अगर आप ट्रेकिंग के शौक़ीन हैं और आप सर्दियों के समय में कोई ट्रेक करना चाहते हैं तो आप “केदारकांठा ट्रेक” को कर सकते हैं। जिसका धार्मिक महत्व भी बहुत है, जिसका उल्लेख महाभारत में मिलता है। इस जगह की कहानी महाभारत के पांडवो और भगवान शिव से जुड़ी हुयी है। जब सभी ट्रेक सर्दियों में लगभग बंद कर दिए जाते हैं लेकिन ये ट्रेक फिर भी खुला रहता है और इस ट्रेक को आसानी से पूरा किया जा सकता है। जो व्यक्ति अपना पहला ट्रेक करना चाहता है तो उसके लिए केदारकांठा ट्रेक पहला ट्रेक हो सकता है।
इस ट्रेक के दौरान आपको जितना फिजिकली तैयार होना होता है उतना ही मेंटली भी, क्यूंकि जब भी हम किसी ट्रेक या कहीं घूमने का प्लान करते हैं तो ये जरुरी नहीं होता है की सारी चीजे आपके प्लान के अनुसार हो इसलिए आपको मेनटेली तैयार भी रहना चाहिए। इस ट्रेक को आप कैसे कर सकते हैं, ट्रेक की सभी चीजों को हम नीचे विस्तार से जानेगे।
विषय सूची
केदारकांठा ट्रेक कहाँ है?
केदारकांठा उत्तराखंड के उत्तरकाशी के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ये ट्रेक गोविन्द वन्यजीव अभ्यारण्य के अंतर्गत आता है। ये उत्तराखंड के सर्दियों में किये जाने वाले सबसे सुन्दर ट्रेक में से एक है। यह ट्रेक सर्दियों में अधिकतर किया जाता है। जहाँ उत्तराखंड के अधिकतर ट्रेक सर्दियों में अधिक बर्फवारी के वजह से बंद हो जाते हैं लेकिन ये ट्रेक फिर भी खुला रहता है।
केदारकांठा का अर्थ क्या है?
इस जगह को पहले केदारकंठ कहा जाता था जिसका अर्थ है- केदार का मतलब होता है- भगवान शिव और कंठ का मतलब होता है – गला, यानी भगवान शिव का गला। ये जगह भगवान शिव से जुड़ी हुई है इसलिए इस जगह का नाम केदारकंठ पड़ा और आज इसे केदारकांठा के नाम से जाना जाता है।
क्या है केदारकांठा से जुड़ी हुई पौराणिक कहानी?
इस जगह का जिक्र हमे केदारखंड में मिलता है, जिसका सीधा सम्बन्ध महाभारत के पात्र पांडव और भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। कहते हैं जब महाभारत में पांडवो द्वारा अपने भाइयो और गुरुजनो का वध हुआ तो वे सभी भाई भ्रात और ब्राह्मण हत्या के दोषी बन गए थे। जिन दोषो से वे सभी मुक्त होना चाहते थे। सभी पांडव भाई महर्षि व्यास जी के पास पहुंचते हैं और अपने दोषो से मुक्त होने का उपाए पूछते हैं। महर्षि व्यास जी उन्हें भगवान शिव की आराधना करने के लिए कहते हैं, और भगवान शिव से मिलकर ही तुम अपने दोषो से मुक्त हो सकते हो ऐसा कहते हैं।
सभी पांडव भगवान शिव से मिलने के लिए काशी जा पहुंचते हैं, लेकिन भगवान शिव सभी पांडवो से उनके द्वारा किये गए इस कार्य से नाराज़ थे इसलिए वे काशी से निकलकर उत्तराखंड में गुप्तकाशी में जा छिपते हैं। जब पांडवो को भगवान शिव के दर्शन नहीं होते हैं तो वे सभी भगवान शिव से मिलने के लिए उनकी खोज में निकल पड़ते हैं। जब भगवान शिव को पता चलता है की पांडव उन्हें खोजते हुए गुप्तकाशी आ पहुंचे तो वे एक वहां से निकलकर एक पहाड़ पर जाकर ध्यान करने बैठ जाते हैं।
