग-अलग प्रजाति और वर्ल्ड हेरिटेज साइट होने के कारण |
ट्रेक दूरी | 14 किलोमीटर |
ट्रिप अवधि | 3 दिन |
ट्रेक बेस कैंप | पुलना & घांघरिया |
निकटतम रेलवे स्टेशन | ऋषिकेश रेलवे स्टेशन |
निकटतम एयरपोर्ट | जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून |
फूलो की घाटी कहाँ है?
उत्तराखंड की बेहद खूबसूरत फूलो की घाटी “वैली ऑफ़ फ्लावर” उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। इस घाटी तक पहुंचने के लिए पर्यटको को 14 किलोमीटर का मुश्किल ट्रेक करना पड़ता है। इस फूलो की घाटी तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश पहुंचना होगा वहां से जोशीमठ और फिर वहां से डायरेक्ट गोविन्द घाट पहुंचना होगा। गोविन्द घाट या पुलना से इस घाटी के लिए ट्रेक शुरू होता है। घांघरिया इस घाटी के ट्रेक का बेस कैंप है जहाँ से मुख्य ट्रेक शुरू होता है।
फूलो की घाटी का इतिहास?
ये घाटी जितनी खूबसूरत है उतनी ही खूबसूरत इस घाटी के खोजे जाने की कहानी है। इस घाटी की खोज बिर्टिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में की थी, जो उनके रास्ता भटकने के वजह से हुयी थी। 1931 में फ्रैंक स्मिथ अपने साथियों के साथ कामेट समिट से लौट रहे थे की वे सभी रास्ता भटक जाते हैं और भटकते-भटकते एक घाटी जा पहुंचते हैं। जब वे घाटी में प्रवेश करते हैं तो उन्हें कुछ नीले रंग के फूल दिखाई देते हैं जो बहुत से क्षेत्र में फैले हुए होते हैं।
जब फ्रैंक स्मिथ उस पूरी घाटी में घूमते हैं तो उन्हें बहुत से अलग-अलग प्रजाति के फूल और पौधे दिखाई पड़ते हैं। उन्हें ये जगह इतनी पसंद आती है की वे दो से तीन दिन उसी जगह अपना कैंप लगाते हैं और इस पूरी घाटी को एक्स्प्लोर करते हैं। फ्रैंक स्मिथ वापस आकर इस जगह के बारे में लोगो को बताते हैं और दुबारा से 1937 में इस घाटी का ट्रेक करते हैं और एक किताब लिखते हैं। वे अपनी किताब का नाम “The Valley Of Flowers” रखते हैं। 1938 में फ्रैंक स्मिथ की किताब The Valley Of Flowers के पब्लिक होने के बाद ये जगह प्रसिद्ध होती चली गयी।
सन 1982 में यूनेस्को द्वारा इस घाटी को वर्ल्ड हेरिटेज साइट (World Heritage Site) घोषित कर दिया गया। उसके बाद इस जगह पर जानवरो को चराने, यहाँ पर रहने या किसी भी तरह की कैंपिंग करने पर रोक लगा दी गयी।
इस घाटी का उल्लेख हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथो में भी मिलता है, जिसे प्राचीन ग्रंथो में इंद्रा का बगीचा या परियों की भूमि कहा गया है। ये घाटी पुष्पा नदी द्वारा दो भागो में विभाजित होती है और मानसून के समय में अपनी खूबसूरती के चरम सीमा पर होती है।
फूलो की घाटी का एंट्री टिकट प्राइस
जब आप इस ट्रेक को करेंगे तो वैली ऑफ़ फ्लावर्स से 2 किलोमीटर पहले एक चौकी पड़ती है। जहाँ से आपको फूलो की घाटी में प्रवेश करने के लिए एक एंट्री टिकट लेना होता है। इस टिकट का प्राइस भारतीय पर्यटकों के लिए 150 रुपये प्रति व्यक्ति है और विदेशी पर्यटको के लिए 600 रुपये प्रति व्यक्ति होता है।
फूलो की घाटी का ट्रेक खुलने का समय
वैली ऑफ़ फ्लावर्स ट्रेक सुबह 7 बजे से शाम में 5 बजे तक किया जा सकता है लेकिन फूलो की घाटी में एंट्री करने का समय सिर्फ सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक ही है। दोपहर 12 बजे के बाद से फूलो की घाटी में प्रवेश करना बंद कर दिया जाता है और लोगो को घांघरिया में ही रोक दिया जाता है। घांघरिया से ही घाटी का मुख्य ट्रेक शुरू होता है जो लगभग 4 किलोमीटर का है। तो आप सुबह में जल्दी ही इस ट्रेक को शुरू कर दे और 12 बजे से पहले ही घाटी में प्रवेश कर ले।
ट्रेक के दौरान रुकने के स्थान
ये ट्रेक पुलना गांव से शुरू होता है, जो गोविन्द घाट से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पुलना गांव हेमकुंड साहिब और वैली ऑफ़ फ्लावर्स दोनों जगहों का बेस कैंप है। यहाँ से आप घोड़ो- खच्चरो और पालकी द्वारा हेमकुंड साहिब और फूलो की घाटी तक जा सकते हैं। यदि आप ऋषिकेश से गोविन्द घाट तक जाने पर लेट हो जाते हैं तो आप गोविन्द घाट पर बने हुए होम स्टे में रुक सकते हैं। इसके साथ ही आप पुलना गांव या फिर 10 किलोमीटर का ट्रेक करके घांघरिया में भी रुक सकते हैं।
