उत्तराखंड में बहुत से प्रसिद्ध मंदिर और गढ़ है जो पर्यटकों के लिए काफी पसंद आते हैं। उत्तराखंड में कुल 52 गढ़ हैं उन्ही में से एक गढ़ है, “भैरव गढ़” जिसे भैरव गढ़ी और लंगूर गढ़ी के नाम से जाना जाता है। इस ब्लॉग में हम भैरव गढ़ी के बारे में सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे। भैरव गढ़ी में लंगूर पर्वत पर महादेव के अवतार काल भैरव का मंदिर बना है। इसी वजह से कोटद्वार और लैंसडौन घूमने आने वाले पर्यटक “भैरव गढ़ी मंदिर” जाना जरूर पसंद करते हैं।
भैरव गढ़ी मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 2 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है जो इस यात्रा को और खूबसूरत बनाता है। हम इस ब्लॉग के माध्यम से भैरव गढ़ी मंदिर तक पहुंचने की और यहाँ घूमने की जानकारियों को आपसे साझा करेंगे। तो आइये जानते हैं भैरव गढ़ी मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारियों को…
विषय सूची
शार्ट जानकारी
जगह | भैरव गढ़ी मंदिर |
पता | लैंसडौन से 17 किलोमीटर दूर कीर्तिखाल उत्तराखंड |
ट्रेक डिस्टेंस | 2 किलोमीटर |
प्रसिद्ध होने का कारण | एक खूबसूरत ट्रेक के लिए और काल भैरव से जुड़े होने के कारण |
निकट रेलवे स्टेशन | ऋषिकेश रेलवे स्टेशन |
निकट एयरपोर्ट | जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून |
भैरव गढ़ी मंदिर कहाँ है?
भैरव गढ़ी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में लैंसडौन से 19 किलोमीटर दूर और कोटद्वार से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भैरव गढ़ी मंदिर भगवन शिव के अवतार काल भैरव को समर्पित है और यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको 2 किलोमीटर का एक पैदल ट्रेक पूरा करना होता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेक कीर्तिखाल से शुरू होता है जिसे पूरा करने में लगभग 1 घंटा लगता है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 2750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
भैरव गढ़ी और मंदिर का इतिहास
भैरव गढ़ी उत्तराखंड के 52 गढ़ में से एक है। इस गढ़ का इतिहास बहुत पुराना और गौरव पूर्ण हैं। ऐसा माना जाता है की जब 1802 में गोरखाओ ने उत्तराखंड के लगभग सभी गढ़ जीत लिए थे लेकिन गोरखा भैरव गढ़ जिसे पहले लंगूर गढ़ के नाम से भी जाना जाता है इसे कभी नहीं जीत पाए इसलिए इसे अजेय गढ़ के नाम से भी जाना जाता था।
गोरखा इस गढ़ को जीत तो कभी नहीं पाए लेकिन उनका आतंक बहुत था और वे यहाँ के लोगो को लूट और मार दिया करते थे। यहाँ के लोगो द्वारा बताया जाता है गोरखाओ से यहाँ के लोगो की रक्षा करने हेतु इस गढ़ पर काल भैरव का आगमन हुआ और उन्होंने यहाँ के लोगो की गोरखाओ से रक्षा की और कई वर्षो तक तपस्या की थी। मुख्य मंदिर से लगभग 200 से 300 मीटर की दूरी से पहले एक मंदिर बना हुआ है जहाँ काल भैरव की चरण पादुका के दर्शन किये जाते हैं और उसके बाद ही मुख्य मंदिर में दर्शन के लिए जाया जाता है।
भैरव गढ़ी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
भैरव गढ़ी मंदिर लंगूर पर्वत की सभी ऊँची चोटी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर का सुन्दर ट्रेक करना होता है जो बहुत ही सुन्दर गांव, हरे घास के मैदान और पेड़ पौधों के बीच से होकर जाता है। काल भैरव को उत्तराखंड के रक्षक के रूप में पूजा जाता है और ऐसा माना जाता है की काल भैरव सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं। भैरव गढ़ी मंदिर के प्रसिद्ध होने का एक कारण यह है की यहाँ हर साल जून के महीने दो दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
इसके साथ ही एक कारण और भी है इस मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर के पास में हनुमान गढ़ी मंदिर है जहाँ हर साल 15 जुलाई से 15 अगस्त तक मेले का आयोजन होता है जिसमे शामिल होने वाले पर्यटक हनुमान गढ़ी के बाद भैरव गढ़ी मंदिर भी आना पसंद करते हैं।
भैरव गढ़ी में कहाँ रुके?
यदि आप कोटद्वार घूमने आये हो तो आप कोटद्वार से सुबह में जल्दी अपनी इस यात्रा को शुरू कर सकते हैं और शाम तक वापस कोटद्वार आ सकते हैं। कोटद्वार से जाने वाले रूट पर आपको कोटद्वार के बाद दुगड्डा, और गुमखाल में रुकने के लिए स्टे मिल जायेंगे। यदि आप लैंसडौन वाले रूट से आते हैं तो आप लैंसडौन में रूम ले सकते हैं और यहाँ रुक सकते हैं। लैंसडौन से भैरव गढ़ी की दूरी मात्र 19 किलोमीटर की है जिसे आप एक दिन में आराम से पूरा कर लेंगे।
यदि आप अपने दोस्तों के साथ यहाँ की ट्रिप पर हो तो आप यहाँ कैंपिंग कर सकते हैं जो सबसे अच्छा विकल्प होता है। कीर्तिखाल या भैरव गढ़ी के आसपास कहीं भी आपको कैंपिंग का सामान नहीं मिलेगा इसलिए आपको कैंपिंग का सभी सामान खुद लेकर आना होगा।
भैरव गढ़ी मंदिर में प्रसाद क्या चढ़ता है?
