धर्मशाला, हिमांचल प्रदेश की सर्दियों की राजधानी (Dharamshala, the winter capital of Himachal Pradesh)

हिमांचल प्रदेश भारत का घूमने की दृष्टि से बहुत ही प्रसिद्ध राज्य हमेशा से रहा है। उत्तराखंड के बाद हिमांचल को भी ‘देव भूमि’ ही माना जाता है। हिमांचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ- “बर्फीले पहाड़ो का प्रान्त है”। हिमांचल एक ऐसा राज्य है जिसका इतिहास बहुत ही पुराना माना जाता है, यहाँ आर्यो का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है।

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हिमांचल में सबसे ज्यादा पर्यटको द्वारा पसंद की जाने वाली जगह मनाली है, जिसके बारे में हम अपने पिछले ब्लॉग में बात कर चुके हैं। आज हम जिस जगह की बात करने जा रहें है वो भी बहुत ही सुन्दर और चारो ओर हिमालय के ग्लेसियर से घिरा हुआ है। जिसे हिमांचल की ‘सर्दियों की राजधानी’ कहते हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं, “Dharamshala” की।

हिमांचल का धर्मशाला शहर बहुत ही रोचक और इसके शीतकालीन राजधानी बनने की भी बहुत ही इंट्रेस्टिंग कहानी है। धर्मशाला से जुड़ी हुयी सभी जानकारी को हम इस ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे। इस शहर का नाम धर्मशाला क्यों है, इसका असल में पुराना नाम क्या था? यहाँ कौन सी घूमने की जगह है? यहाँ जाने का सबसे बेस्ट टाइम कौन सा है? कुल्लू और मनाली के बाद हमे यहाँ जाना चाहिए। यहाँ का मौसम कब सबसे बढ़िया होता है और यहाँ आप कौन कौन से ट्रेक कर सकते हैं, यहाँ बना हुआ क्रिकेट स्टेडियम जहाँ खेले जातें हैं इंटरनेशनल मैचेस और भी बहुत सी जानकारी जो आप इस ब्लॉग में जानोगे।

धर्मशाला शहर कहाँ स्थित है? (Where is Dharamshala city located?)

dharamshala

Dharamshala शहर हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। धर्मशाला हिमांचल के प्रमुख हिल स्टेशनो में से एक है। जहाँ वर्ष भर पर्यटकों का मेला लगा रहता है। ये हिमांचल प्रदेश का एक ऐसा शहर है जो हमेशा ही पर्यटकों से भरा रहता है, यहाँ लोग मैदानी इलाको में पड़ने वाली गर्मी से बचने तो ठंडो में यहाँ बर्फवारी का मज़ा लेने आते हैं।

इस शहर का नाम धर्मशाला कैसे पड़ा? (How did this city get the name Dharamshala?)

हिमांचल प्रदेश का इतिहास बहुत ही पुराना है, कहते हैं यहाँ आर्यो का प्रभाव तो ऋग्वेद से पुराना है। ऐसे ही इसके बहुत शहर हैं, जो अपने इतिहास की गवाही आज भी दे रहें हैं। ऐसे ही हिमांचल प्रदेश का शहर धर्मशाला है, जो अपने नाम के लिए विख्यात है। असल में इसका नाम “धर्मशाला” महाराजा धर्म चाँद कटोच के नाम को जोड़ कर पड़ा है।

कहते है आज से लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व त्रिगर्त में महाराज धर्म चाँद कटोच का शासन हुआ करता था। महाराज अपने कांगड़ा क़िले से निकलकर बाहर घूमने पहाड़ो की ओर निकल पढ़े। वो घूमते घूमते बहुत ऊंचाई पर आ गए और एक जगह उन्हें बहुत पसंद आयी।जो की आज ‘धर्मकोट’ के नाम से जानी जाती है। यह जगह राजा को इतनी पसंद आयी की उन्होंने गर्मियों में यहाँ रहने के लिए एक महल का भी निर्माण कराया और लोगो के लिए एक सराय बनबाई, इसी वजह से इस क्षेत्र का नाम धर्मशाला पड़ा। राजा के नाम का धर्म और सराय को शाला कहा जाता हैं इन्ही को जोड़कर इसका नाम धर्मशाला पड़ा।

धर्मशाला क्यों है हिमांचल प्रदेश की शीतकालीन राजधानी? (Why is Dharamshala the winter capital of Himachal Pradesh?)

