Mawryngkhang Trek Meghalaya | मेघालय के सबसे खतरनाक बम्बू ट्रेक की सभी जानकारी

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मेघालय भारत का पूर्वोत्तर राज्य है। मेघालय अपनी खूबसूरती और पुरानी शैली द्वारा बनायीं गयी वस्तुओं के लिए अत्यधिक जाना जाता है। यह राज्य भारत के और पर्यटक राज्य जैसे- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और जम्मू कश्मीर जितने पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध तो नहीं है पर यह राज्य इन राज्यों के मुक़ाबले कई गुना सुन्दर जरूर है। मेघालय में ऐसी बहुत सी जगह हैं जो किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। यहाँ पहाड़ो की खूबसूरती तो नदियों में बहते पानी की आवाज़ तो जंगलो में पक्षियों की चहचहाट मंत्र मुग्ध करने वाली होती है।

मेघालय के खूबसूरत पहाड़ो के बीच के ऐसा छिपा हुआ ट्रेक है जिसे मेघालय का सबसे खतरनाक ट्रेक कहा जाता है। हम बात कर रहे हैं “बम्बू ट्रेक”(The Bamboo Trek) की जिसे “मॉरिंगखांग ट्रेक” (Mawryngkhang Trek) के नाम से भी जाना जाता है। यह ट्रेक जितना खतरनाक है उससे कहीं ज्यादा सुन्दर है।

पत्थरो और नदी पर बना हुआ बांस का पूल, जिसे बम्बू पूल कहते हैं।

यह ट्रेक उन लोगो के लिए है जो प्रकृति को बहुत करीब से देखना और जीना चाहते हैं। मॉरिंगखांग एक चट्टान का नाम है, जिसकी एक बहुत सुन्दर लव स्टोरी बताई जाती है। इस ब्लॉग में हम इस चट्टान की कहानी और इस ट्रेक से सम्बंधित जानकारी को आपसे साझा करेंगे। तो आईये जानते हैं इस ट्रेक के बारे में….

कुछ बेसिक जानकारी

ट्रेक (Trek)बम्बू ट्रेक या मॉरिंगखांग ट्रेक (Bamboo Trek or Mawryngkhang Trek)
ट्रेक फी (Trek Fee)एडल्ट 100 रुपये & चाइल्ड 50 रुपये (Adult- 100Rs & Child- 50Rs)
ट्रेक डिस्टेंस (Trek Distance)2 से 3 किलोमीटर (2 to 3 Km)
ट्रेक कठिनाई (Trek Difficulty)मध्यम से कठिन (Medium to Difficult)
ट्रेक समय (Trek Duration)3 से 4 घंटे (3 to 4 Hours)
ट्रेक बेस विलेज (Trek Base Village)वाह खेन विलेज (Wahkhen Village)
निकट एयरपोर्ट (Nearest Airport)शिल्लोंग एयरपोर्ट (Shillong Airport)
निकट रेलवे स्टेशन (Nearest Railway Station)गुवाहाटी रेलवे स्टेशन (Guwahati Railway Station)

बम्बू ट्रेक (Mawryngkhang Trek) कहां हैं?

यदि आप इस ट्रेक को करना चाहते हैं तो आपको मेघालय के शिल्लोंग से 44 किलोमीटर दूर वाह खेन गांव (Wahkhen Village) में स्थित है। यह मेघालय का सबसे सुन्दर और खतरनाक ट्रेक में से एक है। इस ट्रेक की दूरी लगभग 2 से 3 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में आपको 3 से 4 घंटे लगेंगे।

बांस द्वारा बना बम्बू ब्रिज जिससे होकर मॉरिंगखांग चट्टान के टॉप पर जाया जाता है।

यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको शिल्लोंग से प्राइवेट कैब, टैक्सी शेयरिंग और बस मिल जाएँगी। वाह खेन गांव जो बम्बू ट्रेक का बेस विलेज है वह शिल्लोंग से 44 किलोमीटर, चेररापुंजी से 51 किलोमीटर, द्वकि से 62 किलोमीटर और मौसिनराम से 75 किलोमीटर दूर स्थित है।

मोरिंगखांग क्या है?

