भारत में रहने वाले और सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लगभग प्रत्येक व्यक्ति को महाभारत युद्ध के बारे में पता होगा। यह तो सभी को पता है की यह युद्ध कौरवो और पांडवो के बीच हुआ था। इस युद्ध में लेने वाले योद्धाओ को हम कम ही जानते हैं, चाहे वो अस्वथामा हो या द्रोणाचार्य हो ऐसे ही इस युद्ध में भाग लेने वाले बहुत से पात्र हैं जिन्हे हम बहुत ही कम जानते हैं।
इस युद्ध में एक ऐसा योद्धा था जो पूरे युद्ध का परिणाम बदल सकता था, जिसे श्री कृष्ण द्वारा दिए गए वरदान की वजह से आज कलयुग में पूजा जाता है, जिन्हे हम श्री कृष्ण के नाम द्वारा ही जानते हैं और उन्हें पूजते हैं। हम बात कर रहे हैं, खाटू श्याम बाबा की, जिन्हे हारे का सहारा कहा जाता है और मंदिर को “खाटू श्याम मंदिर” के नाम से जाना जाता है। इस नाम के पीछे एक सुन्दर सी कहानी है जिसके बारे में हम अपने इस ब्लॉग में जानेगे।
हम इस ब्लॉग में राजस्थान में स्थित खाटू श्याम मंदिर के बारे में जानेगे। ये मंदिर कहाँ स्थित है? क्या है खाटू श्याम मंदिर का इतिहास? क्यों है खाटू श्याम मंदिर की इतनी मान्यता? खाटू श्याम कौन थे? आदि और भी बहुत सी इस मंदिर और बाबा खाटू श्याम से सम्बंधित जानकारी को जानेगे।
विषय सूची
खाटू श्याम मंदिर कहाँ स्थित है?
खाटू श्याम मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले के एक छोटे से गांव खाटू में स्थित है। ये मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जयपुर से आप खाटू श्याम मंदिर सड़कमार्ग और ट्रेन मार्ग द्वारा भी जा सकते हैं।
खाटू श्याम मंदिर का इतिहास?
खाटू श्याम मंदिर का इतिहास हज़ारो साल पुराना है। कहा जाता है की महाभारत युद्ध के बाद बर्बरीक जो पांडवो में भीम के पौत्र और घटोत्कच के बड़े पुत्र थे, उनके शीश को रूपवती नदी में प्रवाहित कर दिया गया। जो बहता हुआ राजस्थान के सीकर जिले में खाटू नामक गांव में दब गया। रूपवती नदी जो कुछ सालो के बाद सुख गयी और उसी जगह वो शीश दबा रहे गया।
कई वर्षो तक यह शीश यहीं दबा रहा और उसके बाद राधा नामक एक गाय जो दूध देने में असमर्थ थी जिसके कारण उसके मालिक ने उसे छोड़ दिया। वह गाय घूमती-घूमती उस जगह जा पहुंची जिस जगह बर्बरीक का शीश दबा हुआ था। उस स्थान पर पहुंचने के बाद उसके थनों से दूध बहने लगा। जब इस बात का पता खाटू के राजा को लगा तो उस जगह उन्होंने खुदाई कराई, जिसमे उन्हें एक शीश मिला।
शीश मिलने के बाद एक आकाशवाणी हुई और राजा को उस शीश की पूरी जानकारी मिली। जिसके बाद वहां के राजा ने एक मंदिर का निर्माण कराया और देवउठनी एकादशी के दिन उस शीश की मंदिर में स्थापना कराई। इसके बाद 1720 में अभय सिंह जी ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।
क्यों है इस मंदिर की इतनी मान्यता?