भगवान शिव जिस जगह ध्यान करने बैठते हैं उसी के पास कुछ चरवाह अपने पशुओ को चरा रहे होते हैं जिनके शोर से भगवान शिव के ध्यान में विघन पड़ता है जिससे भगवान शिव वहां से निकलकर केदारनाथ की ओर चले जाते हैं। कहा जाता है अगर शिव जी का ध्यान भंग नहीं होता तो आज केदारनाथ मंदिर इसी जगह होता, इसलिए इसे बाल केदार भी कहते हैं।
यहाँ के स्थानीय लोगो का मानना है की केदारकांठा में लगा भगवान शिव का त्रिशूल वहां के लोगो की रक्षा करता है और उत्तराखंड की नदियों को सूखने नहीं देता है।
केदारकांठा से जुड़ी कुछ शार्ट जानकारी
- ट्रेक लम्बाई (Trek Length) : 20 किलोमीटर (20 Kilometer)
- ट्रेक कठनाई (Trek Difficulty) : आसान से मध्यम (Easy To Medium)
- ट्रेक अवधि (Trek Duration) : 6 दिन (6 Days)
- ट्रेक ऊंचाई (Trek Altitude) : 12500 फ़ीट (12500 Feet)
- ट्रेक के लिए उम्र (Trek Age Limit) : 10 से 68 वर्ष (10 To 68 Year)
- ट्रेक बेस कैंप (Trek Base Camp) : सांकरी (Sankari )
ट्रेक कितना कठिन और कितना लम्बा होगा?
केदारकांठा ट्रेक की लम्बाई 20 किलोमीटर है, इसका ट्रेक संकारी से शुरू होता है जो संकारी में ही आकर खत्म होता है। इस ट्रेक की कठनाई की बात करे तो इस ट्रेक को आसान से मध्यम में रखा गया है। इस ट्रेक को 6 दिनों में कम्पलीट करना होता है, जहाँ रोजाना लगभग औसतन 4 से 6 किलोमीटर ट्रेक करना होता है। ये ट्रेक 6400 फीट संकारी से होकर 12500 फीट केदारकांठा की चोटी पर जाकर समाप्त होता है।
अगर कोई व्यक्ति इस ट्रेक को पहली बार कर रहा है तो वो इसे आराम से कर सकता है। इस ट्रेक को 50 से 65 तक उम्र के व्यक्ति भी कर सकते हैं बस उन्हें थोड़ा समय ज्यादा लगेगा। आपको रोजाना 4 से 6 किलोमीटर ही ट्रेक करना होता है तो आप आराम से दिन में अपना वक्त लेकर इस ट्रेक को कर सकते हैं। इस ट्रेक में थोड़ी कठनाई तब आती है जब आप शिखर की ओर रात में 2 बजे से चढ़ाई शुरू करते हैं तब ये ट्रेक थोड़ा मुश्किल हो जाता है, बाकि ट्रेको की तुलना में।
केदारकांठा ट्रेक करने का बेस्ट टाइम?
केदारकांठा ट्रेक को करने का सबसे अच्छा समय नवंबर से लेकर मार्च तक का है और मार्च से जून तक को भी कहे सकते हैं। इस ट्रेक को करने के लिए नवंबर से मार्च तक का समय इसलिए बेस्ट माना जाता है, क्यूंकि इस समय में उत्तराखंड और बाकि जगहों में पड़ने वाले अधिकतर ट्रेक अधिक बर्फवारी की वजह से बंद हो जाते हैं, लेकिन केदारकांठा ट्रेक साल में सिर्फ मानसून के समय में ही कम होता है बाकि समय में ये चालू रहता है।
नवंबर से मार्च
केदारकांठा ट्रेक को करने का ये सबसे अच्छा मौसम माना जाता है, ये समय शीतकालीन होता है इसलिए इस समय में आप यहाँ बर्फवारी से लेकर बहुत अद्धभुत सूर्योदय को भी देख सकते हैं। समिट पर होने वाले सूर्योदय की व्याख्या करना बहुत ही मुश्किल है क्यूंकि ये नज़ारा मन को सुकून और दिमाग को शांत करने वाला होता है। इस समय में ट्रेक करने में जो सबसे ज्यादा दिक्कत हो सकती है वो होती है यहाँ बर्फ पर चलने में, स्नोफॉल होने की वजह से रास्ते फिसलन से भरे हो जाते हैं और ट्रेक करना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है।
अप्रैल से जून