असल में Dharamshala को हिमांचल प्रदेश की राजधानी बनाने का सबसे पहला प्रस्ताब ब्रिटिश काल में गवर्नर जनरल लार्ड एल्गिन ने 1852 में ब्रिटिश सरकार के सामने रखा था। लेकिन ब्रिटिश सरकार को शिमला बहुत पसंद था जिस वजह से शिमला को हिमांचल प्रदेश की राजधानी बना दिया गया। अब जाकर 2017 में हिमांचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र ने धर्मशाला को हिमांचल की दूसरी राजधानी का दर्जा दिया। अब धर्मशाला को हिमांचल की शीतकालीन राजधानी माना जाता है।

धर्मशाला में घूमने की बेस्ट जगह (Best places to visit in Dharamshala)

धर्मशाला में लोगो का वर्ष भर मेला लगा रहता है। यहाँ लोग अपने मन मुताबिक वर्ष में कभी भी आ सकते हैं। यहाँ के मौसम के अनुसार यहाँ का मज़ा ले सकते हैं। अब हम धर्मशाला में घूमने की जगह बता रहें हैं जहाँ आप घूम सकते हैं।

त्रिउंड हिल (Triund Hill)

Dharamshala के पास ट्रेकर्स के लिए एक बहुत ही अच्छी जगह है, जिसे त्रिउंड हिल के नाम से जाना जाता है। त्रिउंड हिल जाने के लिए आपको सबसे पहले धर्मशाला पहुंचना होगा जहाँ से आप वहां की लोकल गाड़ी से मैक्लोडगंज आना होगा जो की धर्मशाला से 9 किलोमीटर की दुरी पर है। यहाँ से शुरू होता है त्रिउंड हिल का ट्रेक। पहले 3 किलोमीटर आप वहां की लोकल टैक्सी द्वारा जा सकते हैं। इसका किराया काफी महंगा पड़ता है। इसलिए आप सीधे मेक्लेओडगंज से ही ट्रेक शुरू करे। ये ट्रेक 9 किलोमीटर का है, जिसका बेस कैंप गल्लू मंदिर माना जाता है यहाँ से वास्तव में आपका ट्रेक शुरू होता है।

भागसूनाग (Bhagsunag)

Dharamshala में घूमने के बाद आप यहाँ से लगभग 6 किलोमीटर दूर भागसूनाग भी जा सकते हैं। यहां आप बहुत ही सुन्दर चारो ओर से पहाड़ो से घिरा हुआ भागसूनाग मंदिर भी है, जहाँ आप भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। भागसूनाग में ही एक भागसूनाग नाम से ही ‘वॉटरफॉल’ है जोकि बहुत ही सुन्दर है। आप यहाँ पर भी घूम सकते हैं, यहाँ का कोई भी टिकट चार्ज नहीं है तो आप यहाँ आराम से घूम सकते हैं।

युद्ध स्मारक (War Memorial)

आप Dharamshala में घूमने के पश्चात् यहाँ से लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर स्थित युद्ध स्मारक में विजिट कर सकते हैं। वैसे तो धर्मशाला में बहुत से पर्यटक स्थल है जिनमे से आप युद्ध स्मारक में भी जा सकते हैं। इस स्मारक को कांगड़ा जिले के सैनिको के बलिदान की स्मृति स्वरुप में बनबाया गया था। यह सुबह 8 बजे से शाम में 8 बजे तक खुला रहता है। इसका टिकट प्राइस 10 रुपए है और अगर आप गाड़ी से जातें है तो गाड़ी स्टैंड के 20 रुपए जातें हैं।

धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम (Dharamshala Cricket Stadium)

Dharamshala Stadium

यहाँ आप क्रिकेट स्टेडियम को देख सकते हैं, जो की हिमालय के सुन्दर पहाड़ो से घिरा हुआ है। यह स्टेडियम वर्ष 2003 में बनाया गया था, और बाद में 2013 में इसे इंटरनेशनल मैचेस के लिए अपग्रेड किया गया। इसकी दर्शको की क्षमता 23000 है। अगर आप किसी ऐसे समय पर आते हैं जिस समय यहाँ मैच चल रहा हो तो ये आपके लिए सही जगह हो सकती है मस्ती के लिए और मैच का मज़ा उठाने का।

मैक्लोडगंज (Mcleodganj)

मैक्लोडगंज जो की Dharamshala का उपनगर है। यह घूमने के लिए काफी सही जगह है, ज्यादतर ट्रेक और पर्यटक स्थलों के जाने के लिए मुख्य स्थान है। यह पर्यटकों की रुकने के लिए मुख्य केंद्र है, जो बहुत ही सुन्दर है। यहाँ से ही त्रिउंड ट्रेक शुरू होता है। यह बहुत से पर्यटक स्थल के साथ साथ तिब्बती आध्यात्मिक और दलाई लामा के घर होने के कारण बहुत प्रसिद्ध है।

डल झील (Dal Lake)

Dal lake Dharamshala

डल झील जो की धर्मशाला से 11 किलोमीटर की दुरी पर है। यह मैक्लोडगंज नड्डी रोड पर तोता रानी गांव के पास है। Dharamshala आने पर पर्यटकों के लिए ये बहुत ही आकर्षण का केंद्र रहता है। इस झील के किनारे ही एक महादेव का मंदिर है, जो इस झील को और भी पवित्र और शांति से भरा स्थान बना देती है। ये झील ठंडो में बहुत अधिक ठण्ड पड़ने के कारण हल्की हल्की जम जाती है तब इस पर पड़ने वाले पेड़ो की परछाई बहुत ही सुन्दर लगती है।

करेरी झील (Kareri Lake)

वैसे ये झील डल झील से लगभग 49 किलोमीटर की दुरी पर है और धर्मशाला से लगभग 9 किलोमीटर पर जो की धौलाधार पर्वत श्रृंखला में स्थित है। ये झील मनोरम दृश्य के साथ साथ ट्रेकर्स के लिए भी प्रमुख स्थल में से एक है। लोग यहाँ आकर ट्रैकिंग भी करते हैं। इस झील में पानी का मुख्य स्रोत बर्फ से पिघलने वाला पानी है। यहाँ मौसम हमेशा ही ठंडा बना रहता है।

ज्वालामुखी देवी मंदिर (Jwalamukhi Devi Temple)

ज्वालामुखी मंदिर भी यहाँ पर्यटको का आकर्षण का केंद्र रहता है। यह धर्मशाला शहर से 51 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की जब यहाँ पर राक्षस देवताओ को परेशान किया करते थे तो देवताओ के भगवान शिव से प्रार्थना करने पर भगवान शिव ने इन दुष्टो का नाश करने का फैसला लिया और फिर कई देवताओ ने पृथ्वी पर एक जगह अपनी शक्ति केंद्रित की जिससे पृथ्वी से एक ज्वालामुखी फटा और उस ज्वाला से एक कन्या का जन्म हुआ। जिसे माता सती या पार्वती के नाम से जाना जाता है। कहते हैं इस जगह पांडवो का भी आगमन हो चूका है।

