श्री सालासर बालाजी मंदिर की यात्रा की पूरी जानकारी (All information about visiting to amazing temple Shri Salasar Balaji)

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सालासर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान के भक्तो के लिए हमेशा से ही बहुत ही आस्था का केंद्र रहा है। हर वर्ष लाखो श्रद्धालु यहाँ इस मंदिर में भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। हम इस ब्लॉग में “श्री सालासर बालाजी मंदिर” की यात्रा की जानकारी और क्यों है ये देश का एक मात्र मंदिर जहाँ हैं दाढ़ी मूँछ वाले हनुमान जी की प्रतिमा इसके बारे में जानेगे।

सालासर बालाजी मंदिर

ये मंदिर कहाँ स्थित है? आप इस मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं? क्या है इस मंदिर का इतिहास? क्या है इस मंदिर से जुड़ी हुई कहानी? आपको क्यों इस मंदिर के प्रसाद को घर पर नहीं लाना चाहिए? इस मंदिर के आसपास की जगहों पर स्थित मंदिर जहाँ आप जा सकते हैं? आप सालासर में कहाँ रुक सकते हैं? सालासर का खाना कैसा है? और जाने से सम्बंधित सभी जानकारियों को इस ब्लॉग के माध्यम से जानेगे, तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़े और कमेंट के माध्यम से अपने विचारो को हमसे साझा करे।

Table of Contents

सालासर बालाजी मंदिर कहाँ स्थित है?

सालासर बालाजी मंदिर, राजस्थान के चूरू जिले में जयपुर और अंबाला के बीच राष्टीय राजमार्ग पर स्थित है। सालासर चूरू का एक छोटा सा हिस्सा है, जो सीकर से 57 किलोमीटर दूर, सुजानगढ़ से 24 किलोमीटर दूर, और रतनगढ़ से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। सालासर सुजानगढ़ की पंचायत समिति के अधिकार क्षेत्र में आता है। ये राजस्थान के सड़क परिवहन निगम की बस सेवा द्वारा दिल्ली, जयपुर, और बीकानेर से जुड़ा हुआ है।

सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास?

सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास संत शिरोमणी, सिद्धपुरुष भक्त प्रवर श्री मोहनदास जी से जुड़ा हुआ है। सालासर मंदिर का निर्माण सन 1759 में लगभग 268 वर्ष पूर्व हुआ था। सालासर मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 1811 श्रावण शुक्ला नवमी शनिवार के दिन हुई थी।

सालासर बालाजी मंदिर की कहानी

सालासर बालाजी मंदिर से जुड़ी हुयी कहानी बहुत ही अद्धभुत और भक्ति भाव की है। कहते हैं की राजस्थान के चूरू में हनुमान जी के एक बहुत बड़े भक्त मोहनदास अपनी बहन कान्हीबाई के घर रहते थे, जो हमेशा ही हनुमान जी के भक्ति में लीन रहते थे। एक बार हनुमान जी एक ब्राह्मण का वेश धारण करके उनके घर पर आये, लेकिन मोहनदास जी का वात्सल्य भाव को देख कर हुनमान जी वापस जाने लगे।

मोहनदास ने जब यह देखा तो वे भी हनुमान जी के पीछे जाने लगे। दूर कही जंगल में जाकर ब्राह्मण रुपी हनुमान जी ने मोहनदास से कहा मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हुआ, मांगो तुम्हे क्या चाहिए। मोहनदास जी ने कहा आप मेरे घर चले तभी मैं समझूंगा की आप मुझपर प्रसन्न हैं। हनुमान जी मोहनदास के साथ चले जाते हैं। मोहनदास हनुमान जी से उनके साथ रहने के लिए कहते हैं। मोहनदास के कहने पर हनुमान जी उनसे कहते हैं की मैं हमेशा सालासर में एक मूर्ति के रूप में हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा। इस वचन के साथ हनुमान जी अंतर्ध्यान हो जाते हैं।