मॉरिंगखांग एक चट्टान का नाम है। इस चट्टान की एक बहुत ही खूबसूरत लव स्टोरी बताई जाती है, जिसके बारे में हम आगे जानेगे। इस चट्टान तक पहुंचने के लिए आपको वाह खेन गांव से ट्रेक शुरू करना होगा जो की लगभग 2 से 3 किलोमीटर का है। इस चट्टान तक पहुंचने के लिए आपको पहाड़ो पर टूरिज्म ट्रेकिंग टीम और गांव के लोगो द्वारा बनाये गए बांस के पूल से होकर जाना होता है। जिसकी वजह से इसे बम्बू ट्रेक के नाम से भी जाना जाता है।

क्या है मॉरिंगखांग चट्टान की लव स्टोरी?

यहाँ के लोगो द्वारा इस चट्टान की एक बहुत ही खूबसूरत कहानी बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है की मॉरिंगखांग एक बहुत ही शक्ति शाली पत्थर था जिसने सभी पत्थरो को हराकर राजा का ताज हासिल कर लिया था। मॉरिंगखांग को एक दूसरे किंगडम के एक पत्थर कथियंग से प्यार हो जाता है। मॉरिंगखांग अपने प्यार को हासिल करने में लग जाता है, लेकिन मॉरिंगखांग के प्यार के बीच में खलनायक के तौर पर एक और पत्थर मॉपटोर आ जाता है। मॉपटोर को भी कथियंग से प्यार हो जाता है और वो भी उसे पाने के लिए निकल पड़ता है।

जब मॉरिंगखांग और मॉपटोर का आमना-सामना होता है तो दोनों के बीच युद्ध शुरू हो जाता है। मॉपटोर युद्ध में मॉरिंगखांग की बायीं भुजा पर बहुत तेज़ी से बार करता है और उसकी भुजा को तोड़ देता है। लेकिन अंत में आके मॉरिंगखांग मॉपटोर पर जवाबी हमला करता है और मॉपटोर का सिर को तोड़ देता है जो नीचे खाई में जा गिरता है और मॉपटोर का अंत होता है। तो कुछ इस प्रकार मॉरिंगखांग अपने प्यार को पा लेता है।

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बम्बू ट्रेक की एंट्री फी कितनी है?

यदि आप मेघालय में हैं और आप इस ट्रेक को करना चाहते हैं तो आपको इसे करने के लिए कुछ एंट्री फी देनी होती है। इस ट्रेक को टूरिज्म ट्रेकिंग टीम ने 2017 में वाह खेन(Wahkhen village) के लोगो को जीवन यपान करने के लिए और पर्यटन को मजबूत करने के लिए यहाँ बांस के पूल का निर्माण किया था। यहाँ के लोकल लोगो द्वारा ट्रेक की एंट्री फी ली जाती है, जो एडल्ट के लिए 100 रुपये पर पर्सन, बच्चो के लिए 50 रुपये होती है। ये शुल्क देने के बाद ही आपको इस ट्रेक को करने की अनुमति दी जाती है।

बम्बू ट्रेक कितना लम्बा है?

बम्बू ट्रेक जिसे मॉरिंगखांग ट्रेक भी कहते हैं। यह ट्रेक वाह खेन गांव से शुरू होता है। इस ट्रेक की लम्बाई लगभग 2 से 3 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में आपको लगभग 3 से 4 घंटे लगेंगे। वैसे ये आप पर भी निर्भर करता है की आप ट्रेक के दौरान कहाँ-कहाँ रुकते हैं और किस गति से आप इस पूरे ट्रेक को करते हैं।

मेघालय के बम्बू ट्रेक की शुरुआत। यहाँ से बम्बू के पूल से ट्रेक शुरू होता है

बम्बू ट्रेक कितना कठिन है?

