भारत का उत्तराखंड राज्य देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहाँ बने हुए मंदिर जितने पुराने और प्राचीन हैं उतना ही यहाँ बसे हुए गांव भी। देवभूमि में बने हुए मंदिर सबसे ज्यादा महाभारत काल से और पांडवो से जुड़े हुए हैं, महाभारत काल में बने हुए मंदिर आज भी मौजूद हैं और अपनी अस्तित्व को आज भी बनाये रखे हुए हैं। चाहे वो पंच केदार मंदिर हों,(केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, मध्येश्वरनाथ, कल्पेश्वरनाथ) या गुप्तकाशी के त्रियुगीनारायण मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर। उत्तराखंड की एक-एक जगह किसी न किसी एक पौराणिक कहानी द्वारा ही सम्बंधित है।
हम इस ब्लॉग में मंदिर की तो नहीं लेकिन एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है जिसके साक्ष्य आज भी मौजूद हैं, और यह भारत का उत्तराखंड का अंतिम और पहला गांव भी कहलाता है। हम बात कर रहे हैं “माणा गांव” की। यह गांव बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और पांडवो से जुड़े होने के कारण आस्था का केंद्र है।
यह जितना आस्था का केंद्र है उससे कही अधिक अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। तो आईये जानते हैं इस गांव से सम्बंधित सभी जानकारियों को। जिससे आप जब भी बद्रीनाथ जाए तो इस गांव में भी घूम के आये।
विषय सूची
माणा गांव कहाँ है?
माणा गांव भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में माना दर्रे में स्थित है। यहाँ स्थित अलकनंदा नदी और सरस्वती नदी का संगम इस गांव की खूबसूरती को और बढ़ाता है। यह गांव बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहाँ से राष्टीय राजमार्ग 7 गुजरता है।
यह समुद्र तल से 19000 फिट की ऊंचाई पर बसा हुआ एक पौराणिक और प्राकृतिक वादियों से घिरा हुआ गांव है। इस गांव में भोटिया (मंगोल जनजाति) के लोग रहते हैं। इस गांव की आबादी लगभग 2000 की है।
माणा गांव की महाभारत काल से जुड़ी हुयी कहानी
इस गांव का उल्लेख महाभारत में मिलता है। यहाँ के बारे में कहा जाता है की यही वह गांव है जहाँ से होकर पांडव स्वर्ग की ओर गए थे। जब पांडव अपने पापो से मुक्त होकर सह शरीर स्वर्ग जाना चाहते थे तो वो इस गांव में बहने वाली सरस्वती नदी को पार करके गए थे। इस गांव में बना हुआ भीम पुल इस बात की आज भी गवाही देता है। कहते हैं की जब पांडव सरस्वती नदी को पार करना चाहते थे तो उन्होंने सरस्वती नदी से निवेदन किया की वह अपना वेग कम कर ले लेकिन सरस्वती नदी उनके निवेदन को ठुकरा देती हैं।
पांडव में से भीम अपने बल की शक्ति को दिखाते हुए पहाड़ से दो बड़ी शिलाओं को उठाकर नदी के बीच में रख देते हैं, जिससे सभी पांडव अपनी पत्नी द्रोपदी सहित नदी को पार करते हैं। आज सरस्वती नदी पर पड़ी उन दो शिलाओं को महाभारत काल का ही बताया जाता है।
वहीं इस गांव में बनी गणेश गुफा और व्यास गुफा के बारे में बताया जाता है की इस गांव में ही महर्षि व्यास जी ने महाभारत और पुराणों को मौखिक रूप से बताया था और भगवान गणेश ने इन सभी की लिखित रूप में रचना की थी। आज इन गुफाओ में महर्षि व्यास जी का और गणेश जी का मंदिर बना हुआ है।
माणा गांव क्यों प्रसिद्ध है?