कुछ दिनों बाद असोटा नामक गांव में एक किसान अपना खेत जोत रहा होता है की उसका हल किसी भारी चीज से टकराकर रुक जाता है। जब वह वहां खुदाई करता है तो उसे हनुमान जी की मूर्ति मिलती है। वह यह बात अपने गांव के ठाकुर को बताता है। रात में ठाकुर को हनुमान जी सपने में आकर बताते हैं की मैं अपने भक्त मोहनदास को दर्शन देने के लिए प्रकट हुआ हूँ और इस मूर्ति को सालासर में मोहनदास के पास पंहुचा दो।

ठाकुर मूर्ति को बैलगाड़ी में लेकर सालासर के लिए निकल पड़ता है। मोहनदास को जब यह पता चलता है तो वो कहते हैं जहाँ पर ये बैल रुकेंगे हम वही मूर्ति की स्थापना करेंगे। बैल एक टीले पर जाकर रुकते हैं।आज उसी टीले पर बालाजी का मंदिर बना हुआ है, और वही मूर्ति सालासर बालाजी मंदिर में स्थापित है। मोहनदास को हनुमान जी ने दाढ़ी मूंछ में एक ब्राह्मण रूप में दर्शन दिए थे। मोहनदास उसी रूप को ध्यान में रखकर उस मूर्ति का श्रृंगार करते हैं। इसलिए सिर्फ सालासर में ही हनुमान जी का एक मात्र मंदिर है जिसमे हनुमान जी की दाढ़ी मूंछ वाली मूर्ति है।

सालासर बालाजी मंदिर का प्रसाद घर क्यों नहीं लाया जाता है?

सालासर बालाजी मंदिर में प्रसाद को घर नहीं लेकर आया जाता है। यह माना जाता है की इस मंदिर में भूत प्रेत बाधाओं से छुटकारा मिलता है। कहते हैं की इस मंदिर में मिलने वाली किसी भी चीज को घर पर नहीं लाना चाहिए, ऐसा करने से भूत प्रेत का साया आपके ऊपर आ जाता है।

मंदिर के बाहर और अंदर का दृश्य

इस मंदिर में कुल 4 गेट हैं, जिसमे प्रवेश के लिए 3 गेट है और बाहर जाने के लिए 1 गेट है। मंदिर में प्रवेश करते ही आपको मंदिर कमिटी की ओर से कुछ प्रसाद की दुकाने देखने को मिलेंगी, जहाँ मंदिर में चढ़ाने के लिए प्रसाद मिलता है। सीढ़ियों से ऊपर जाते ही एक ओर स्थापित है हनुमान जी की दाढ़ी मूंछ वाली मूर्ति। मंदिर के एक ओर मोहनदास जी द्वारा प्रज्योलित अग्नि कुंड है जहाँ तब से लेकर अब तक अखंड ज्योति जलती है।

मंदिर के पास ही हनुमान जी के परम भक्त मोहनदास जी का भी मंदिर है, जहाँ आज भी मोहनदास जी के पैरो के निशान मौजूद हैं। कहते हैं इस मंदिर के दर्शन के बाद मोहनदास जी के मंदिर में जाना चाहिए। मोहनदास मंदिर में दर्शन के बाद ही ये यात्रा पूरी मानी जाती है।

सालासर का खाना?

सालासर बालाजी मंदिर के आसपास ही कई ढाबा, रेस्टोरेंट, चाय की दुकाने हैं। यहाँ आपको राजस्थानी, साउथ इंडिया, चाइनीज़, और जैन सभी तरह का खाना मिलता है। यहाँ आपको राजस्थानी खाने में दाल बाटी चूरमा, मिर्ची भाजी, गट्टे की सब्जी, और रसगुल्ला, आदि मिलता है।

अगर आप साउथ इंडियन खाने के इच्छुक हैं जैसे – इडली, डोसा और सांभर आदि, तो यहाँ कुछ रेस्त्रो में आपको इसका विकल्प भी मिलता है। हमारे देश में आज देश के कोने कोने में चाइनीज़ खाना मिलता है, तो आपको यहाँ भी दुकानों पर चाइनीज़ खाने के विकल्प भी मिल जायेंगे।

सालासर बालाजी मंदिर के पास होटल्स & धर्मशाला?