भैरव गढ़ी में भगवान शिव के अवतार काल भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव को काली चीजे बहुत पसंद होती हैं इसलिए यहाँ इस मंदिर में काल भैरव को प्रसाद के रूप में मंडुवे का आटा चढ़ाया जाता है। जिसे पौड़ी में रोट के नाम से जाना जाता है।
भैरव गढ़ी का ट्रेक कैसा है?
भैरव गढ़ी मंदिर का ट्रेक कीर्तिखाल से शुरू होता है और यह लगभग 2 किलोमीटर का छोटा ट्रेक है। ट्रेक के शुरुआत में आपको कुछ खाने और प्रसाद की दुकाने देखने को मिल जाएँगी और शुरुआत का ट्रेक सीढ़ियों द्वारा शुरू होता है। ट्रेक ज्यादा कठिन नहीं आप इसे आराम से 1 घण्टे में हल्के-हल्के पूरा कर सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं एक गांव से होकर जाता है और दूसरा थोड़ा कच्चा रास्ते से होकर जाता है।
ट्रेक के रास्ते में आपको कोई भी खाने पीने की दुकाने नहीं मिलेंगी और कोई पानी का स्रोत भी नहीं है तो ट्रेक शुरू करने से पहले ही आप पानी और खाने की चीजे ले ले।
ट्रेक के शुरू में आपको माता वैष्णो देवी का मंदिर देखने को मिलेगा और उसके बाद ऊपर जाकर आपको काल भैरव के चरण पादुका के दर्शन करने को मिलेंगे और फिर आप मुख्य मंदिर में भगवान भैरव नाथ के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर के पास में आपको एक छोटी सी दूकान मिल जाएगी जहाँ से आप पानी और मैग्गी ले सकते हैं।
भैरव गढ़ी के आस पास स्थित पर्यटक स्थल
भैरव गढ़ी में दर्शन करने के बाद आप भैरव गढ़ी के आस पास कुछ प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं, जहाँ आप घूमने जा सकते हैं…
लैंसडौन
लैंसडौन से भैरव गढ़ी की दूरी मात्र 19 किलोमीटर है और आप इस यात्रा को आराम से आधे दिन में पूरा कर सकते हैं और शाम में आप लैंसडौन घूम सकते हैं। लैंसडौन उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटक क्षेत्र है जो लोगो को काफी पसंद आता है और यहाँ पर बहुत सी प्रसिद्ध जगहें हैं जहाँ आपको जाना चाहिए।
गुमखाल
गुमखाल भैरव गढ़ी जाने वाले रास्ते के बीच में ही पड़ता है। गुमखाल में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध यहाँ की मार्केट है। गुमखाल से हिमालयी रेंज के पहाड़ भी बहुत सुन्दर दिखयी पड़ते हैं और यहाँ पर बहुत से सेल्फी पॉइंट हैं जहाँ से लोग फोटो खींचना बहुत अधिक पसंद करते हैं। गुमखाल में बहुत सी पारम्परिक खाद्य जैसे- आर्गेनिक दाल, आर्गेनिक जूस, मंडुआ का आटा, काफल (मौसमी जामुन) आदि मिलते हैं जिन्हे आप खरीद सकते हैं।
हनूमान गढ़ी
भैरव गढ़ी से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हनुमान गढ़ी भी बहुत अधिक प्रसिद्ध है। मानसून के समय में यहाँ लगने वाला मेला सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होता है। यदि आप 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच में आते हैं तो हनुमान गढ़ी में लगने वाले मेले में जरूर शामिल हों।
भैरव गढ़ी कैसे पहुंचे?
भैरव गढ़ी उत्तरखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित है और यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले कोटद्वार या फिर लैंसडौन पहुंचना होगा। इन दोनों जगहों से आप गाड़ी बुक करके आसानी से भैरव गढ़ी तक पहुंच सकते हैं। कोटद्वार या लैंसडौन दोनों जगहों से शेयरिंग गाड़ी उपलब्ध नहीं है इसलिए आप गाड़ी बुक करके ही यहाँ तक पहुंच सकते हैं। भैरव गढ़ी मंदिर का बेस कैंप कीर्तिखाल है जहाँ से मंदिर तक का 2 किलोमीटर का ट्रेक शुरू होता है।
भैरव गढ़ी की ऋषिकेश से दूरी 80 किलोमीटर है। ऋषिकेश से आप टुकड़ो में कोटद्वार तक पहुंच सकते हैं उसके बाद भैरव गढ़ी तक आपको गाड़ी बुक करनी होगी। भैरव गढ़ी के सबसे निकट रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है और यदि आप फ्लाइट द्वारा आते हैं तो सबसे नजदीक एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो देहरादून में स्थित है।
भैरव गढ़ी की यात्रा के लिए कुछ आवश्यक बातें
- आप जब भैरव गढ़ी मंदिर का ट्रेक शुरू करे तो पानी की बोतल और खाने पीने की चीजे अपने साथ जरूर रखे।
- आप लैंसडौन या कोटद्वार में ही खाना पैक कर ले क्यूंकि भैरव गढ़ी में कोई भी खाने की दूकान नहीं है।
- आप लैंसडौन या कोटद्वार से ही गाड़ी बुक कर ले क्यूंकि शेयरिंग ऑटो या जीप की यहाँ सुविधा मौजूद नहीं है।