धर्मशाला में होटल्स और लॉज़ (Hotels and Lodges in Dharamshala)

hotels and laws dharamshala

Dharamshala एक हिल स्टेशन है तो यहाँ होटल्स और लॉज़ की कोई कमी नहीं है। यहाँ पर आपको आपके बजट के हिसाब से अच्छे और सस्ते रूम्स मिल जायेंगे। आप जब भी धर्मशाला का टूर करते हैं तो पहले आप ये तय करे की आप कहाँ रुकना चहाते हैं। मेरा ये मानना होगा की अगर आपको थोड़ा भीड़ भाड़ से अलग रहना है और थोड़ा सुकून में रहना चाहते हैं तो आप अपने होटल की लोकेशन भागसूनाग में देख सकते हैं जो की बहुत ही अच्छा विकल्प है। आप यहाँ मैक्लोडगंज, धर्मशाला, भागसूनाग कही भी अच्छी जगह देख कर रह सकते हैं। आप अगर ऑनलाइन होटल्स बुक करे हैं तो वो भी आपके लिए सही विकल्प रहेगा।

सबसे अच्छा मौसम धर्मशाला जाने के लिए? (Best season to visit Dharamshala?)

वैसे आप Dharamshala जाने का प्लान कभी भी बना सकते हैं, और कभी भी आप यहाँ घूमने आ सकते है यहाँ आपको अलग अलग सीजन में अलग अलग अनुभव होगा जो की आपको पसंद आएगा। हम आपके लिए नीचे यहाँ के बेस्ट मौसम के बारे में बता रहें जिस समय आपके लिए जाना अच्छा होगा।

मार्च से जून (March to June)

summer weather

मार्च से जून के बीच में मैदानी इलाको में काफी गर्मी पड़ती है, जिससे लोग राहत पाने के लिए पहाड़ी इलाको हिल स्टेशन की और रुख करते हैं। धर्मशाला में मार्च से जून में आने वाले लोगो की संख्या सबसे ज्यादा होती है। मार्च के शुरू में आने वाले लोगो को यहाँ सफ़ेद चादर के सामान बर्फ पहड़ो को ढकी हुई प्रतीत होती है। इन महीनो के बीच में स्कूल की छुट्टियां होती है तो अधिकतर पर्यटक इस मौसम में ही यहाँ आते हैं, तो ये आपके लिए भी अच्छा मौसम हो सकता है Dharamshala आने के लिए।

जुलाई से सितम्बर (July to September)

ये महीना मानसून का महीना होता हैं तो अधिकतर इस मौसम में हमे यहाँ आने से थोड़ा बचना चाहिए क्यूंकि अधिक बारिश होने के कारण यहाँ जगह जगह से रास्ते ब्लॉक हो जातें हैं और रास्ता थोड़ा खतरों से भरा हो जाता हैं। लेकिन यहाँ मानसून में हरियाली अपने चरम सीमा पर होती है जो बहुत ही सुन्दर दिखती है। अगर आपको पहाड़ो की हरियाली और मानसून पसंद है तो ये महीने आपके लिए है यहाँ विजिट करने के लिए।

अक्टूबर से फरबरी (October to February)

winter weather

मानसून के बाद से यहाँ अक्टूबर से ठण्ड शुरू हो जाती हैं और दिसंबर से फरबरी के बीच में अपनी चरम सीमा पर होती है। आप अगर यहाँ बर्फवारी का आनंद लेना चाहते हैं तो दिसंबर से फरबरी के बीच दिन सिर्फ आपके लिए हैं। यहाँ ठंडो में झील और भी सुन्दर हो जाती हैं। झील के चारो और पहाड़ो पर जहाँ बर्फ होती है वही झील पर भी एक पतली सी बर्फ की चादर जम जाती है, जो देखने में बहुत ही सुन्दर दिखती है। अक्टूबर से फरबरी का महीना भी आपके लिया अच्छा हो सकता हैं अगर आपको ठण्ड पसंद हैं।

धर्मशाला कैसे पहुंचे? (How to reach Dharamshala?)