इस ट्रेक को मध्यम से कठिन के बीच रखा गया है। यह ट्रेक शुरू में तो कुछ आसान है लेकिन जैसे-जैसे आप ट्रेक में आगे बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे ही ये ट्रेक कठिन होता जाता है। इस ट्रेक की लम्बाई तो इतनी अधिक नहीं है पर यहाँ आपको चट्टान पर बांस के द्वारा बनाये गए पूल से होकर जाना होता है जिसमे नीचे की और बहुत गहरी खाई होती है। यदि आपको ऊंचाई से डर लगता है तो इस ट्रेक को बिलकुल भी न करे।

चट्टान के सहारे बंधा गया बांस का पूल साथ में खूबसूरत पहाड़ो का दर्शय

जितना खूबसूरत यह ट्रेक है उतना ही खतरनाक भी है, क्यूंकि इस ट्रेक के दौरान आपको चट्टानों के बीचे से होकर जाना होता है और बीच में बने बांस के पूल जो एक दम से खड़ी चढ़ाई पर चढ़ने के लिए कहते हैं। इस ट्रेक का जो सबसे कठिन भाग है वो ट्रेक का सबसे लास्ट भाग है जिसमे आपको बांस के पूल पर एक दम से खड़ी चढ़ाई करनी होती है। जो सबसे ज्यादा चुनौती पूर्ण है। इस ट्रेक को करते हुए कुछ चीजों का खास ख्याल रखे की यदि आप ग्रुप में हैं तो बांस के पूल को एक-एक करके ही पार करे न की एक साथ करे।

आप जब भी किसी ट्रेक को करते हैं तो उसमे जब तक कुछ कठनाई न हो तब तक ट्रेक का मज़ा भी नहीं आता है। आप जब इस ट्रेक की सभी कठनाईयो को पार करके इस ट्रेक को पूरा करते हैं तो आपको प्रकृति की एक खास सुंदरता नज़र आती है। ट्रेक को पूरा करके मॉरिंगखांग चट्टान से आपको मॉपटोर चट्टान का सिर दिखाई देता है। साथ ही आपको पहाड़ो की खूबसूरती और नदियों के साथ पंछियों की आवाज़े आपको इस जगह में के दम से मंत्र मुग्ध कर देती हैं।

बम्बू ट्रेक के दौरान कहाँ रुके?

आप जब भी इस ट्रेक को करे तो समय का जरूर ध्यान रखे। इस ट्रेक को करने में आपको लगभग 3 से 4 घंटे लगेंगे तो उसी हिसाब से इस ट्रेक को करे। यह ट्रेक वाह खेन गांव से शुरू होता है। यदि आप इस ट्रेक को करते समय लेट हो जाते हैं तो मैं आपको बता दूं की वाह खेन गांव में रुकने की कोई भी व्यवस्था नहीं है। वाह खेन गांव में न तो कोई होटल है और न ही कोई गेस्ट हॉउस तो आप इस ट्रेक को जल्दी शुरू करके जल्दी ही पूरा करे। यही सबसे अच्छा रहता है।

ट्रेक के दौरान खाना?

आप जब भी इस ट्रेक को करे तो आप अपने साथ कुछ हल्की खाने की चीजे जरूर रखे। इस ट्रेक के दौरान आपको कोई भी खाने की दूकान नहीं मिलेगी तो आपको बीच ट्रेक में खाने के लिए कुछ चीजे अपने साथ रखनी चाहिए। वाह खेन गांव में भी सड़क के किनारे ही कुछ खाने की दुकाने हैं और यहाँ होटल या रेस्ट्रोरेंट नहीं हैं तो आप पहले ही खाने से सम्बंधित चीजे शिल्लोंग में अपने साथ रख ले।

बम्बू ट्रेक को करने का सबसे अच्छा समय

वैसे तो आप इस ट्रेक को कभी भी कर सकते हैं लेकिन इस ट्रेक को करने का जो सही समय माना जाता है वह गर्मियों में या फिर मानसून के बाद का है। यहाँ आपको सीजन के हिसाब से अलग अलग नज़ारे देखने को मिलते हैं। गर्मियों में इस ट्रेक को करते वक़्त आप अपने साथ पानी की बोतल जरूर रखे क्यूंकि इस समय में आपको पानी की बहुत जरुरत होगी।

