उत्तराखंड में अनगिनत ट्रेक्स हैं, जो अपनी खूबसूरती और चुनौतीपूर्ण रास्तो के साथ वहां के लोकल रहस्मयी कहानियों के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक ट्रेक उत्तराखंड के “चमोली” जिले में पड़ता है, जो एक सुन्दर झील की ओर लेकर जाता है, जिसे “रूपकुंड झील” के नाम से और इस ट्रेक को “रूपकुंड ट्रेक” के नाम से जाना जाता है। यह झील देखने में जितनी सुन्दर है उससे कहीं अधिक आश्चर्यो से घिरी हुयी है क्योंकि इस झील में लगभग 500 से अधिक लोगो के मानव कंकाल देखने को मिलते हैं। जिस वजह से यह झील हर उस व्यक्ति को आकर्षित करती है, जो रोमांच और रहस्यों के बारे में जानने के इच्छुक हैं।
इस ब्लॉग में हम इसी खूबसूरत झील का ट्रेक, रूपकुंड ट्रेक के बारे में सभी जानकारियों को आपके साथ साझा करेंगे। आप इस ब्लॉग के माध्यम से जान सकते हैं कि आप रूपकुंड ट्रेक को कैसे कर सकते हैं? रूपकुंड ट्रेक करने के बेस्ट टाइम, ट्रेक का रूट, ट्रेक पैकेज, आप इस ट्रेक सोलो कर सकते हैं या नहीं? और इस ट्रेक को करने के लिए आपको कितना बजट की जरुरत होगी? तो ब्लॉग को अंत तक ध्यान से पढ़े और यदि आपका इस ट्रेक से रिलेटेड कोई भी प्रश्न हो तो आप कमेंट के माध्यम से हमसे पूछ सकते हैं…
शार्ट जानकारी
ट्रेक | रूपकुंड झील ट्रेक |
जगह | लोहाजंग, चमोली जिला उत्तराखंड |
ऊंचाई | 16500 फीट |
शुरुआती बिंदु | लोहाजंग |
ट्रेक अवधि | 6 से 7 दिन |
सबसे अच्छा समय | मई से जून और सितम्बर से अक्टूबर |
निकटतम एयरपोर्ट | पंतनगर और देहरादून एयरपोर्ट |
निकटतम रेलवे स्टेशन | काठगोदाम और ऋषिकेश |
रूपकुंड झील कहाँ है?
रूपकुंड झील उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा घुंटी और त्रिशूल पर्वतो से घिरी हुयी एक रहस्मयी झील है। इस झील तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा और फिर वहां से लोहाजंग और फिर वहां से दीदना जहाँ से यह ट्रेक शुरू होता है। कुछ लोग लोहाजंग से ही इस ट्रेक को करना शुरू कर देते हैं जबकि कुछ लोग वाण गांव से इस ट्रेक को शुरू करते हैं।
रूपकुंड झील की कहानी
इस झील के निर्माण के पीछे वहां के स्थानीय लोगो के बीच एक कहानी बहुत अधिक प्रचलित है, जो भगवान शिव और माता पार्वती की नीलकंठ पर्वत की यात्रा से जुड़ी हुयी है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव माता पार्वती के साथ नीलकंठ पर्वत की ओर जा रहे थे। तब इस जगह आकर माता पार्वती ने भगवान शिव से स्नान करने की इच्छा व्यक्त की जिसके बाद भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से एक झील का निर्माण किया। झील का पानी इतना साफ और स्वच्छ था की माता पार्वती उसमे अपना रूप देख सकती थी, जिसके बाद इस झील का नाम रूपकुंड झील पड़ा।
रूपकुंड झील का रहस्य
रूपकुंड झील मानव कंकाल के रहस्यों से भरी हुयी है। इस झील में मिलने वाले कंकालों की वजह से रूपकुंड झील बहुत अधिक प्रसिद्ध है और इसी रहस्य को देखने के लिए लोग इस रूपकुंड ट्रेक को करते हैं। रूपकुंड झील का वैज्ञानिक परीक्षण करने पर पता चलता है की इस झील में लगभग 500 से अधिक लोगो के कंकाल हैं जिनमें पुरुष, स्त्रियां और बच्चे शामिल हैं। वैज्ञानिक परिक्षण करने पर पता चलता है की ये कंकाल 9 वीं से 15 वीं शताब्दी के बीच के हैं।