यह गांव पांडवो से जुड़े होने के कारण, भगवान गणेश और महर्षि व्यास के यहाँ पुराणों की रचना और अपनी प्राकृतिक खूबसूरती की वजह से प्रसिद्ध है। यह गांव बद्रीनाथ धाम के निकट होने के कारण और महाभारत काल से जुड़े साक्ष्य की वजह से भी बहुत ही प्रसिद्ध है। इस गांव में आप गणेश गुफा, व्यास गुफा, अलकनंदा नदी और सरस्वती नदी के अद्धभुत संगम को भी को देख सकते हैं।
यह गांव यहाँ होने वाले ट्रेक्स के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ से वसुधारा झरना ट्रेक, सतोपंथ ट्रेक और स्वर्गारोहिणी ट्रेक आदि ट्रेक किये जा सकते हैं। यह सभी ट्रेक जितने खूबसूरत हैं उतना ही ये पौराणिक कहानियों से जुड़े हुए भी हैं। तो आप अगर इन ट्रेक्स को करना चाहते हैं तो आपको इनके लिए जोशीमठ से परमिशन लेनी होती है।
माणा गांव को अंतिम गांव क्यों कहा जाता है?
यह गांव भारत के उत्तराखंड राज्य में है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में पड़ने वाला आखरी गांव है उसके कुछ किलोमीटर के बाद चीन का बॉर्डर पड़ता है इसलिए इस गांव को भारत का अंतिम गांव कहा जाता है। वर्ष 2023 में मोदी जी के आगमन पर उन्होंने इस गांव को देश के आखरी गांव की जगह प्रथम गांव बोलने की सलहा दी थी उसके बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा इस गांव को अब माणा देश का प्रथम गांव के नाम से जाना जाता है।
माणा गांव में कहाँ रुके?
आप जब चार धाम की यात्रा पर हों तो बद्रीनाथ धाम में दर्शन करने के पश्चात आप एक रात रुकना चाहते हों तो आप माणा गांव में रुक सकते हैं। माणा गांव में कुछ होम स्टे हैं, जिनका किराया 1500 से 2000 हो सकता है। आप यहाँ होने वाले ट्रेक के लिए आ रहे हैं तो आपने जिस भी ट्रेकिंग कंपनी से संपर्क किया है वो सारा इंतज़ाम करा देते हैं। यदि आपको यहाँ पर रूम ज्यादा महंगे लगे तो आप बद्रीनाथ में भी रुक सकते हैं।
माणा गांव आने का सबसे अच्छा समय
माणा गांव आने का सबसे अच्छा समय बद्रीनाथ धाम के कपट खुलने के बाद का है। यहाँ ज्यादातर पर्यटक या श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद ही आते हैं। मई से नवंबर के बीच का समय यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस बीच में पड़ने वाला मानसून का समय थोड़ा सा ख़राब रहता है बरना यह पूरा समय यहाँ आने के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। मई से जून के बीच में आपको मौसम एक दम बिलकुल साफ़ मिलेगा और नवंबर में आप यहाँ बर्फवारी को देख सकते हैं।
माणा गांव कैसे पहुंचे?
माणा गांव तक आप बस, प्राइवेट टैक्सी और अपनी गाड़ी द्वारा पहुंच सकते हैं। यदि हम फ्लाइट और ट्रेन की बात करे तो आप इनके द्वारा माणा गांव तक का आधा सफर ही तय कर सकते हैं बाकि का आधा सफर आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरा करना होगा। तो आईये जानते हैं की आप किस प्रकार से यहाँ तक पहुंच सकते हैं….
फ्लाइट द्वारा माणा गांव कैसे पहुंचे?
यदि आप उत्तराखंड से बाहर के हैं और आप इस जगह फ्लाइट द्वारा आना चाहते हैं तो माणा गांव के सबसे निकट एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून है। यहाँ के लिए फ्लाइट आपको दिल्ली, चंडीगढ़ और देश के बाकि बड़े ऐरपोर्टो से मिल जाएगी। देहरादून से माणा गांव की दूरी 332 किलोमीटर की है जिसे सड़कमार्ग द्वारा पूरा करने में आपको लगभग 10 से 11 घण्टे लगेंगे।
दिल्ली से देहरादून की दूरी फ्लाइट द्वारा 202 किलोमीटर है और चंडीगढ़ से यह दूरी 129 किलोमीटर की है। देहरादून से आपको प्राइवेट टैक्सी, जीप, स्कार्पियो आदि गाड़ी किराये पर मिल जाएँगी जिनकी सहायता से आप इस गांव तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा माणा गांव कैसे पहुंचे?
