उत्तराखंड में बहुत से शिव मंदिर हैं, जो लोगो को धार्मिक आस्था के कारण अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्ही मंदिरो में से एक मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है, जो “जागेश्वर धाम मंदिर” के नाम से जाना जाता है। यह एक प्राचीन और पौराणिक मंदिर है, जिसका उल्लेख हिन्दू धर्म की कई पौराणिक ग्रंथो में मिलता है। इस मंदिर के प्रति स्थानीय लोगो की आस्था है की इस मंदिर में जो भी कोई सच्चे दिल से मनोकामना करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
इस मंदिर की यात्रा करना मोक्षदायनी माना जाता है क्योंकि यहाँ के स्थानीय लोगो द्वारा बताया जाता है कि इस जगह भगवान शिव और सप्तऋषियों ने तप किया था। तो आइए जानते हैं इस पवित्र धाम की यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को।
इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपसे मंदिर की यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को साझा करेंगे जैसे- जागेश्वर धाम मंदिर कहाँ है? जागेश्वर धाम मंदिर का इतिहास, जागेश्वर धाम मंदिर कैसे पहुंचे? जागेश्वर धाम मंदिर आने का सबसे अच्छा समय, और यात्रा टिप्स आदि। तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े…
शार्ट जानकारी
जगह | जागेश्वर धाम मंदिर |
पता | जागेश्वर अल्मोड़ा जिला उत्तराखंड |
प्रसिद्ध | छोटे बड़े 125 मंदिरो का समूह |
निकटतम रेलवे स्टेशन | काठगोदाम रेलवे स्टेशन |
निकटतम एयरपोर्ट | पंतनगर एयरपोर्ट |
जागेश्वर धाम मंदिर कहाँ है?
जागेश्वर धाम मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में अल्मोड़ा शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर चीड़ और देवदार के पेड़ो से घिरा हुआ है और अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ शिव के प्रति गहरी आस्था के लिए जाना जाता है। जागेश्वर धाम समुद्रतल से 1870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह 125 छोटे-बड़े मंदिरो का समूह है।
जागेश्वर धाम मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
जागेश्वर धाम मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से आठवां ज्योतिर्लिंग है। पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जागेश्वर धाम ही वह पहला स्थान है जहाँ से भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा शुरू हुयी थी।
इसके साथ ही स्थानीय लोगो द्वारा बताई जाने वाली कहानी के अनुसार इस धाम में हर किसी की सब मनोकामनाएं पूरी होती थी, जिसे आदि शंकराचार्य ने मृत्युंजय मंदिर को कुलित करके बंद किया। अब इस मंदिर में सिर्फ सच्चे मन से आने वाले भक्तो की ही मनोकामना पूर्ण होती है। इसी कारण यह मंदिर बहुत अधिक प्रसिद्ध है।
जागेश्वर धाम मंदिर हाईलाइट
- मुख्य मंदिर (जागेश्वर मंदिर)- यह मंदिर जागेश्वर धाम का मुख्य मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
- दंडेश्वर मंदिर- यह भी भगवान शिव को समर्पित है और ऐसा माना जाता है की सप्त ऋषियों ने भगवान शिव को यहीं पर दंड दिया था।
- चंडिका मंदिर- यह प्रागण में बना मंदिर, माता दुर्गा को समर्पित है।
- ये सभी मंदिर देवदार और चीड़ के पेड़ो से घिरे हुए है, जो इन मंदिरो की सुंदरता को और बड़ा देते हैं।
जागेश्वर धाम मंदिर का इतिहास
जागेश्वर धाम 125 मंदिरो का समूह है और इनमे सबसे प्रमुख मंदिर जागेश्वर मंदिर है, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इन मंदिरो का इतिहास बहुत अधिक पुराना माना जाता है क्योंकि इन मंदिरो का उल्लेख हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथो जैसे- शिव पुराण, लिंगपुराण, महाभारत और स्कंदपुराण में मिलता है। कुछ शिलालेखों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरो का निर्माण 7 वीं से 14 वीं शताब्दी में हुआ जिन्हे कत्यूरी और चंद शाशको द्वारा बनवाया गया।
जागेश्वर धाम में प्रमुख मंदिर जागेश्वर मंदिर है और ऐसा माना जाता है कि इसी जगह भगवान शिव ने तप किया था, जिस कारण इसे “तपोभूमि” के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा यहाँ सप्तऋषियों ने भी तप किया था। इन मंदिरो में से कुछ मंदिरो को बनवाने का श्रेय आदि शंकराचार्य को दिया जाता है और इन मंदिरो की बनावट भी उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर केदारनाथ मंदिर की तरह ही है।
जागेश्वर धाम में कहाँ रुके?