सालासर बालाजी मंदिर धाम में आपको रुकने के लिए बहुत ही अच्छे और सस्ते होटल्स और धर्मशालाए मिल जाएँगी। सालासर मंदिर के आसपास होटल्स & धर्मशालाओ के कई विकल्प मौजूद हैं। जहाँ मंदिर के बाहर हर गली में आपको छोटे छोटे होटल्स मिल जायेंगे। वही धर्मशाला भी मिल जाएँगी पर मंदिर के पास इतनी नहीं हैं। मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर दूर है अंजनी महादेवी जी का मंदिर जहाँ आपको बहुत ही अच्छी और सस्ती और AC रूम वाली धर्मशालाए मिल जाएँगी।

जिनमे कुछ धर्मशालाए और होटल्स के नाम हम नीचे बता रहे हैं:- सिरसा धर्मशाला, होटल सालासर बालाजी, सालासर गेस्ट हाउस, श्री बालाजी गार्डन एंड रिसोर्ट, बालाजी धर्मशाला, श्री सालासर हनुमान धर्मशाला आदि। जो आपके लिए बहुत ही आरामदायक और सस्ती होंगी। तो आपके लिए यहाँ आपके बजट के हिसाब से बहुत ही अच्छे होटल्स और धर्मशाला मिल जाएँगी।

आप सालासर बालाजी मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?

सालासर बालाजी मंदिर तक आप अपने कम्फर्ट के हिसाब से पहुंच सकते हैं की आप यहाँ किस प्रकार जाना चाहते हैं। यहाँ आप पर्सनल गाड़ी, प्राइवेट गाड़ी, बस, ट्रेन और हवाईजहाज द्वारा किस प्रकार पहुंच सकते हैं और कौन से रूट से आपको यहाँ जाना चाहिए। अब हम इसके बारे में जानेगे।

बस द्वारा सालासर बालाजी मंदिर तक कैसे पहुंचे?

अगर आप लोग बस द्वारा सालासर बालाजी मंदिर तक आना चाहते हैं तो सालासर के सबसे ज्यादा निकट बस स्टैंड चूरू बस स्टैंड है। जो की देश के कई बड़े शहरो के साथ जुड़ा हुआ है। आपको राजस्थान, दिल्ली और बीकानेर से सीधे बस सालासर के लिए मिल जाएँगी।

अगर आप किसी ऐसे शहर से आते हैं जहाँ से सीधे बस सालासर के लिए नहीं मिलती हैं तो आपको सबसे पहले जयपुर आना होगा यहाँ से आपको बहुत ही आसानी से सालासर के लिए बस मिल जाएँगी। जयपुर से सालासर की दूरी लगभग 170 किलोमीटर की है।

ट्रेन द्वारा सालासर बालाजी मंदिर तक कैसे पहुंचे?

सालासर के निकटवर्ती रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ है। जहाँ से सालासर मंदिर तक की रास्ता केवल 33-35 मिनट की है। सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन से सालासर बालाजी मंदिर की दूरी केवल 26 किलोमीटर की है। यहाँ से आगे का रास्ता आपको सड़कमार्ग द्वारा ही कम्पलीट करना होगा जो की वह आप वहां की लोकल गाड़ी द्वारा कम्पलीट कर सकते हैं।

हवाईजहाज द्वारा सालासर बालाजी मंदिर तक कैसे पहुंचे?

अगर आप सालासर हवाईजहाज द्वारा जाना चाहते हैं तो हम आपको बता दे की यहाँ कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। सालासर के सबसे ज्यादा निकट एयरपोर्ट जयपुर एयरपोर्ट है। जो देश के सभी एयरपोर्ट से जुड़ा हुआ है।

आप अगर भारत देश से या अन्य किसी देश से आते हैं। तो आपको जयपुर एयरपोर्ट पर उतरना होगा। यहाँ से आप टैक्सी और बसों द्वारा सालासर बालाजी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। जयपुर से सालासर की दूरी 170 किलोमीटर है जिसे पूरा करने में आपको लगभग 3 से 4 घंटे लगेंगे।

मंदिर के आसपास की जगह जहाँ आप घूम सकते हैं?