अप्रैल से जून के बीच का समय ट्रेकिंग और घूमने का सबसे अच्छा समय होता है। उत्तराखंड के लिए ये समय सीजनल टाइम होता है क्यूंकि इस समय में उत्तराखंड के सभी ट्रेकिंग ट्रेक्स खुल जाते हैं, लेकिन केदारकांठा ट्रेक के लिए थोड़ा सा ऑफ सीजन कहे सकते हैं क्यूंकि बाकि ट्रेक्स खुलने की वजह से ट्रेकर्स इस ट्रेक पर इस समय में आना कम पसंद करते हैं। अगर आप इस समय में आते हैं तो आपको बहुत ही सुन्दर सूर्यास्त और सूर्योदय देखने को मिलेगा। इस समय में मौसम साफ रहता है तो केदारकांठा की चोटी से बाकी हिमालय के पहाड़ बहुत ही सुन्दर दिखाई पड़ते हैं।
जुलाई से अगस्त
जून के बाद से पुरे उत्तराखंड में मानसून आ जाता है। जिससे यहाँ के ट्रेक्स करने में थोड़ी मुश्किल होती है। केदारकांठा ट्रेक को इस समय में करने में थोड़ा रिस्क रहता है, क्यूंकि मानसून की वजह से इस समय में भूस्खलन और ज्यादा बारिश होने की वजह से रास्ते ब्लॉक हो जाते हैं जिससे ट्रेक करना मुश्किलों से भरा रहता है। इस समय में ये सारी मुश्किलों को पार करने के बाद केदारकांठा ट्रेक को करने पर आपको यहाँ की सुंदरता कुछ अलग ही दिखाई देती है। आपको इस समय में दूर दूर तक हरे घास के मैदान और बहुत ही सुन्दर वादियां देखने को मिलती हैं।
सितम्बर से अक्टूबर
ये समय मानसून के बाद का समय होता है और ये समय ट्रेक करने के लिए अच्छा माना जाता है। सितम्बर के शुरू के कुछ दिनों में आपको बारिश देखने को मिल सकती है। बारिश के बाद आकाश बिलकुल साफ हो जाता है और ऐसे में समिट से देखने पर बहुत ही सुन्दर दर्शय देखने को मिलते हैं। वैसे देखा जाए तो केदारकांठा ट्रेक करने के लिए ये भी काफी अच्छा समय है, और हो सकता है अक्टूबर के लास्ट में आपको यहाँ बर्फवारी भी देखने को मिल जाये।
केदारकांठा ट्रेक में लाइट और नेटवर्क?
केदारकांठा ट्रेक के दौरान आपको लाइट और नेटवर्क की प्रॉब्लम हो सकती है, क्यूंकि उत्तराखंड और हिमांचल के पहाड़ी इलाको में अभी बिजली और नेटवर्क का प्रॉब्लम रहता है। यहाँ का अभी उस हिसाब से विस्तार नहीं हुआ है। यहाँ आपको लाइट और नेटवर्क की सुविधा ज्यादा से ज्यादा केदारकांठा ट्रेक के बेस कैंप तक मिल सकती है। आप यहाँ आये तो सांकरी बेस कैंप में ही अपने मोबाइल और बाकि सारे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चार्ज कर ले। उसके बाद यहाँ लाइट मिलना बहुत मुश्किल है।
इस ट्रेक का प्लान कैसे करे?
आप जब भी ऐसे किसी ट्रेक पर जाने की सोचते हैं तो आपके मन में एक प्रश्न ये भी आता है की किस प्रकार से इस पुरे ट्रेक का प्लान किया जाये और इस ट्रिप को मैनेज किया जाए जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न होता है। मेरा मानना ये है की आप इस तरह के ट्रेक को खुद से मैनेज न करके आप इसको किसी ट्रेकिंग कंपनी द्वारा मैनेज कराये जो मेरे हिसाब से सबसे अच्छा रहता है। वैसे केदारकांठा ट्रेक एक ऐसा ट्रेक है जिसको आप बिना किसी ट्रेकिंग कंपनी द्वारा भी कर सकते हैं, लेकिन आपको इसमें काफी चीजे देखनी होती हैं जैसे इस ट्रेक को करने से पहले आपको गोविन्द वन्यजीव अभ्यारण्य से आपको ट्रेक की परमिशन लेनी होती है और भी बहुत सी तैयारी करनी पड़ती है। अगर आप इस ट्रेक को किसी ट्रेकिंग कंपनी के माध्यम से करते हो तो आपको उन्हें अपनी सारी जानकारी देनी होती है बाकि का सारा काम वो लोग खुद ही करते हैं।
ट्रेक के दौरान खाना?