जागेश्वर धाम में रुकने के लिए आपको बहुत से होटल्स और गेस्ट हाउस मिल जायेंगे। यदि आप बजट यात्री हैं तो आपको यहाँ पर सरकारी गेस्ट हाउस मिल जायेगा। इसके अलावा यहाँ पर बहुत सी धर्मशालाएं भी मौजूद हैं, जहाँ आपको 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये में एक अच्छा रूम मिल जायेगा। यदि थोड़ा मॉडर्न और लक्ज़री होटल्स की बात करें तो आपको यहाँ 2500 से 4500 रुपये में एक अच्छा होटल मिल जायेगा। तो आपको यहाँ पर हर तरह के बजट ऑप्शन मिल जायेंगे जिन्हे आप अपने बजट के अनुसार चुन सकते हैं।
जागेश्वर धाम मंदिर आने का सबसे अच्छा समय
जागेश्वर अल्मोड़ा जिले में स्थित है, जो एक पहाड़ी इलाका है। जिस वजह से यहाँ आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितम्बर से नवंबर का होता है। इन महीनो में यहाँ का मौसम घूमने के अनुकूल होता है और किसी तरह की कोई दिक्कत भी नहीं होती है। जुलाई से अगस्त के महीने बारिश के होते हैं जिस कारण यहाँ की यात्रा थोड़ी कठिन हो जाती है।
मई से जून के बीच में बच्चो की स्कूल की छुट्टी होती है जिस कारण यह जगह काफी भीड़-भाड़ वाली हो जाती है इस समय मौसम काफी अच्छा होता है। सावन के महीने में भी जागेश्वर धाम मंदिर की यात्रा का बहुत अधिक महत्व है और लोग गंगा जी का जल लेकर जागेश्वर मंदिर में चढ़ाने आते हैं। तो आप इस समय भी इस जगह की यात्रा कर सकते हैं।
जागेश्वर धाम मंदिर कैसे पहुंचे?
जागेश्वर धाम मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है, जो अल्मोड़ा शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जागेश्वर धाम उत्तराखंड और उसके आस-पास के राज्यों के शहरों से सड़कमार्ग के द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा आप रेलमार्ग और हवाईमार्ग की सहायता से यहाँ पहुंच सकते हो। नीचे हम विस्तार से जागेश्वर धाम कैसे पहुंचे? उसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं…
सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप सड़कमार्ग द्वारा जागेश्वर धाम पहुंचना चाहते हो तो आपको सबसे पहले हल्द्वानी पहुंचना होगा। वहां से आपको बस और लोकल टैक्सी जागेश्वर के लिए मिल जाएँगी, जो आपको काफी कम समय में जागेश्वर तक पंहुचा देंगी। यदि आपको आपके शहर से अल्मोड़ा के लिए बस मिलती है तो आप पहले अल्मोड़ा आ सकते हैं और फिर वहां से लोकल वहां द्वारा जागेश्वर तक जा सकते हैं।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप रेलमार्ग द्वारा जागेश्वर धाम आना चाहते हैं तो जागेश्वर में कोई भी रेलवे स्टेशन मौजूद नहीं है। जागेश्वर के सबसे निकट रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है, जो जागेश्वर से 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप काठगोदाम से सरकारी बस और लोकल टैक्सी द्वारा मुक्तेश्वर होते हुए जागेश्वर तक पहुंच सकते हैं।
हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप फ्लाइट द्वारा जागेश्वर आना चाहते हैं तो यहाँ पर कोई एयरपोर्ट मौजूद नहीं है। जागेश्वर के सबसे निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है। यह जागेश्वर से 149 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस दूरी को आप सड़कमार्ग द्वारा पूरा कर सकते हैं।
जागेश्वर धाम मंदिर के आस-पास के प्रसिद्ध स्थल
जागेश्वर धाम मंदिर में दर्शन करने के बाद आप इनके आस-पास की प्रसिद्ध जगहों पर भी घूमने जा सकते हैं। नीचे हम जागेश्वर की कुछ प्रसिद्ध जगहों के बारे में बता रहे हैं…
दंडेश्वर महादेव मंदिर- यह जागेश्वर धाम मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक शांत वातावरण को दर्शाता हुआ कम भीड़-भाड़ वाला मंदिर है। इस मंदिर में बहुत ही कम श्रद्धालु आते हैं इसलिए आप यहाँ पर एक शांत धार्मिक वातावरण को महसूस कर सकते हैं।
वृद्ध जागेश्वर- आप जागेश्वर से 3 किलोमीटर का ट्रेक कम्पलीट करके वृद्ध जागेश्वर धाम तक जा सकते हैं, जो अल्मोड़ा में स्थित एक प्राचीन पवित्र धाम है।
बिनसर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी- आप जागेश्वर से 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित बिनसर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी में विजिट कर सकते हैं।
जागेश्वर आने के लिए क्या-क्या पैक करें?
जागेश्वर धाम की यात्रा पर जाने से पहले आपको यह जरूर पता होना चाहिए आपको किन-किन चीजों को पैक करना चाहिए। जिससे आपकी यात्रा आराम और सुविधाजनक हो सके। तो हम नीचे जागेश्वर धाम की यात्रा में क्या क्या लेकर जाना चाहिए उसके बारे में बता रहे हैं। इसके अलावा उनके प्रोडक्ट की अमेज़न एफिलिएट लिंक लगा रहे हैं, जिसके द्वारा आप उन्हें खरीद सकते हैं…
ट्रैकिंग शूज
गर्म कपड़े
बैगपैक
डे-पैक
ट्रेवल टिप्स
- मंदिर में शांत वातावरण में दर्शन करने के लिए सुबह जल्दी दर्शन करें।
- धाम में प्लास्टिक को न ले जाये और स्वच्छता बनाये रखें।
- दर्शन करने के बाद आप आस-पास के लोकल गांव में घूमने जा सकते हैं और उनकी संस्कृति को जान सकते हैं।
- मंदिर के अंदर फोटो और वीडियो बनाना मना है तो ऐसा न करें।
- मंदिर में जाने से पहले सभ्य कपड़े पहने।