हम जब भी कही जाने का प्लान करते हैं तो सबसे पहले यही देखते हैं की आप किस किस साधन द्वारा उस जगह तक पहुंच सकते हैं जहाँ तक आप जाना चाहते हैं। हम नीचे धर्मशाला तक पहुंचने के रूट के बारें में बात करेंगे।

हवाईजहाज द्वारा धर्मशाला कैसे पहुंचे? (How to reach Dharamshala by Flight?)

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आप अगर हवाईजहाज द्वारा धर्मशाला जाना चाहते हैं तो इसका विकल्प भी मौजूद है। Dharamshala के निकटतम एयरपोर्ट गग्गल एयरपोर्ट है जो की धर्मशाला से लगभग 13 किलोमीटर की दुरी पर है। जहाँ से आसानी से टैक्सी द्वारा आप धर्मशाला तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली से आपको आसानी से सीधे फ्लाइट गग्गल के मिल जाएगी। अगर आपको ‘गग्गल’ के लिए फ्लाइट नहीं मिलती है तो आप चंडीगढ़ के लिए भी फ्लाइट ले सकते है और वहां से बस द्वारा धर्मशाला, जो की लगभग 275 किलोमीटर की दुरी पर है।

रेल मार्ग द्वारा धर्मशाला कैसे पहुंचे? (How to reach Dharamshala by Train?)

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आप अगर धर्मशाला तक रेलमार्ग द्वारा जाने की सोच रहे हैं तो ये भी सही विकल्प होगा। दिल्ली से बहुत सी ट्रेन पठानकोट के लिए जाती हैं, जो की धर्मशाला का निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहाँ से धर्मशाला की दुरी 85 किलोमीटर की है, जो की आपको सड़कमार्ग द्वारा बस या टैक्सी से ही कम्पलीट करनी होगी। दिल्ली से जम्मू कश्मीर जाने वाली ट्रेन भी पठानकोट में रूकती है।

बस द्वारा धर्मशाला कैसे पहुंचे? (How to reach Dharamshala by Bus?)

bus

आप अगर बस द्वारा यहाँ जाना चाहते हैं तो अगर आप दिल्ली से हैं तब तो ठीक आपको यहाँ से आसानी से बस मिल जाएँगी और अगर आप किसी और शहर से आते हैं तो आपको सबसे पहले दिल्ली ही आना होगा फिर यहाँ से आप प्राइवेट वॉल्वो बस या सरकारी बसों द्वारा धर्मशाला तक पहुंच सकते हैं। बस द्वारा सफर कुछ लोगो के लिए अच्छा तो किसी किसी के लिए थोड़ा थकावट से भरा रहता है। तो आपको जिस भी वहां से सुविधा हो उसी वाहन से धर्मशाला तक पहुंच सकते हैं।

कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • आप जब भी Dharamshala आये तो एक प्रॉपर प्लानिंग से आये और अपनी रूट के बारें में जान ले।
  • अगर आप यहाँ पर कुछ जगहों पर ट्रैकिंग करना चाहते हैं तो अपने साथ ट्रेकिंग सारा सामान जरूर साथ रखे।
  • यहाँ की कुछ जगह मौसम के अनुसार ही अपनी खूबसूरती को दर्शाती हैं तो उन जगह के बारे में जैसे मैंने ऊपर बताया है तो उसे ध्यान से पढ़े।
  • जैसे की आप जानते हैं की ये हिमालय के पहाड़ो से घिरा हुआ है तो इन सभी जगह ठंडा मौसम ही रहता है तो गर्म कपडे अपने साथ रखे।
  • यहाँ आने का सबसे बेस्ट मौसम मार्च से जून के बीच का होता है और बाकी हम यहाँ के कौन से मौसम में आपको कौन सी सुविधा होगी और कौन सी परेशानी उसके बारे में हम ऊपर बात कर चुके हैं।

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