भारत देश में न जाने कितने ही मंदिर हैं और न जाने उन मंदिरो से सम्बंधित कितनी ही कहानियां, जो हर किसी के हिसाब से उसके धार्मिक भाव से जुड़ी हुई हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान में स्थित है, जहाँ महाभारत युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए एक पात्र “बर्बरीक” की श्री कृष्ण के रूप में पूजा की जाती है। जिन्हे लोग ज्यादतर “बाबा खाटू श्याम” के नाम से पुकारते हैं।
इन्हे हारे का सहारा कहा जाता है। जो भी हारा हुआ व्यक्ति सच्चे मन से यहाँ जो भी दुआ मांगता है उसे खाटू श्याम नरेश जरूर पूरा करते हैं। जो कोई भी हारा हुआ व्यक्ति सच्चे मन से तुम्हारे द्वार पर आएगा तुम उसके सहारा बनोगे, श्री कृष्ण के इसी वरदान की वजह से यहाँ इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है और इसी वजह से इस मंदिर की इतनी मान्यता है।
खाटू श्याम कौन थे?
खाटू श्याम द्वापर युग में हुए महाभारत युद्ध के ये एक अप्रत्यक्ष पात्र थे। ये पांडव में से भीम के पौत्र, घटोत्कच और माता मोरवी के पुत्र थे, जिन्हे उनके घुंघराले बालो की वजह से बर्बरीक नाम से पुकारा जाता था। बर्बरीक बहुत ही वीर योद्धा थे। श्री कृष्ण के वरदान की वजह से और खाटू में दबे मिले शीश की वजह से इन्हे “खाटू श्याम ” नाम से पुकारा जाता है।
खाटू श्याम को क्यों कहा जाता है ‘हारे का सहारा’?
खाटू श्याम जो की एक बहुत वीर योद्धा थे। कहते हैं की जब महाभारत युद्ध की घोषणा हुई तब घटोत्कच के सबसे बड़े पुत्र बर्बरीक की युद्ध में लड़ने की इच्छा हुई। बर्बरीक अपनी माता के सामने युद्ध में लड़ने की इच्छा प्रकट करते हैं, माता मोरवी बर्बरीक से पूछती हैं,” हे पुत्र तुम युद्ध में किसकी तरफ से लड़ोगे ” बर्बरीक माता से कहते हैं, ” माता जो पक्ष भी युद्ध में हारता होगा में उसी पक्ष की तरफ से युद्ध लडूंगा ” और यह कहकर वह करुक्षेत्र के तरफ चल पड़ते हैं।
युद्ध के दूसरे दिन बर्बरीक युद्ध क्षेत्र में पहुंच जाते हैं, जब दोनों सेनाएं बर्बरीक को देखती हैं तो सैनिक बर्बरीक से पूछने लगते हैं कि वह किस पक्ष की तरफ लड़ेंगे। बर्बरीक उनसे कहते हैं की मैं तो अभी सिर्फ युद्ध देखने आया हूँ और जब एक सेना निर्बल होगी और पराजय के करीब होगी तब मैं उसी की तरफ से युद्ध में भाग लूंगा। सैनिक उनसे पूछते हैं, “क्या तुम अकेले ही इस युद्ध में भाग लोगे या तुम्हारी कोई सेना भी है?” तब बर्बरीक कहते हैं,”मैं इस युद्ध में अकेले ही भाग लूंगा और अपने दो ही तीरो से इस युद्ध का परिणाम बदल दूंगा”। बर्बरीक की यह बात पूरे युद्ध क्षेत्र में फैल जाती है।
जब श्री कृष्ण को बर्बरीक के बारे में पता चलता है तो वह उनसे मिलने के लिए चले जाते हैं। श्री कृष्ण बर्बरीक से पूछते हैं तुम इन तीन वाणों से युद्ध कैसे लड़ोगे इस युद्ध में बहुत बलशाली योद्धा हैं। बर्बरीक कहते हैं की मैं अपने इन तीन वाणों से ही इस युद्ध का परिणाम बदल दूंगा।
