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बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड से सम्बंधित सभी जानकारी, मंदिर कहाँ है? कैसे पहुंचे? कहाँ रुके? आदि

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भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित सबसे पवित्र धामों में से चार धाम मंदिरो का बहुत अधिक महत्व है। चार धाम मंदिर में- केदारनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, गंगोत्री मंदिर और यमुनोत्री मंदिर शामिल हैं। चार धाम मंदिर में से एक बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस ब्लॉग में हम बद्रीनाथ मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे। आप कैसे 2024 में इस यात्रा को कर सकते हैं और बद्रीनाथ धाम से जुड़ी सभी जानकरियों को विस्तार पूर्वक जानेगे।

बद्रीनाथ मंदिर के नाम से ही यहाँ के आस पास के क्षेत्र को बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ मंदिर के निर्माण और इस मंदिर से जुड़ी हुई बहुत से कहानियां बताई जाती हैं। हम इन सभी बातों को बहुत ही विस्तार से जानेगे। तो आईये जानते हैं बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा से जुड़ी सभी जानकारियों को…

Interactive Index

शार्ट जानकारी

जगह बद्रीनाथ मंदिर
पताउत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के किनारे बद्रीनाथ में
प्रसिद्ध होने का कारणचार धाम मंदिर में से एक और भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने से मिलने वाले मोक्ष के कारण
मंदिर में दर्शन का समयसुबह – 4:00 बजे से 12:00 बजे तक और
शाम – 3:00 बजे से रात 9:00 बजे तक
मंदिर खुलने का समयमंदिर हर साल मई से अप्रैल में खुलता है और नवंबर में बंद होता है ( 12 मई 2024 से नवंबर 2024 तक)
निकट रेलवे स्टेशनऋषिकेश रेलवे स्टेशन और हरिद्वार रेलवे स्टेशन
निकट एयरपोर्टजॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून

बद्रीनाथ मंदिर कहाँ है?

बद्रीनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित बद्रीनाथ धाम में है। यह मंदिर उत्तराखंड के चार धाम मंदिरो में से एक है। हरिद्वार से बद्रीनाथ की दूरी 312 किलोमीटर है, जिसे आपको सड़कमार्ग द्वारा ही पूरा करना होगा। यह मंदिर 3133 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय के पर्वत मालाओ के बीच स्थित है।

बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास

बद्रीनाथ मंदिर सदियों पुराना माना जाता है और इस मंदिर का उल्लेख हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथो में भी मिलता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण 7 से 8 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा कराया गया। मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति के बारे में कहा जाता है की इसे इस मंदिर में स्वयं देवताओ ने स्थापित किया था। ऐसा भी माना जाता है की इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को आदि शंकराचार्य ने मंदिर के बाहर स्थित नारद कुंड से निकालकर एक गुफा में स्थापित किया था और फिर सोलहवीं शताब्दी में गढ़वाल के राजा द्वारा मूर्ति को गुफा से निकालकर वर्तमान मंदिर में स्थापित किया गया।

यह मंदिर अधिक ऊंचाई पर स्थित है जिस कारण से यहाँ होने वाले हिमस्खलन और भूकंप की वजह से मंदिर को बहुत बार छति पहुंची है, और हर बार एक नयी ऊर्जा के साथ मंदिर दुबारा बन कर खड़ा हुआ। यहाँ 1803 में आये हुए भूकंप की वजह से मंदिर बहुत अधिक छति पहुंची थी। मंदिर को बाद में जयपुर के राजा द्वारा पुनर्निर्मित करवाया गया।

बद्रीनाथ मंदिर की कहानी

बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी हुयी बहुत सी पौराणिक कहानिया हैं जिनसे इस मंदिर को जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है की एक बार नारद मुनि जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु के पैर दबाते हुए देख लिया था। जब नारद मुनि भगवान विष्णु को यह बात बताते हैं तो भगवान विष्णु अपने आप को अपराध का भोगी मान लेते हैं और हिमालय में एक जगह तपस्या करने लगते हैं। तपस्या में लीन भगवान विष्णु हिम (बर्फ) से ढक जाते हैं जिसे देख माता लक्ष्मी एक बद्री (वेर) का रूप लेकर भगवान विष्णु को हिम से बचाती हैं।