घांघरिया वैली ऑफ़ फ्लावर्स ट्रेक का दूसरा बेस कैंप है। घांघरिया से ही हेमकुंड साहिब और वैली ऑफ़ फ्लावर्स ट्रेक की अलग-अलग रास्ता कटी है। घांघरिया में बहुत से होटल्स, होम स्टे और टेंट सुविधा भी मौजूद है, जहाँ आप रुक सकते हैं। यहाँ पर आपको रुकने के लिए 500 से 1000 या उससे थोड़े ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।
वैली ऑफ़ फ्लावर्स ट्रेक करने का बेस्ट समय
फूलो की घाटी का ट्रेक हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाता है। यह ट्रेक तभी तक चलता है जब तक हेमकुंड साहिब की यात्रा चलती है जैसे ही यह यात्रा बंद होती है वैसे ही यह ट्रेक भी बंद कर दिया जाता है। इस ट्रेक को करने का जो सबसे बढ़िया समय है, वो 15 मार्च से 15 अगस्त के बीच का है। इस समय में आपको घाटी में लगभग सभी तरह के फूल देखने को मिल जायेंगे। मानसून के समय में यह पूरी घाटी फूलो से सजी हुयी होती है, और अपनी सुंदरता के रंग बिखेरती है।
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वैली ऑफ़ फ्लावर ट्रेक
फूलो की घाटी का ट्रेक उत्तराखंड के पहाड़ो के जंगलो के बीच से होकर जाता है। यह ट्रेक पुलना गांव से शुरू होता है। इस ट्रेक की लम्बाई 14 किलोमीटर है लेकिन पहाड़ो पर पत्थरो से बने रास्ते और जंगल के बीच से होकर जाने की वजह से यह ट्रेक थोड़ा मुश्किल है। कहते हैं की जितना मुश्किल सफर होता है उतनी खूबसूरत मंज़िल होती है, यह बात इस ट्रेक पर इस घाटी पर बिलकुल सही बैठती है। पुलना गांव से शुरू होने वाला यह ट्रेक शुरुआत से ही मुश्किल है क्यूंकि इस ट्रेक में शुरुआत से ही चढ़ाई शुरू हो जाती है।
पुलना गांव में हेमकुंड साहिब और वैली ऑफ़ फ्लावर्स के लिए रजिस्ट्रेशन होता है। रजिस्ट्रेशन के बाद ही आप इस यात्रा को शुरू कर सकते हैं। पुलना गांव से शुरू होने वाले इस ट्रेक में आपको पत्थरो से बने रास्तो से होकर जाना होता है। पुलना से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है पहला गांव जिसे जंगल चट्टी के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर आप अपनी पानी की बोतल को भर सकते हैं। जंगल चट्टी के बाद कुछ किलोमीटर का ट्रेक करने के बाद पड़ता है भ्यूंडार गांव यहाँ पर बहुत से खाने के ढाबे और कुछ दुकाने बनी हुयी हैं।
यहाँ पर कुछ समय रूककर आप रेस्ट कर सकते हैं और खाना खा सकते हैं। यहाँ पर रुकने के लिए भी कुछ होम स्टे की सुविधा मौजूद है तो यदि आप ट्रेक करते समय लेट हो जाते हैं तो आप यहाँ पर रुक भी सकते हैं। भ्यूंडार गांव से घांघरिया तक के ट्रेक में कभी समतल रास्ता आता है तो कुछ चढ़ाई का सामना करना पड़ता है। पुलना से घांघरिया की दूरी 10 किलोमीटर है जिसे पूरा करने में लगभग 4 से 5 घंटे लगेंगे।
पुलना से घांघरिया तक का ट्रेक तो थोड़ा आसान है लेकिन सबसे मुश्किल ट्रेक घांघरिया से शुरू होता है। यहाँ से घाटी तक का ट्रेक लगभग 4 किलोमीटर का है जिसमे आपको लकड़ी के बने पुल को पार करना होता है और कुछ जगहों पर लैंड स्लाइड एरिया से होकर जाना होता है। यह 4 किलोमीटर का ट्रेक थोड़ा मुश्किल है लेकिन खूबसूरत भी बहुत है।
जो इस ट्रेक को एक आदर्श ट्रेक और यादगार ट्रेक बनाता है। ये 4 किलोमीटर दूरी को पूरा करके आप पहुंचते हैं फूलो की वादियों में जहाँ आपको देखने को मिलती हैं 500 प्रकार की अलग-अलग फूलो की प्रजाति, जिसकी सुंदरता अकल्पनीय होती है।
फूलो की घाटी तक कैसे पहुंचे?
इस ट्रेक को करने के लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर पहुंचना होगा। यदि आपके पास अपना वाहन है तो आप ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग और जोशीमठ होते हुए गोविन्द घाट तक पहुंच सकते हैं और फिर वहां से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुलना गांव तक पहुंच सकते हैं। यदि आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा आ रहे हैं तो आप ऋषिकेश से सीधे गोविन्द घाट की बस पकड़ सकते हैं। यदि गोविन्द घाट के लिए सीधे बस नहीं मिलती है तो आप ऋषिकेश से जोशीमठ तक आ सकते हैं और फिर वहां से प्राइवेट गाड़ी द्वारा गोविन्द घाट तक पहुंच सकते हैं।
- निकटतम रेलवे स्टेशन :- ऋषिकेश रेलवे स्टेशन
- निकटतम एयरपोर्ट :- जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून
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