रूपकुंड झील में मिलने वाले इन कंकालों के रहस्यों के बारे में कोई नहीं जानता है लेकिन इसके पीछे कुछ कहानिया जरूर प्रचलित हैं, जिसमें सबसे अधिक महत्व राजा जधधवल और हर 12 साल बाद होने वाली नंदा देवी की राजजात यात्रा से है। इस कहानी को सच मानने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है की वहां की जगहों के नाम जो इस कहानी से एक दम मेल खाते हैं।
यहाँ के स्थानीय लोगो द्वारा ऐसा बताया जाता है की कन्नौज के राजा जधधवल अपने परिवार, प्रजा और सेना सहित नंदा देवी की राजजात यात्रा में आये थे। राजा जधधवल और उनके साथ आये हुए लोगो ने किसी भी नियम का कोई पालन नहीं किया और यात्रा के दौरान बहुत सी गलतियां की, जिससे माँ नंदा देवी बहुत क्रोधित हों जाती है और रूपकुंड झील के पास भारी ओलावृष्टि कर देती हैं। जिसकी चपेट में आकर राजा जध धवल और उनके समूह की मृत्यु हो जाती है। इस झील में मिलने वाले मानव कंकाल राजा जधधवल और उनके समूह के हैं जो हमें आज देखने को मिलते हैं।
रूपकुंड ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय
रूपकुंड ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय मई से जून और सितम्बर से अक्टूबर के बीच का होता है। जुलाई से अगस्त मानसून का सीजन होता है, जो इस ट्रेक को करने का सही समय नहीं होता है और इस समय यह ट्रेक बंद भी होता है। रूपकुंड झील समुद्रतल से लगभग 16 हजार से अधिक ऊंचाई पर स्थित है, जिसके कारण मानसून में यहाँ अधिक बारिश होने पर लैंड स्लाइड होने का खतरा काफी होता है।
यदि आप मई से जून के बीच इस ट्रेक को करते हैं तो आपको काफी ठण्ड और बर्फवारी का सामना करना होगा और इस समय आपको झील भी जमी हुयी मिलेगी लेकिन आप मानव कंकालों को देख पाएंगे। यदि आप सितम्बर से अक्टूबर के बीच करते हैं तो आपको साफ मौसम देखने को मिलेगा और समिट को आप अच्छे से देख पाएंगे। इन महीनो में आपको बर्फ देखने को नहीं मिलेगी और साफ मौसम के कारण इसके चारो ओर का काफी व्यापक और सुन्दर दृश्य दिखने को मिल जायेंगे।
रूपकुंड ट्रेक रूट
रूपकुंड ट्रेक करने दो रास्ते हैं, जिनमें से एक वाण गांव से शुरू होता है जबकि दूसरा लोहाजंग के कूलिंग गांव से शुरू होता है। अधिकतर टूर एजेंसीज इस ट्रेक को कूलिंग गांव से ही शुरू करती हैं और कुछ इसे वाण गांव से भी शुरू करती हैं। यह ट्रेक लगभग 53 किलोमीटर लम्बा है जो लोहाजंग से शुरू होता है और रूपकुंड झील पर विजिट करके वापस लोहाजंग में समाप्त होता है। इस ट्रेक में आपका रूट क्या होगा उसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं…
- रूट:- लोहाजंग – कूलिंग गांव – दीदना गांव – अली बुग्याल – बेदनी बुग्याल – घोड़ा लौटानी – पातर नचौनी – भगवाबासा – रूपकुंड झील
क्या रूपकुंड ट्रेक को सोलो कर सकते हैं?