जब भगवान विष्णु अपनी तपस्या पूरी करके अपनी आँख खोलते हैं तो माता लक्ष्मी को बद्री वृक्ष के रूप में देखते हैं जो हिम से पूरी तरह से ढका चूका होता है। तब भगवान विष्णु माता से प्रसन्न होकर उनसे कहते हैं की आज से ये जगह “बद्री के नाथ” के रूप में जानी जाएगी यानि बद्रीनाथ के रूप में जानी जाएगी।

एक और पौराणिक कहानी की माने तो भगवान विष्णु को तपस्या करनी थी तो वो किसी जगह की तलाश में थे। जब वह इस जगह पहुंचे तो उन्हें ये जगह बहुत पसंद आयी तो उन्होंने एक बच्चे का रूप धारण करके इस जगह रोने लगे। जब माता पार्वती ने एक बच्चे को रोते देखा तो उसे शांत करने का प्रयास करने लगी। जिससे उस बालक ने माता से इस जगह को ध्यान करने के लिए मांग लिया। जो आज बद्रीविशाल रूप में विख्यात है।

बद्रीनाथ मंदिर के खुलने की तारीख

उत्तराखंड में स्थित चार धाम मंदिर साल में 6 महीने खुलते हैं और 6 महीने बंद रहते हैं। ये मंदिर अप्रैल-मई के बीच खोले जाते हैं और नवंबर में अधिक ठण्ड पड़ने पर 6 महीनो के लिए बंद कर दिए जाते हैं। 2024 में मार्च के महीने में शिवरात्रि के दिन चार धाम मंदिरो के खुलने की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। बद्रीनाथ मंदिर 12 मई 2024 को पूरे विधि विधान से खोल दिया जायेगा।

चार धाम मंदिर के खुलने की तारीख

केदारनाथ मंदिर10 मई 2024
बद्रीनाथ मंदिर12 मई 2024
गंगोत्री मंदिर10 मई 2024
यमुनोत्री मंदिर10 मई 2024

बद्रीनाथ मंदिर के अंदर का विवरण

मंदिर में भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने के लिए सुबह में सबसे ज्यादा भक्तो की भीड़ रहती है। आपको बद्रीनाथ धाम में अलकनंदा नदी पर बने पूल से होकर मंदिर में दर्शन करने के लिए लगी श्रद्धालुओ की लाइन में लगना होगा। भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने के पश्चात आप मंदिर में बने श्री लक्ष्मी मंदिर में दर्शन करे। मंदिर में और भी बहुत से छोटे मंदिर बने हुए हैं जैसे- हनुमान मंदिर, नर नारायण मंदिर और क्षेत्रपाल घंटाकर्ण जी का मंदिर है जिनके आपको दर्शन करने चाहिए।

बद्रीनाथ मंदिर में दर्शन का समय

बद्रीनाथ धाम में भगवान बद्री विशाल के दर्शन का समय आपको जरूर पता होना चाहिए। यदि आप किसी प्राइवेट गाड़ी को बुक करके आये हैं तब तो आपको मंदिर में दर्शन के समय के बारे में जरूर पता होना चाहिए। मंदिर में दर्शन करने का समय…

  • सुबह में- 4:00 बजे से 12:00 तक आप दर्शन कर सकते हो।
  • दोपहर में – 12:00 बजे से 3:00 बजे तक मंदिर बंद रहता है।
  • शाम में – 3:00 बजे से 9:00 बजे तक आप दर्शन कर सकते हो।

तो यदि आप हरिद्वार या ऋषिकेश से गाड़ी बुक करके दर्शन करने आये हैं तो मंदिर में दर्शन करने के समय को जरूर ध्यान में रखे।

बद्रीनाथ मंदिर में आरती में शामिल होने का विवरण

बद्रीनाथ मंदिर में होने वाली आरती में अगर आप शामिल होना चाहते हैं तो आपको आरती में शामिल होने के लिए एक पर्ची लेनी होती है। यदि आप मंदिर में कोई विशेष पूजा कराना चाहते हो तो उसके लिए आपको मंदिर में कुछ दक्षिणा देनी होगी उसके बाद ही मंदिर में आपके लिए पूजा का आयोजन किया जायेगा। हम मंदिर में होने वाली आरती का समय और प्रति व्यक्ति काटे जाने वाली पर्ची का विवरण नीचे दे रहे हैं उसे ध्यान से पढ़े…