ट्रेकर्स जब भी ऐसे ट्रेक को करते हैं तो वो ट्रेकिंग कंपनी द्वारा ही करते हैं। तब ये सारी खाने से सम्बंधित जितनी भी जिम्मेदारी होती है वो उनकी ही होती है और वो ही ये सभी चीजों को मैनेज करते हैं। ट्रेकिंग कंपनी आपके साथ अपने कुछ लोगो को भेजती है जिसमे गाइड के साथ साथ एक खाने बनाने वाला भी व्यक्ति होता है जो आपके ग्रुप के मेंबर्स के लिए खाना बनाता है।
अगर आप केदारकांठा ट्रेक को खुद करते हैं बिना किसी ट्रेकिंग कंपनी की सहायता से तो ये सभी चीजों को मैनेज करने में आपको बहुत से चीजे साथ ले जानी पड़ती है। आप खाने से सम्बंधित सभी चीजों को ले जाने के लिए बेस कैंप सांकरी से वहां के लोकल लोगो के लिए अपने साथ ले जा सकते हैं। खाने के लिए आप आपने साथ कुछ मैग्गी और कुछ सब्जिया ले जा सकते हैं साथ ही में एक छोटा सा गैस फायर अपने साथ ले जाए। जब आप इस ट्रेक को करते हैं तो रास्ते में पड़ने वाले कुछ गांव में भी खाने की सुविधा मिल जाती है।
ट्रेक के दौरान पानी और शौचालय की व्यवस्था?
इस ट्रेक में पानी की कोई भी कमी नहीं है। आप अपने साथ एक पानी बोतल जरूर रखे। यहाँ आपको पहाड़ो से रिस कर और नदियों में बह रहे पानी का ही उपयोग करना होता है। यहाँ आपको बाथरूम की सुविधा सांकरी में तो मिल जाएगी। आगे ट्रेक पर आपको इसकी सुविधा नहीं मिलेगी तो ट्रेकिंग कंपनी द्वारा कुछ अस्थाई बाथरूम बनाये जाते हैं, जिनका आपको उपयोग करना होता है।
केदारकांठा ट्रेक के दौरान कैसे होंगे ये दिन और आप कहाँ कहाँ जायेंगे?
केदारकांठा ट्रेक लगभग 6 दिनों का होता है। आप यहाँ ये 6 दिनों में कहाँ ट्रेक करेंगे और ये दिन कैसे होंगे अब हम इस बारे में जानेगे। इन 6 दिनों का पहला दिन पिकउप पॉइंट से शुरू हो जाता है। तो इन सभी दिनों के बारें में हम विस्तार से प्रति दिन के हिसाब से बात करेंगे।
दिन-01 (पिकउप पॉइंट से सांकरी)
केदारकांठा ट्रेक के दिनों में पहला दिन आपका देहरादून या जो भी आपका पिकउप पॉइंट है वहां से शुरू होता है। यहाँ से आपको ट्रेक के बेस कैंप तक ले जाया जाता है, जो की देहरादून से 220 किलोमीटर की दूरी पर है। ये दूरी आपकी कंपनी द्वारा प्रोवाइड की गयी बोलेरो, इनोवा, टेम्पो ट्रेवलर्स द्वारा पूरी की जाती है जिसका किराया कंपनी के पैकेज में शामिल नहीं होता है उसे आपको अलग से देना पड़ता है और अगर आप इस को खुद कर रहें तो यहाँ से बस भी जाती हैं जिनके द्वारा आप बेस कैंप तक पहुंच सकते हैं। देहरादून से आपको सुबह 6 से 6 :30 बजे के बीच में पिकउप किया जाता है।
यहाँ से आपको लगभग 10 घंटे का सफर तय करना होता है जो की बहुत ही सुन्दर होता है। ये 10 घंटे का सफर थोड़ा थकान से भरा हुआ हो सकता है, लेकिन इस सफर के दौरान आप जो बाहर के दर्श्यो के साथ हल्की हल्की ठंडी हवा को महसूस करते हैं वो आपकी सारी थकान को दूर कर देती है। केदारकांठा ट्रेक का बेस कैंप सांकरी 6400 फीट की ऊंचाई पर है जहाँ तक पहुंचने के लिए आपको वहां के पहाड़ो के टेड़े मेढ़े रास्तो से होकर गुजरना पड़ता है।