तब श्री कृष्ण बर्बरीक से उनकी शक्ति दिखाने के लिए कहते हैं और एक पीपल के पेड़ के सभी पत्तो को भेदने के लिए कहते हैं। श्री कृष्ण एक पत्ते को अपने पैर के नीचे दबा लेते हैं। बर्बरीक पत्तो के तरफ तीर छोड़ते हैं और एक ही तीर से पीपल के सभी पत्तो को भेद देते हैं और तीर श्री कृष्ण के पैर के नीचे घूमने लगता है।
श्री कृष्ण बर्बरीक की इस वीरता को देख कर थोड़ा असमंजस में पड़ जाते हैं। अगले दिन श्री कृष्ण एक ब्राह्मण का रूप धारण करके बर्बरीक से उसका शीश दान में मांगते हैं, जिसके फलस्वरूप बर्बरीक अपना शीश श्री कृष्ण को दान में दे देते हैं। बर्बरीक की दानशीलता और बलिदान से प्रसन्न होकर, श्री कृष्ण उन्हें ये वरदान देते हैं की तुम कलयुग में मेरे नाम द्वारा ही पूजे जाओगे। जो भी हारा हुआ इंसान सच्चे मन से तुम्हारी पूजा करेगा तुम उसके सहारा बनोगे। इसी वजह से इन्हे “हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा “कहा जाता है।
हमे इस मंदिर में क्यों जाना चाहिए?
हमारे देश के कोने कोने में न जाने कितने मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर खाटू श्याम का है, जो राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है की ये मंदिर हारे हुए लोगो का सहारा है। कहते हैं जो भी व्यक्ति खाटू श्याम के दरबार में सच्चे मन से जाता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। कहते हैं श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए वरदान की वजह से खाटू श्याम सबका सहारा बनते हैं। तो आप एक बार इस मंदिर में जरूर जाये और वहां के वातावरण को महसूस करे जो की भक्तिमय होता है। जो एक दम मन को सुकून देने वाला होता है।
खाटू में रुकने के लिए होटल्स या धर्मशाला कैसी हैं?
खाटू इतना विकसित शहर तो नहीं है पर आपको अपने कम्फर्ट के हिसाब से यहां पर होटल्स और धर्मशालाए मिल जाएँगी। यहां पर सबसे अच्छी बात यह है की यहां पर धर्मशालाओ में आपको AC रूम मिल जायेंगे जो की बिलकुल ही किफायती रुपए में होते हैं। यहां आपको बहुत ही ज्यादा एक्सपेंसिव से लेकर बहुत ही चीप रुपए में रूम मिल जायेंगे। मंदिर के आसपास के कुछ होटल्स और धर्मशालाए निम्न हैं :- राधे की हवेली, श्री खाटू श्याम सरकार चैरिटेबल ट्रस्ट, सवांरियाँ धर्मशाला, हैदराबाद धर्मशाला, खाटू श्याम धर्मशाला आदि।
खाटू का खाना?
खाटू में सबसे ज्यादा राजस्थानी खाना मिलता है। यहां पर बहुत से होटल्स हैं जहाँ आपको आपके पसंद का खाना मिल जायेगा पर अगर राजस्थान आकर राजस्थानी खाना नहीं खाया तो फायदा ही क्या।
यहां आपको मुख्यता दाल बाटी चूरमा, कलाकंद, मिर्ची बड़ा, और भी बहुत सा राजस्थानी खाना मिलता है। यहाँ सुबह में नास्ते में बेसन की कढ़ी के साथ मिलने वाली पूरी बहुत ही टेस्टी होती है। कढ़ी पूरी यहां का सबसे ज्यादा सुबह में किये जाने वाला नास्ता है। आप जब भी खाटू श्याम मंदिर जाये तो यहां का ये नास्ता जरूर करे।
आप इस मंदिर तक किस प्रकार पहुंच सकते हैं?