सुबह 4:30 बजे से 6:30 बजे तक होने वाली पूजा

  • महाअभिषेक पूजा – 4300/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • अभिषेक पूजा – 4100/- रुपये प्रति व्यक्ति

7:30 बजे से 12 बजे तक और 3 बजे से 6 बजे तक

  • वेद पाठ- 2100/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • गीता पाठ- 2400/- रुपये प्रति व्यक्ति

शाम की आरती और अर्चना पाठ (6 बजे से 9 बजे तक शाम में)

  • कर्पर आरती- 151/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • चांदी आरती- 351/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • स्वर्ण आरती- 376/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • अष्टोत्तरी पूजा- 351/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • विष्णुसहस्त्रनाम पाठ- 456/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • विष्णुसहस्त्रनामावली- 576/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • शयन आरती गीत गोविंदा पाठ सहित- 3100/- रुपये प्रति व्यक्ति

प्रमुख (विशिष्ट पूजाएं) पूजा

  • श्रीमद भागवत सप्ताह पाठ- 35101/- रुपये प्रति व्यक्ति
  • एक दिन की सम्पूर्ण पूजा- 11700/- रुपये प्रति व्यक्ति

बद्रीनाथ धाम में बना नारद कुंड

यदि आप लोग केदारनाथ गए होंगे तो आपने केदारनाथ में बने गौरी कुंड को तो देखा होगा। जिसमे हमेशा पानी गर्म रहता है। ऐसा ही कुंड बद्रीनाथ धाम में भी है जिसे नारद कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड का जल भी हमेशा गर्म ही रहता है। बद्रीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करने के बाद ही बद्रीनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं।

बद्रीनाथ धाम में कहाँ रुके?

बद्रीनाथ धाम का प्लान बनाते समय हमारे मन में एक सवाल यह आता है की, हम बद्रीनाथ में सस्ते बजट में कहाँ रुके? तो आप जब भी बद्रीनाथ मंदिर का प्लान करे तो आप GMVN सरकारी गेस्ट हाउस को लगभग 1 से 2 महीने पहले बुक कर दे। इससे आपको कम बजट में एक अच्छा रूम मिल जायेगा। यदि आप पहले से रूम बुक नहीं करते हैं तो आपको बद्रीनाथ में सस्ते और अच्छे रूम ढूढ़ने में थोड़ी दिक्कत होगी या फिर बद्रीनाथ में न रुक कर आप जोशीमठ में रुके। यहाँ रुकना अच्छा रहता है और यहाँ आपको कम बजट में एक अच्छा रूम मिल जायेगा।

बद्रीनाथ धाम के आस पास के दर्शनीय स्थल

बद्रीनाथ धाम आकर मंदिर में दर्शन करने के बाद आपको इसके आस पास में स्थित कुछ और दर्शनीय स्थलों पर जाना चाहिए। बद्रीनाथ धाम के पास में लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक माणा गांव है। जिसे देश का प्रथम गांव के नाम से जाना जाता है। इस गांव में बहुत से धार्मिक पवित्र मंदिर और स्थान हैं जिन्हे आपको देखना चाहिए जैसे- गणेश गुफा, वेद व्यास गुफा, भीम पूल, सतोपंथ झील, वसुधारा झरना, द्रोपदी मंदिर आदि। बद्रीनाथ धाम के पास ही माता मूर्ति मंदिर और घंटाकर्ण मंदिर जैसे मंदिर हैं जहाँ आपको दर्शन करने चाहिए।

बद्रीनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट साल में सिर्फ 6 महीनो के लिए खुलते हैं और 6 महीने कपाट बंद रहते हैं। इस साल मंदिर के कपाट 12 मई 2024 को भक्तो के लिए खोल दिए जायेंगे। मंदिर मई में खुलकर नवंबर के शुरू में बंद होगा तो इस बीच में आप कभी भी बद्री विशाल के दर्शन कर सकते हो। यदि बद्रीनाथ धाम में जाने के सबसे अच्छे समय की बात करे तो वो है मंदिर के कपाट खुलने से लेकर जुलाई की शुरू तक उसके बाद यहाँ मानसून आ जाता है और लैंड स्लाइड का खतरा बढ़ जाता है।