इस ट्रेक का पहला दिन आपका सांकरी के बेस कैंप में जाकर खत्म होगा। कैंप में आप अपने सभी मेंबर से मुलाकात करते हैं, जहाँ ट्रेक के गाइड द्वारा कुछ इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं, जिनका आपको पालन करना होता है। यहाँ आपकी रात एक होटल व्यतीत होती है।
दिन-02 (सांकरी से जुड़ा का तालाब)
आज से आपका ट्रेक शुरू होता है जिसमे आपको सांकरी से सिर्फ 4 किलोमीटर की दूरी ही तय करनी होती है, जिसको तय करने में आपको ज्यादा से ज्यादा 2 से 3 घंटे लगते हैं। बाकि आपकी उम्र और आपके ट्रेक की स्पीड पर निर्भर करता है। आज के दिन आप 6400 फीट से 9100 फीट की ऊंचाई तक ट्रेक करेंगे।
आज का ये ट्रेक मेपल के पेड़ो से घिरा हुआ होगा जो की इस ट्रेक के रूट को काफी सुन्दर बना देते हैं। कुछ दूरी तक ट्रेक करने के पश्चात आप ओक के जंगल से होकर जाते हैं और आपको आज के दिन के ट्रेक में कुछ घास के मैदान दिखाई देते हैं और कुछ बहुत ही सुन्दर नदिया जो पुरे ट्रेक में आपका साथ देती हैं।
आपका आज का ट्रेक सांकरी से शुरू होकर जुड़ा का तालाब पर जाकर खत्म होता है। आपका कैंप तालाब से कुछ मीटर की दूरी पर लगा हुआ होता है जहाँ आपको आज की रात बितानी होती है। आपका आज का ट्रेक इतना लम्बा तो नहीं होता है मगर देखने में बहुत ही सुन्दर होगा। आप जुड़ा के तालाब जाकर वहां की सुंदरता को देखते हैं जो पहाड़ो की सुंदरता को बढ़ा रही होती है। तालाब पर पहाड़ो के बनने वाले प्रीतिविम्ब बहुत ही सुन्दर दिखाई देते हैं, जहाँ आप कुछ समय बैठ कर शांति का अनुभव कर सकते हैं।
दिन-03 (जुड़ा का तालाब से केदारकांठा बेस कैंप (लोहासु))
आज का ट्रेक भी काफी रोमांचित होगा। आज आप सुबह में जल्दी उठे और एक अद्धभुत से सूर्योदय के नज़ारे को देखे,सूर्य जो चारो ओर सुन्दर रंगो को बिखेर देता है, जिसकी तरफ मुँह करके खड़ा होना जितना सुकून देता है उतनी ही ऊर्जा। आज आप 9100 फीट की ऊंचाई से 11250 फीट की ऊंचाई तक ट्रेक करते हैं। आज भी आपको लगभग 4 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है। जिसे पूरा करने में आपको 2 से 3 घंटे का समय लगता है।
आज का ट्रेक जब आप शुरू करेंगे तो आपको यहाँ के बहुत से आश्चर्यजनक नज़ारे देखने को मिलेंगे। आज के ट्रेक में आप कुछ दूरी चीड़ और ओक के जंगलो से होकर पूरी करते हैं वही आप कुछ दूरी कुछ पहाड़ की चोटियों से होकर भी पूरी करते हैं। आज के ट्रेक के दौरान आपको कुछ सुन्दर पर्वत जैसे स्वर्गारोहिणी, काला नाग, बन्दरपूँछ पहाड़ो की चोटियां दिखाई देती हैं। इन सभी प्यारे से नज़ारे को देखते हुए आप अपनी मंज़िल की ओर बढ़ जाते हैं, जो की जुड़ा के तालाब से शुरू होकर केदारकांठा बेस कैंप पर जाकर खत्म होती है।
आज का आधा दिन और रात आपकी यहाँ इसी बेस कैंप में खत्म होती है। आज का दिन काफी सुन्दर और अच्छा होता है। आप आज केदारकांठा के बेस कैंप (लोहासु) में रुकते है। यहीं आप आज के दिन को अलविदा कहते हैं।
दिन-04 (केदारकांठा बेस कैंप से केदारकांठा शिखर और फिर हरगांव उतरे)