आप खाटू श्याम मंदिर तक बस, ट्रेन और हवाईजहाज़ द्वारा जा सकते हैं। यहाँ की सबसे अच्छी बात यही है की आपको यहाँ मंदिर तक जाने पर ज्यादा पैदल नहीं चलना पड़ता है। यहां पर सभी उम्र के लोग आ सकते है जिन्हे मंदिर तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होगी। खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में है। यह रींगस टाउन से सिर्फ 18 किलोमीटर पर है। तो आईये जानते हैं की आप किन माध्यमों से किस प्रकार खाटू श्याम मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
हवाईजहाज़ द्वारा खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचे?
अगर आप खाटू श्याम मंदिर हवाईजहाज द्वारा जाना चाहते हैं तो हम आपको बता दे की खाटू श्याम में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। यहाँ से सबसे नजदीक एयरपोर्ट जयपुर एयरपोर्ट है, जो की खाटू श्याम से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से आगे की यात्रा आप टैक्सी और बस द्वारा सड़कमार्ग से कम्पलीट कर सकते हैं।
ट्रेन द्वारा खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचे?
अगर आप खाटू श्याम मंदिर ट्रेन द्वारा जाना चाहते हैं तो खाटू श्याम में कोई स्टेशन भी नहीं है। यहां से सबसे नजदीक स्टेशन रींगस स्टेशन है, जो की खाटू से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन रींगस स्टेशन केवल राजस्थान, सूरत, मुंबई, अहमदाबाद और चंडीगढ़ से ही जुड़ा हुआ है।
अगर आप इन जगहों के अलावा किसी और जगह से आते हैं तो आपको जयपुर स्टेशन ही आना होगा और फिर वहां से सड़कमार्ग द्वारा आप खाटू श्याम पहुंच सकते हैं या फिर आप जयपुर स्टेशन से रींगस स्टेशन आ सकते हैं उसके बाद रींगस से सड़कमार्ग द्वारा आप खाटू श्याम मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
बस द्वारा खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचे?
खाटू एक छोटा सा शहर है जो देश के बड़े शहरो से बस मार्ग द्वारा नहीं जुड़ा हुआ है। अगर आप राजस्थान से हैं तो आप ट्रेन और बस द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं लेकिन अगर आप किसी और राज्य से आते हैं तो आपको सबसे पहले जयपुर ही आना होगा क्यूंकि यहां से आपको बहुत ही सुगमता से खाटू के लिए बस और प्राइवेट गाड़ी मिल जाएँगी।
मंदिर के आसपास की जगह जहाँ आप जा सकते हैं?
आप जब भी खाटू आये तो खाटू श्याम मंदिर में दर्शन करने के बाद आप यहां की कुछ और फेमस जगहों पर भी जा सकते हैं। जिनके बारे में हम नीचे जानेगे की आप और कहाँ कहाँ और कैसे जा सकते हैं
श्री श्याम कुंड
खाटू श्याम मंदिर के पास ही है- श्री श्याम कुंड। कहते हैं की यह वही कुंड है जहाँ बर्बरीक का शीश मिला था। इस कुंड का जल बहुत ही पवित्र माना जाता है। यहां लोग कुंड में स्नान करते हैं।
यहां के लोगो का कहना है की इस कुंड में स्नान करने से आपके सरे दुःख खत्म हो जाते हैं। ये कुंड अंडाकार आकर्ति में बना हुआ है। इसी कुंड के परिसर में लेफ्ट साइड में बना हुआ है प्राचीन श्याम कुंड , जिसे अब महिला कुंड भी कहा जाता है। जहाँ अब सिर्फ महिलाये स्नान करती हैं।
श्री श्याम वाटिका
खाटू श्याम मंदिर के बायीं और एक फूलो का बगीचा है, जिसे श्री श्याम वाटिका कहते हैं। यह वाटिका बहुत से तरह के फूलो से सजी हुई है। इसी वाटिका के फूलो से खाटू श्याम का श्रृंगार किया जाता है शायद इसलिए इसे श्री श्याम वाटिका कहा जाता है।