मानसून जाने के बाद आप अगस्त के लास्ट या सितम्बर से नवंबर में जब तक कपाट बंद नहीं होते तब तक बद्रीनाथ धाम आ सकते हैं और बद्री विशाल के दर्शन कर सकते हैं।

बद्रीनाथ धाम कैसे पहुंचे?

अब यदि हम बद्रीनाथ धाम में पहुंचने की बात करे तो आप सड़कमार्ग द्वारा बस शेयरिंग टैक्सी या जीप द्वारा बद्रीनाथ धाम आराम से पहुंच सकते हैं। अब हम बद्रीनाथ धाम कैसे पहुंच सकते हैं उसके बारे में विस्तार से जानेगे…

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

उत्तराखंड में स्थित मंदिरो और वहां स्थित हिल स्टेशन पर जाने और घूमने का मजा अपनी गाड़ी से ही आता है। तो यदि आपके पास अपनी गाड़ी है तो आप बद्रीनाथ धाम अपनी गाड़ी से ही जाए। आप बद्रीनाथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा भी आसानी से पहुंच सकते हैं। बद्रीनाथ के लिए आपको प्राइवेट गाड़ी हरिद्वार और ऋषिकेश से मिल जाएँगी।

यदि आप शेयरिंग जीप से बद्रीनाथ जाना चाहते हो तो आपको टुकड़ो में जाना होगा। सबसे पहले आपको हरिद्वार से रुद्रप्रयाग आना होगा और फिर वहां से जोशीमठ और जोशीमठ से जीप द्वारा आप आसानी से बद्रीनाथ धाम पहुंच सकते हो। शेयरिंग जीप का खर्च आपका 700 रुपये से 1000 रुपये की बीच हो सकता है।

हरिद्वार से जोशीमठ के लिए सरकारी बस भी आपको मिल जाएगी जिसका किराया लगभग 500 रुपये होता है। हरिद्वार से जोशीमठ की दूरी 275 किलोमीटर है, इस दूरी को पूरा करने में लगभग 7 से 8 घंटे लगते हैं। हरिद्वार से जोशीमठ के लिए बस सुबह में लगभग 6 से 7 बजे के बीच मिलती हैं तो समय से पहले ही आप बस अड्डे पर पहुंच जाए। जोशीमठ से बद्रीनाथ मंदिर की दूरी 41 किलोमीटर है जिसे आपको शेयरिंग जीप द्वारा पूरा करना होगा।

हरिद्वार से स्कूटी या बाइक रेंट पर लेकर

हरिद्वार और ऋषिकेश से आपको गाड़ियां भी रेंट पर मिल जाएँगी। जिनकी सहायता से आप बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा को पूरा कर सकते हैं। आपको यहाँ पर बाइक, स्कूटी, हिमालयन बाइक आदि मिल जाएँगी जिनका किराया 500 से 2000 रुपये प्रति दिन के हिसाब से होता है।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप उत्तराखंड से बाहर के हैं और आप ट्रेन द्वारा आना चाहते हो तो मैं आपको बता दूं की बद्रीनाथ में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है। बद्रीनाथ के सबसे निकट रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन और हरिद्वार रेलवे स्टेशन है। आप यहाँ से बद्रीनाथ की बाकि की दूरी को सड़कमार्ग द्वारा पूरा कर सकते हो।

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप बद्रीनाथ फ्लाइट द्वारा आना चाहते हो तो बद्रीनाथ में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। बद्रीनाथ के सबसे नजदीक एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो देहरादून में स्थित है। देहरादून से बद्रीनाथ धाम तक की बाकि की दूरी को सड़कमार्ग द्वारा पूरा करना होगा। आप इस यात्रा को सड़कमार्ग द्वारा कैसे पूरा कर सकते हैं उसके बारे में मैं ऊपर पहले ही बता चूका हूँ।


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