आज आपका केदारकांठा ट्रेक का चौथा दिन होगा, जो की सबसे सुन्दर दिनों में से होगा। आज आपको वह सब महसूस करने को मिलेगा जिस लिए आप इस ट्रेक को करना चाहते थे। आज आपको केदारकांठा बेस कैंप से जल्दी ही ट्रेक शुरू करना होता है, आपका आज का ट्रेक रात में लगभग 2 बजे से शुरू होता है। आज का ट्रेक लगभग 6 किलोमीटर का होगा, जिसे पूरा करने में आपको लगभग 6 से 7 घंटे लगेंगे।
जब आप इस ट्रेक को करके समिट तक पहुंचेंगे तो आप वहां सूर्योदय को देखेंगे जिसकी सुंदरता की व्याख्या शब्दों में करना बहुत ही मुश्किल है। इसका अनुभव तो आप यहाँ पहुंच कर ही कर सकते हैं। यहाँ से सूर्योदय देखने पर आपकी ट्रेक की जो भी थकान होती है वो सब दूर हो जाती है।
आप जब शिखर पर पहुंचेंगे तो वहां एक छोटा सा भगवान शिव का मंदिर बना हुआ है, जिसमे आप भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। कहते हैं यहाँ भगवान शिव के केदारनाथ मंदिर का सबसे पहले निर्माण कराया गया था लेकिन जब भगवान शिव की मूर्ति कंठ तक बन पायी तभी यहाँ किसी तरह विघन पड़ गया उसके बाद इस मूर्ति का निर्माण नहीं हो सका इसलिए इस जगह का नाम केदारकंठ पड़ा क्यूंकि भगवान शिव के नामो में के नाम केदार है और कंठ तक ही मूर्ति बन पायी।
यहाँ आप सूर्योदय देख कर और वहां के सभी नज़ारों को अपने मोबाइल में क़ैद करके यहाँ से नीचे उतरते हैं। जो की हरगांव शिविर में आकर रुकता है। आज की रात आप हरगांव में ही काटते हैं और यहाँ रात का नज़ारा देखते हैं और आज के पूरे सुन्दर दिन को याद करके आज की रात को अलविदा कहते हैं।
दिन-05 (हरगांव से सांकरी कैंप)
आज आपका ट्रेक से कैंप की ओर लौटने का दिन होगा जो की लगभग 6 किलोमीटर का होता है और इसे पूरा करने में आपको कम से कम 4 घंटे लगेंगे। जो हरगांव का कैंप है वो 8900 फीट पर है जहाँ से आप नीचे 6400 फीट पर आकर रुकते हैं। ये 6 किलोमीटर का ट्रेक घने देवदारो के जंगल से होकर जाता है। ये दिन ऐसा होता है की हम इन प्यारे से पहाड़ो के जंगलो को पीछे छोड़ देते हैं इन सभी चीजों को मन में लिए हम अपने बेस कैंप की और रवाना हो जाते हैं। आज की रात आपकी सांकरी बेस कैंप में ही व्यतीत होती है।
दिन-06 (सांकरी से ड्राप पॉइंट)
आज केदारकांठा ट्रेक और ट्रिप का वो दिन होता है, जो की थोड़ा इमोशनल होता है क्यूंकि आज का दिन ट्रेक का लास्ट दिन होता है। आज आप सुबह में सांकरी में सूर्योदय को देखे और सुबह में अपने सभी मेंबर्स के साथ नास्ता करे। अपने ड्राप पॉइंट तक जाने से पहले अपने सभी ट्रेक के मेंबर्स से मिले उनसे अलविदा ले, अपने गाइड का और ट्रेक कंपनी को इस पुरे ट्रिप को मैनेज करने के लिए अभिवादन करे और इस ट्रेक और इन सुन्दर पहाड़ो को अलविदा कहे।
कुछ इस तरह का होता है ये ट्रेक और इस ट्रेक में बिताये गए ये दिन जो आपको यहाँ आने पर जरूर पसंद आएंगे। । कुछ ऐसी यहाँ की फीलिंग और इमोशन होते हैं जो मैं शब्दों के द्वारा नहीं कह सकता हूँ उन्हें सिर्फ फील किया जा सकता है। तो आप इस केदारकांठा ट्रेक को जरूर करे।
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केदारकांठा ट्रेक के बेस कैंप तक कैसे पहुंचे?