श्री सालासर बालाजी मंदिर
खाटू शयाम मंदिर में दर्शन करने के बाद आप यहां से लगभग 102 किलोमीटर की दुरी पर स्थित श्री सालासर बालाजी के मंदिर भी जा सकते हैं, जो राजस्थान के चूरू जिले में सुजानगढ़ क्षेत्र में है। भारत का यही एक ऐसा मंदिर है जहाँ हनुमान जी की दाढ़ी मूछ वाली मूर्ति है। कहते हैं इस मूर्ति की स्थापना आज से लगभग 268 साल पहले हुई थी।
इस मंदिर की एक रोचक कहानी है। यहाँ के लोग बताते हैं की यहां पर एक संत मोहनदास महाराज अपनी बहन कान्ही बाई के यहां भोजन कर रहे थे की तभी हनुमान जी उन्हें एक ब्राह्मण रूप में दर्शन देते हैं। संत मोहनदास ने हनुमान जी को दाढ़ी मूछ में देखा तो इसी वेश में हनुमान जी की प्रतिमा का श्रृंगार किया। आज सालासर मंदिर में मोहनदास द्वारा श्रृंगार की गयी मूर्ति ही स्थापित है, जिसकी पूजा की जाती है।
जीण माता मंदिर
खाटू श्याम मंदिर से आप जीण माता के मंदिर में भी दर्शन करने के लिए जा सकते है। जीण माता का मंदिर खाटू श्याम से लगभग 34 किलोमीटर की दूरी पर है। जहाँ आप प्राइवेट गाड़ी द्वारा जा सकते हैं। ये मंदिर बहुत ही प्राचीन है और माता के 51 शक्तिपीठो में से एक है।
इस मंदिर से देखने पर एक ओर रेवासा की झील तो दूसरी ओर अरावली पर्वत दिखाई देता है। इस मंदिर में तेल चढ़ाया जाता हैa। मंदिर के मुख्य द्वार के अंदर एक ओर घी से जली ज्योत तो दूसरी ओर तेल से जलती हुई ज्योत दिखाई देती है। तो आप खाटू श्याम से इस मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं।
वीर हनुमान मंदिर
वीर हनुमान मंदिर खाटू से लगभग 66 किलोमीटर की दूरी पर है। जिसे आप वहां की लोकल गाड़ी द्वारा भी पूरा कर सकते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 1100 सीढियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ लोग दूर दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर राजस्थान के समोद में बना हुआ है।
गोल्डन वाटर पार्क
अगर आप खाटू श्याम गर्मियों में जाते हो तो गोल्डन वाटर पार्क एक बहुत ही अच्छी जगह है आपके लिए मस्ती करने की। जो राजस्थान के सीकर जिले में ही है। इसे खाटू वाटर पार्क के नाम से भी जाना जाता है। ये खाटू में ही नहीं पुरे राजस्थान में बहुत ही ज्यादा फेमस है। गर्मियों में यहाँ पर पूरे राजस्थान से लोग वाटर पार्क में मस्ती करते हुए दिख जायेंगे। वाटर पार्क में एंट्री फीस एडल्ट के लिए 400 रुपए और बच्चो के लिए 250 रुपए है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
- आप अगर खाटू श्याम गर्मियों में जाते हैं तो ग्लुकोन डी और कुछ नियमित दवाई जरूर साथ रखे क्यूंकि यहाँ पानी की कमी से डिहाइड्रेशन की कमी हो सकती है।
- यहाँ जाते वक़्त अपने साथ कैप, सनग्लास, छाता जरूर रखे, क्यूंकि यहाँ गर्मी बहुत पड़ती है, तो ये आपको गर्मी से बचाने में सहायता करेंगी।
- यहाँ मौसम दिन में गर्म तो रात में ठंडा रहता है, तो उसी के हिसाब से कपड़े रखे और अपनी हेल्थ का भी खास ख्याल रखे।
- ये मंदिर साल में हर दिन खुला रहता है तो आप यहाँ कभी भी जा सकते हैं।
Thank you 🌸This guidelines 🙂
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