आप किसी भी समय में इस ट्रेक को करे तो कुछ हल्के कपड़े पहन कर ही इस ट्रेक को करे क्यूंकि इस ट्रेक को करते वक़्त आपको काफी चलना पड़ता है जिससे आपको बहुत पसीना आ सकता है तो हल्के कपड़े जल्दी से सूख सकते हैं इसलिए आपको हल्के कपड़े पहनने चाहिए।

वाह खेन(Wahkhen Village) गांव कैसे पहुंचे?

इस ट्रेक को करने के लिए आपको वाह खेन गांव पहुंचना होगा। आप किन-किन साधनो द्वारा वाह खेन गांव तक पहुंच सकते हैं अब हम उसके बारे में जानेगे…

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यहाँ तक पहुंचने का जो सबसे अच्छा और आसान तरीका है वह सड़कमार्ग द्वारा है। वाह खेन गांव शिल्लोंग से 44 किलोमीटर दूर स्थित है। शिल्लोंग मेघालय की राजधानी है और यहाँ से आपको वाह खेन गांव के लिए बस, कैब या शेयरिंग कैब मिल जाएँगी। आप अपने शहर से सबसे पहले शिल्लोंग पहुंचे वहां से आप वाह खेन गांव आराम से पहुंच जायेंगे। शिल्लोंग से वाह खेन गांव तक पहुंचने में आपको लगभग 100 रुपये का किराया लग सकता है।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

मेघालय राज्य में सिर्फ एक रेलवे स्टेशन है। जिसके कारण मेघालय रेल मार्ग द्वारा नहीं जुड़ा हुआ है। यदि आप यहाँ रेलमार्ग द्वारा पहुंचना चाहते हैं तो शिल्लोंग और वाह खेन गांव के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन गुवाहाटी रेलवे स्टेशन है जो असम में स्थित है। गुवाहाटी से शिल्लोंग की दूरी 100 किलोमीटर है जिसे आप सड़कमार्ग द्वारा आराम से पूरा कर सकते हैं।

हवाई मार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप यहाँ हवाईमार्ग द्वारा आना चाहते हैं तो आप शिल्लोंग तक फ्लाइट द्वारा आ सकते हैं। वाह खेन गांव के सबसे नजदीक एयरपोर्ट शिल्लोंग एयरपोर्ट है। जो देश के बाकि बड़े एयरपोर्ट्स से अच्छे से जुड़ा हुआ है। शिल्लोंग के लिए फ्लाइट आपको देश की राजधानी दिल्ली से मिल जाएगी और आपको असम के गुवाहाटी एयरपोर्ट से भी नियमित तौर पर शिल्लोंग के लिए फ्लाइट मिल जाएँगी।

ट्रेक के दौरान कुछ ध्यान रखने योग्य बातें

  • इस ट्रेक को करने से पहले आप समय का खास ख्याल रखे। इस ट्रेक को दिन में जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी शुरू करे क्यूंकि यहाँ शाम को अँधेरा बहुत जल्दी हो जाता है पहाड़ो से घिरे होने के कारण तो इस चीज को ध्यान में जरूर रखे।
  • ट्रेक के दौरान कुछ खाने की चीजे अपने साथ जरूर रखे क्यूंकि ट्रेक में कोई भी खाने की शॉप नहीं है।
  • आप ट्रेक को करते वक़्त अपने साथ ज्यादा सामान न रखे और कुछ हल्के कपड़े पहन कर ही इस ट्रेक को करे।
  • ट्रेक में अपने साथ एक पानी की बोतल को जरूर रखे और ट्रेक के बीच-बीच में पानी पीते रहें जिससे आपको डिहाइड्रेशन नहीं होगी।
  • आप ट्रेक के दौरान कोई भी पॉलीथिन या प्लास्टिक बोतल को न फेकें इसे उसकी उचित जगह पर ही फेकें।

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