अगर आप फ्लाइट द्वारा ज्यादा खर्चा न करके ट्रेन द्वारा यहाँ आना चाहते हैं तो इस गांव के आधे सफर को आप ट्रेन द्वारा भी पूरा कर सकते हैं। इस गांव के सबसे निकट रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है और देहरादून रेलवे स्टेशन है। इन दोनों स्टेशनो के लिए आपको ट्रेन आपके शहर के रेलवे स्टेशन से मिल जाएँगी। यदि आपके यहाँ से इन जगहों के लिए ट्रेन नहीं मिलती हैं तो आप दिल्ली या आपके पास के स्थान जहाँ से ट्रेन मिले, वहां से आप ट्रेन द्वारा यहाँ आ सकते हैं।
ऋषिकेश या देहरादून आने के बाद आप यहाँ से अपने लिए गाड़ी बुक कर सकते हैं। यहाँ से चार धाम के लिए गाड़ी किराये पर मिलती हैं। ऋषिकेश से माणा गांव की दूरी 296 किलोमीटर है जिसे पूरा करने में आपको 9 से 10 घंटे लगेंगे। तो आप यहाँ से आसानी से माणा गांव गाड़ी द्वारा आ सकते हैं।
बस द्वारा माणा गांव कैसे पहुंचे?
पहाड़ो का सफर तय करने के लिए जो सबसे अच्छा साधन है वो है बस द्वारा या फिर अपनी गाड़ी द्वारा। बस द्वारा पहाड़ो का सफर तय करने में जो मज़ा आता है वो किसी और में नहीं है। तो यदि आप यहाँ बस द्वारा आना चाहते हैं तो आप सबसे पहले ऋषिकेश या देहरादून पहुंचे। वहां से आपको सुबह में प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह की बसे जोशीमठ के लिए मिल जाएँगी।
देहरादून से जोशीमठ तक की दूरी 287 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में 8 से 9 घंटे लगेंगे। जोशीमठ से माणा गांव के लिए नियमित तौर पर प्राइवेट टैक्सी मिलती रहती हैं। यदि आप देहरादून से सीधे माणा गांव प्राइवेट गाड़ी द्वारा आना चाहते हैं तो आप इसके द्वारा भी आ सकते हैं। जिसका किराया 750 रुपये होता है।
अपने वाहन द्वारा या चार धाम पैकेज द्वारा?
यदि आप चार धाम की यात्रा पर हैं तो आपको बद्रीनाथ धाम में दर्शन के बाद माणा गांव जरूर आना चाहिए। यदि आप अपने वाहन द्वारा इन जगहों के लिए आ रहे हैं तब तो आपको यहाँ आने में कोई भी दिक्कत नहीं होगी और आप माणा गांव तक आसानी से आ सकते हैं। यदि आप बद्रीनाथ से माणा गांव प्राइवेट गाड़ी द्वारा जाना चाहते हैं तो आप प्रति व्यक्ति 50 रुपये देकर जा सकते हैं। आपने चार धाम के लिए गाड़ी बुक की है तो उससे इस गांव में घूमने की भी बात कर ले जो फायदेमंद रहता है।
माणा गांव में घूमने की कुछ फेमस जगह और ट्रेकिंग ट्रेक्स
आप जब माणा गांव आये तो यहाँ के कुछ फेमस जगह और ट्रेक्स पर जरूर जाए। तो आईये जानते हैं माणा गांव की कुछ फेमस जगह…
गणेश गुफा
माणा गांव के लोगो का मानना है की यही वह गांव है जहां महाभारत और पुराणों की रचना की गयी थी। महाभारत को भगवान गणेश ने लिखा था और महर्षि व्यास जी ने इसे सुनाया था। यहाँ बनी गणेश गुफा इस बात का प्रमाण देती हैं। अब गुफा पर एक पक्का मंदिर बना दिया गया है, जिसमे अब भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है। तो आप इस गुफा में दर्शन के लिए जा सकते हैं।
व्यास गुफा