यदि आप एक अनुभवी ट्रेकर हैं और आप इस ट्रेक को अकेले/सोलो करना चाहते हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अधिक ऊंचाई वाले अल्पाइन मीडोज में कैंपिंग करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है, जिस वजह से आप इस ट्रेक को सोलो परफॉर्म नहीं कर सकते हैं। इसी वजह से आपको इस ट्रेक को करने के लिए किसी ट्रेकिंग टूर कंपनी की सहायता लेनी होगी, जो इस ट्रेक को पूरा करने का एक मात्र उपाए है।
रूपकुंड ट्रेक पैकेज
यह ट्रेक आप सोलो या खुद कैंपिंग करके नहीं कर सकते हैं क्योंकि उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा अधिक ऊंचाई पर किये जाने वाले ट्रेक्स पर कैंपिंग करना प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन अभी भी आप इन ट्रेक्स को किसी अच्छी ट्रेकिंग एजेंसीज और लोकल गाइड की सहायता से कर सकते हैं। यदि रूपकुंड ट्रेक के पैकेज के बारे में बात करें तो यह आपको 8500 से 17000 रुपये प्रति व्यक्ति के बीचे में मिल जायेंगे। पैकेज की कीमत पैकेज में मिलने वाले फैसिलिटीज और ट्रेक अवधि पर निर्भर करती है।
इन ट्रेक पैकेजेस में आपको बहुत सी तरह की सुविधाएँ मिल जाती हैं। नीचे हम ट्रेक पैकेज में शामिल सुविधाओं और चीजों के बारे में बता रहे हैं…
- टहरने की व्यवस्था:- ये ट्रेक जितने भी दिन का होता है उसके अनुसार आपको सभी जगहें ठहरने की सुविधा दी जाती है। जिसमें गेस्ट हाउस, होम स्टे और कैंपिंग विकल्प शामिल होते हैं।
- भोजन:- इन पैकेजेस में आपके तीनो समय का खाना शामिल होता है । जिसमें आपको सुबह नास्ता दिया जाता है दोपहर में लंच और शाम में डिनर, ये सभी ताजा पका के दिया जाता है। पहले से पका हुआ कोई भी खाना लोगो को नहीं दिया जाता है।
- ट्रेकिंग उपकरण:- इस ट्रेक्स में आपको जिस भी तरह के उपकरण की आवश्यकता होती है वे सब ट्रेकिंग कंपनी प्रोवाइड कराती हैं।
- ट्रेक परमिट:- ट्रैकिंग पैकेज में आपके ट्रेक से रिलेटेड सभी परमिट शामिल होते हैं।
- मेडिकल:- आपके पैकेज में एक अच्छी मेडिकल किट शामिल होती है, जिसमें आपको किसी भी तरह की कोई भी समस्या होने पर उपयोग में लाया जाता है।
- ट्रेक क्रू/गाइड:- आपके साथ एक पूरी अनुभवी टीम चलती है। जिसमें गाइड से लेकर सामान ले जाने वाले और खाना पकाने वाले शामिल होते हैं।
पैकेज एक्सक्लूशन (Exclusion)
- ट्रेक अवधि के दौरान आपका अतरिक्त खान-पान और कुछ सामान खरीदना।
- हरिद्वार या ऋषिकेश से लोहाजंग तक की यात्रा। (यदि आप चाहे तो अपने पैकेज में इसे ऐड करा सकते हैं, जिसके पैकेज शुल्क के अलावा आपको अतरिक्त चार्ज देना होगा।)
- अपना निजी सामान ले जाने के लिए खच्चर या घोड़ो का शुल्क।
- ट्रेक अवधि के अलावा कहीं ठहरना और भोजन का शुल्क।
रूपकुंड ट्रेक के लिए क्या-क्या पैक करना चाहिए?