जब आप सालासर बालाजी मंदिर आये तो आपको उसके साथ साथ कुछ और मंदिरो में भी दर्शन करने के लिए और कुछ जगह घूमने जाना चाहिए। ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में हम जानेगे।

अंजना महादेवी मंदिर

सालासर बालाजी मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर है अंजना महादेवी मंदिर। अंजना देवी जो हनुमान जी की माता हैं, ये मंदिर उन्ही को समर्पित है। इस मंदिर में माता अंजनी की मूर्ति है और इसमें आपको हनुमान जी के भी दर्शन करने को मिल जायेंगे। इस मंदिर में आपको माता अंजनी की हनुमान जी को गोद में ली हुई प्रतिमा देखने को मिलेंगी। आप इस मंदिर तक पैदल और ऑटो द्वारा भी पहुंच सकते हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर

तिरुपति बालाजी मंदिर भी सालासर में ही स्थित है, जो की यहाँ काफी प्रसिद्ध है। ये मंदिर सालासर बालाजी मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर ही है। ये मंदिर अंजनी माता मंदिर के पास ही है, तो अंजनी माता मंदिर के बाद आप इस मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं।

श्री राम जानकी मंदिर

श्री राम जानकी मंदिर भी सालासर में ही स्थित है जो की तिरुपति और अंजनी माता के मंदिर के पास ही है। जहाँ भगवान राम के साथ लक्ष्मण और माता सीता की प्रतिमा विराजमान है। यहाँ इस मंदिर में आपको बहुत ही शांति का अनुभव होता है। यहाँ हनुमान जी की 20 फिट ऊँची प्रतिमा है जो की बहुत ही सुन्दर है।

खाटू श्याम मंदिर

सालासर में दर्शन करने के बाद आप यहाँ से लगभग 102 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खाटू श्याम मंदिर भी दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। जो की राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरो में से एक है। खाटू श्याम जिन्हे हारे का सहारा कहा जाता है।

इस मंदिर में पांडव में से भीम के पौत्र और घटोत्कच और मोरवी के पुत्र बर्बरीक की पूजा की जाती है। जिनके बारे में आप हमारे पिछले ब्लॉग में पढ़ सकते हैं। सालासर से आप प्राइवेट गाड़ी द्वारा खाटू श्याम जा सकते हैं।

जीण माता मंदिर

सालासर से जीण माता का मंदिर लगभग 74 किलोमीटर की दूरी पर है। तो आप सालासर मंदिर से जीण माता के मंदिर जा सकते हैं। ये मंदिर बहुत ही प्राचीन और माता के 51 शक्तिपीठ में से एक है। ये मंदिर अरावली पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर में तेल चढ़ाया जाता है। सालासर से आप बस या प्राइवेट गाड़ी द्वारा जीण माता के मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

कुछ ध्यान रखने योग्य बातें

  • आप अगर सालासर गर्मियों के दिनों में जातें हैं तो वहां पानी का ख़ास ध्यान रखे और वक़्त वक़्त पर पानी पीते रहें।
  • सालासर मंदिर में शाम की आरती को जरूर देखे, जो की बहुत ही सुन्दर होती है।
  • सालासर मंदिर में दर्शन के बाद मोहनदास जी के मंदिर भी जरूर जाये और वहां माथा टेके। ये यात्रा मोहनदास जी के मंदिर में दर्शन के बाद ही पूरी मानी जाती है।
  • इस मंदिर के बाद आप खाटू श्याम जा सकते है। यहाँ से आपको खाटू श्याम के लिए प्राइवेट और सरकारी दोनों बस मिल जाएँगी।
  • आप जब भी यहाँ जाए तो कुछ नियमित दवाई और कुछ खाने के लिए स्नैक्स अपने साथ रखे।

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