गणेश गुफा से पहले व्यास गुफा पड़ती है। यहाँ पर दो पक्के मंदिर बना दिए गए हैं, जिसमे एक में एक काले कलर का पत्थर रखा हुआ है जिसके बारे में कहा जाता है की यह पहले भोजपत्र था जो कलयुग के प्रभाव से पत्थर बन गया। अगर आप इस गुफा को भी देखंगे तो आपको ऐसा लगे जैसे यह कोई किताब हो जो किताब के पन्नो की तरह दिखाई देती है।
भीम पुल
आप इस गांव में सरस्वती नदी पर भीम द्वारा बनाया गया भीम पुल को भी देख सकते हैं। भीम पुल के बारे में कहा जाता है की जब पांडव स्वर्ग सशरीर जा रहे थे तो वो यहाँ बहे रही सरस्वती नदी को पार करना चाहते थे लेकिन नदी का बहाव तेज़ होने के कारण द्रोपदी ठीक तरह से नदी पार नहीं कर पा रही थी तब भीम ने एक बड़े पत्थर को उठा कर नदी पर रख दिया जिससे पुल का निर्माण हुआ। जो की आज भी इस गांव में देखा जा सकता है।
माता मूर्ति मंदिर
आप जब इस गांव से वसुधारा झरने के ट्रेक को करेंगे तो आपको माता मूर्ति के दर्शन भी करने चाहिए। यहाँ की मान्यता है की इस गांव में आने के बाद माता मूर्ति के दर्शन जरूर करने चाहिए तो आप इस ट्रेक के दौरान माता मूर्ति के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।
वसुधारा ट्रेक
आप जब इस गांव में घूमने के लिए आये तो वसुधारा झरने को भी देखने जरूर जाए। इस गांव से आपको वसुधारा झरने के लिए पैदल ट्रेक करना होगा। माणा गांव से वसुधारा झरने तक का ट्रेक लगभग 5 किलोमीटर का है। इस झरने के बारे में कहा जाता है की इस झरने का पानी किसी भी पापी पर नहीं गिरता है। तो आप इस ट्रेक को भी कर सकते हैं।
सतोपंथ ट्रेक
सतोपंथ ट्रेक भी इसी गांव से शुरू होता है, लेकिन इस ट्रेक को आप किसी ट्रेकिंग कंपनी की सहायता से ही करे। इस ट्रेक को करने में आपको लगभग 4 से 5 दिन लगते हैं। जो बहुत ही सुन्दर ट्रेक है तो आप इस ट्रेक को भी कर सकते हैं। इस ट्रेक के लिए जोशीमठ से परमिशन लेनी होती है तभी आप इस ट्रेक को कर सकते हैं।
स्वर्गरोहिणी ट्रेक
स्वर्गारोहिणी ट्रेक के बारे में कहा जाता है की यह वही रास्ता है जिस रास्ते से होकर पांडव स्वर्ग की ओर गए थे। यह ट्रेक लगभग 25 किलोमीटर का है जिसे पूरा करने में 5 से 6 दिन लग सकते हैं। तो आप इस ट्रेक को भी किसी ट्रेकिंग कंपनी की सहायता से कर सकते हैं। इस ट्रेक के लिए आपको परमिशन की आवश्यकता होती है इसलिए आप इसे ट्रेकिंग कंपनी की सहायता से ही करे।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
- आप जब बद्रीनाथ धाम में दर्शन करने के लिए आये तो आप इस गांव में जरूर विजिट करे।
- यहाँ बनी हिंदुस्तान की आखरी या पहली दूकान पर अपना फोटो जरूर खिचाये।
- यहाँ आप वसुधारा ट्रेक को ही अकेले कर सकते हैं बाकि के ट्रेक्स को करने के लिए आपको परमिशन की आवश्यकता होती है।
- यदि आप मना दर्रे में घूमना चाहते हैं तो आपको जोशीमठ से परमिशन लेनी होगी।
- यदि आपको यहाँ पर रूम ज्यादा महंगे लग रहे हैं तो आप बद्रीनाथ में भी रुक सकते हैं।
Very nice 👍