केदारकांठा ट्रेक को करने के लिए आपको सबसे पहले देहरादून पहुंचना होता है वहां से आपको इस ट्रेक के बेस कैंप के लिए बसे या ट्रेक कंपनी द्वारा पिकउप किया जाता है। तो आईये अब ये जानते हैं की इस ट्रेक के बेस कैंप तक आप किस तरह और कैसे पहुंचे।
फ्लाइट द्वारा कैसे पहुंचे?
अगर आप उत्तराखंड से बाहर के हैं तो आप देहरादून तक फ्लाइट से आ सकते हैं। केदारकांठा के बेस कैंप के सबसे निकट एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो की देहरादून में ही है। देहरादून से बेस कैंप तक की दूरी 200 किलोमीटर तक की है जिसको पूरा करने में आपको 7 से 8 घंटे लगेंगे। इस दूरी को आपको सड़कमार्ग द्वारा ही कम्पलीट करना होता है।
ट्रेन द्वारा कैसे पहुंचे?
अगर आप इस यात्रा को ट्रेन द्वारा करना चाहते हैं और केदारकांठा ट्रेक के बेस कैंप तक पहुंचना चाहते हैं, तो मैं आपको बता दू की यहाँ के बेस कैंप के सबसे ज्यादा नजदीक रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है। यहाँ के लिए आपको ट्रेन बड़े शहरों से आसानी से मिल जाएँगी। देहरादून से बाकी की दूरी को आपको सड़कमार्ग द्वारा ही पूरा करना होगा जिसे आप आराम से कम्पलीट कर सकते हैं।
बस द्वारा कैसे पहुंचे?
यहाँ तक पहुंचने के लिए जो मुझे सबसे अच्छा तरीका लगता है वो है बस द्वारा लेकिन ये सफर थोड़ा थकावट से भरा हो सकता है क्यूंकि ये सफर कई सौ किलोमीटर का होता है। अगर आप दिल्ली से इस ट्रेक को करने आते हो तो दिल्ली से देहरादून के लिए बस आराम से मिल जाएगी और अगर आप दिल्ली से बाहर के हैं तब भी आप पहले दिल्ली पहुंचे और फिर वहां से आप बस द्वारा देहरादून तक। दिल्ली से देहरादून तक की दूरी 242 किलोमीटर की जिसे आप आराम से 5 से 6 घंटे में कर सकते हैं।
देहरादून से बाकि की दूरी को अगर आप किसी ट्रेक कंपनी के द्वारा आये हैं तो आपको इनोवा या बोलेरो या ट्रवेलेर द्वारा करनी होती है। बाकी अगर आप इस ट्रेक को खुद कर रहे हैं तो आपको यहाँ से बेस कैंप तक के लिए सरकारी बसे भी मिल जाएँगी।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
- आप इस ट्रेक को सर्दियों के समय में ही करे इस समय में इस जगह की सुंदरता बहुत अधिक बढ़ जाती है। जिसको शब्दों में कहे पाना मुश्किल है।
- केदारकांठा ट्रेक जाने से पहले यहाँ का मौसम अपडेट देख ले और गर्म कपड़े जरूर साथ रखे।
- यहाँ जाने से कुछ हफ्तों पहले इस ट्रेक की तैयारी शुरू कर दे। तैयारी में आप सुबह में रनिंग और कुछ एक्सरसाइज करे।
- केदारकांठा ट्रेक में अपने साथ कुछ दवाई और कुछ एलेक्ट्रोल के पैकेट रखे। जिन्हे आप ट्रेक के दौरान लेते रहें।
- इस ट्रेक के लिए आप अपने सामान की एक लिस्ट बनाये और ट्रेक में जरूरत की सभी चीजों का ध्यान रखे।
- यहाँ आने से पहले अपना चेकउप कराये और कुछ भी हल्का सा हेल्थ में गड़बड़ लगे तो दवाई ले।
Nice 👍
Sach a very good and knowledgeable vlog 🌼