रूपकुंड ट्रेक लगभग 7 से 8 दिन का होता है, जिस दौरान आपको लगभग 53 किलोमीटर का ट्रेक तय करना होता है। इसी वजह से आपको एक सही बैकपैक तैयार करना चाहिए जो आपकी यात्रा को सरल और आसान बनाये। नीचे हम आपको इस ट्रेक के दौरान क्या-क्या पैक करना चाहिए उसके बारे में बता रहे हैं…
कपड़े | 2 थर्मल इनर वियर (टी-शर्ट) 1 जैकेट या स्वेटर 1 वाटरप्रूफ और विंडप्रूफ जैकेट 2 से 3 फुल स्लीव टी-शर्ट (जल्दी सूखे) 2 ट्रेकिंग पैन्ट्स 1 थर्मल लोअर |
फुटवियर | हाई एंकल वाटरप्रूफ ट्रैकिंग शूज 2 से 3 जोड़ी मोज़े (ऊनी + कॉटन) |
बैग्स | एक बैकपैक (50-60 लीटर) एक डे पैक (20-30 लीटर) बैग रेन कवर |
डाक्यूमेंट्स | एक वैलिड आई डी प्रूफ (आधार कार्ड/वोटर आई डी) मेडिकल सर्टिफिकेट पासपोर्ट साइज फोटो |
अन्य | सनग्लासेस वूलेन कैप समर कैप वूलेन ग्लव्स टॉवल टिश्यू पेपर पेपर सोप टूथब्रश/टूथपेस्ट आदि |
रूपकुंड झील तक कैसे पहुंचे?
रूपकुंड झील उत्तराखंड के चमोली जिले में लगभग 16000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस झील तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 53 किलोमीटर का मध्यम से कठिन श्रेणी का ट्रेक करना होगा। इस ट्रेक का बेस कैंप लोहाजंग है, जहाँ से आपको आगे की दूरी ट्रेक द्वारा पूरी करनी होगी। लोहाजंग तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा उसके बाद आप वहां से लोकल शेयरिंग टैक्सी और टैक्सी बुक करके लोहाजंग तक पहुंच सकते हैं। नीचे हम सड़कमार्ग, रेलमार्ग और हवाईमार्ग द्वारा रूपकुंड झील तक पहुंचने के बारे में बता रहें हैं…
सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
आप किसी भी राज्य या शहर से हों आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा। हरिद्वार और ऋषिकेश से आपको नियमित तौर पर शेयरिंग टैक्सी और बुकिंग टैक्सी मिल जाएँगी। जिनकी सहायता से आप लोहाजंग तक पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से लोहाजंग की दूरी लगभग 247 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 7 से 8 घंटे का समय लगेगा। यदि आप पैकेज बुक करते हैं तो आपको सुबह में जल्दी ही पिक अप पॉइंट पर बुलाया जाता है। ऋषिकेश से लोहाजंग तक का सफर आपके पैकेज में शामिल नहीं होता है तो आप उसे अपने पैकेज में जरूर शामिल करा लें।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप इस सफर को ट्रेन द्वारा तय करना चाहते हैं तो आप काठगोदाम और ऋषिकेश तक ही ट्रेन द्वारा अपना सफर तय कर सकते हैं क्योंकि यही दोनों रेलवे स्टेशन सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। इन दोनों जगहों से आगे लोहाजंग तक की दूरी आपको टैक्सी द्वारा सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी।
हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
लोहाजंग में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। लोहाजंग के सबसे निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर और देहरादून एयरपोर्ट है, इन दोनों जगहों से आगे की दूरी आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
- रूपकुंड ट्रेक एक अधिक ऊंचाई वाला ट्रेक है तो इसे करने से पहले आप अपनी फिटनेस पर जरूर काम करें।
- रूपकुंड ट्रेक का पैकेज लेते समय सभी टर्म्स & कंडीशन अच्छे से पढ़ लें।
- यदि आपको ट्रेक के दौरान हल्की सी भी शारीरिक समस्या लगे तो अपने गाइड को जरूर बताएं।
- यदि आपके पैकेज में ऋषिकेश और देहरादून से लोहाजंग तक की दूरी शामिल न हों तो एक्स्ट्रा चार्ज देकर इसे अपने पैकेज में जरूर शामिल करा लें।
- ट्रेक के दौरान हाइड्रेट होते रहें और अपने साथ कुछ सूखा नास्ता जरूर रखे।