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होली 2024 | उत्तर प्रदेश के 5 ऐसे शहर जहाँ खेली जाती है होली कुछ अनोखे अंदाज में

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भारत में हर त्योहार और पर्व को बहुत ही खूबसूरती और उत्साह से मनाया जाता है। होली भारत का एक ऐसा त्योहार है जो हर किसी को बहुत अधिक पसंद आता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह से होली मनाई जाती है। सबसे अधिक होली का त्योहार उत्साह के साथ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।

हम इस ब्लॉग में उत्तर प्रदेश के कुछ ऐसे शहरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां होली को मनाने का अंदाज और तरीका दोनो ही अलग हैं। यदि आप होली को कुछ अलग तरह से और कुछ अलग जगहों पर मनाना चाहते हैं तो आपको हमारे द्वारा इस ब्लॉग में बताई गई जगहों पर जरूर जाना चाहिए। तो आइए जानते हैं होली मनाने के अलग-अलग तरीको और उन जगहों के बारे में जहां ये ये होली मनाई जाती हैं…

उत्तर प्रदेश होली मनाने के लिए प्रसिद्ध शहर

जब भी होली मनाने की बात आती है तो हमारे मन में उत्तर प्रदेश का ख्याल सबसे पहला आता है। उत्तर प्रदेश में कुछ बहुत ही प्रसिद्ध शहर हैं जहां अलग-अलग तरह से होली मनाई जाती है। वैसे तो होली रंगों का त्योहार है और भारत के अधिकतर शहरों में होली रंगो द्वारा ही खेली जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में होली कुछ लग तरीके से खेली जाती जैसे- चिता भस्म से, लड्डुओ से, लट्ठ से, जूतों से आदि। तो आईऐ जानते हैं इन इन शहरों के बारे में और यहां मनाई जाने वाली होली के बारे में…

वाराणसी (चिता-भस्म की होली)

वाराणसी भारत का सबसे पुराना और ऐतिहासिक शहर है। वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर और घाटों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। होली के समय में यहां मनाई जाने वाली होली भी लोगो के बीच बहुत आकर्षण का केंद्र रहती है। वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट और मणिकर्णिका घाट पर खेले जाने वाली भस्म होली वाराणसी के साथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इन घाटों पर होली के रंग के साथ लोगो की चिता की राख से होली खेली जाती है। इस होली को मसाने की होली कहा जाता है।

ये होली 2 दिनों तक खेली जाती है। होली के पहले दिन लोगो द्वारा चिता की राख को इकठ्ठा किया जाता है और दूसरे दिन बड़े ही धूम धाम से रंगो के साथ चिता की राख से होली खेली जाती है। इस साल (होली 2024) ये होली 21 मार्च को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर खेली जाएगी। ये होली महादेव को समर्पित की जाती है और होली खेलने से पहले महादेव की पूजा अर्चना की जाती है।

इस होली के बारे में बताया जाता है की इस होली को सबसे पहले भगवान शिव ने यमराज पर विजय प्राप्त करने के बाद खेली थी और तब से लेकर अब तक इस होली को बड़े ही धूम धाम से खेला जाता है। तो आपको इस होली को खेलने के लिए वाराणसी जरूर आना चाहिए। जहां आपको एक उत्सव से भरा और साथ में धार्मिक वातावरण का एहसास होगा।

कैसे पहुंचे?

यहां की होली खेलने के लिए आपको वाराणसी पहुंचना होगा। आप वाराणसी फ्लाइट, ट्रेन और बस द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर और घाटों के सबसे नजदीक एयरपोर्ट लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है। यदि आप ट्रेन द्वारा आना चाहते हैं तो यहां बनारस रेलवे स्टेशन, वाराणसी सिटी जंक्शन है। यदि आप बस द्वारा आना चाहते हैं तो यहां के लिए बस आपको दिल्ली और उत्तर प्रदेश के सभी बड़े शहरों से आसानी से मिल जायेगी।

बरेली (रामलीला मंचन और राम बारात के साथ होली)

आपने दशहरा और दिवाली के समय तो रामलीला के मंचन के बारे में सुना होगा लेकिन उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में होली से पहले रामलीला का मंचन किया जाता है और छोटी होली के दिन राम बारात निकाली जाती है। रामलीला और होली के दिन निकलने वाली राम बारात बरेली में मनाई जाने वाली होली को लोकप्रिय बनाती है।

लड्डू मार होली (होली 2024) खेलते हुए लोग

बरेली में ये परम्परा (होली के समय होने वाली रामलीला) लगभग 162 साल से होती चली आ रही है। ये होली अंग्रेजो के समय में 1861 में शुरू हुई थी। जिसे अंग्रेजों के खिलाफ बरेली के लोगो द्वारा बनाई गई श्रीराम सेना ने शुरू किया था। तब से लेकर अब तक ये परंपरा चली आ रही है। इस होली के बारे में कहा जाता है की जिसने बरेली की राम बारात की होली नहीं देखी उसने कुछ नहीं देखा।

फाल्गुन पूर्णिमा यानि छोटी होली के दिन निकलने वाली राम बारात बरेली के बमनपुरी से निकाली जाती है। जिसमे लोग ट्रालियों पर पानी के ड्रम और गुलाल लेकर निकलते हैं। इस बारात में बच्चो को श्री राम, सीता माता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी के रूप बनाये जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। तो यदि आप बरेली के आस पास के हैं तब आपको बरेली की इस होली को जरूर देखना चाहिए।

कैसे पहुंचे?

बरेली आने का सबसे अच्छा तरीका ट्रेन द्वारा है। बरेली जंक्शन रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन आपको उत्तर प्रदेश के सभी शहरों से मिल जाएंगी इसके साथ ही साथ आपको यहां के लिए ट्रेन दिल्ली से भी मिल जाएंगी। बरेली में अब एयरपोर्ट भी खुल गया है तो अब आप दिल्ली और लखनऊ जैसे शहरों से फ्लाइट द्वारा भी यहां आ सकते हैं। यदि आप बस द्वारा यहां आना चाहते हो तो बरेली के लिए बस आपको उत्तर प्रदेश के अधिकतर शहरों से मिल जाएंगी।

शाहजहांपुर (जूतमार होली या जूता पैजार होली)

उत्तर प्रदेश में होली के अलग अंदाज और तरीको में शाहजहांपुर की होली भी शामिल है। यहां होली खेलने और मनाने का तरीका बहुत ही अलग है। यहां लोग एक शख्स को भैंसे पर या गधे पर बिठाते हैं और पूरे शहर में उसका जुलूस निकालते हैं। इस शख्स को लाट साहब के नाम से बुलाया जाता है। शाहजहांपुर की ये होली भी पूरे भारत में बहुत अधिक लोकप्रिय है और लोग इसे दूर-दूर से देखने आते हैं और इस होली में शामिल होते हैं।

ये होली भी वर्षो से खेली जा रही है और अंग्रेजो के समय से चली आ रही है। ये होली अंग्रेज अफसर के खिलाफ शुरू हुई थी और भारतीय लोग अंग्रेज अफसर को लाट साहब कहते थे। तभी से लोग किसी एक व्यक्ति को लाट साहब बनाकर उसे खूब सारी शराब पिलाकर और अंग्रेज अफसर बना कर उसे जूते की माला पहनाते हैं और उसका जुलूस पूरे शहर में निकालते हैं। तो आप इस होली का लुफ्त उठाने के लिए शाहजहांपुर जरूर जाए।

कैसे पहुंचे?

शाहजहांपुर पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका ट्रेन द्वारा है क्योंकि शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन देश के कई बड़े रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। यदि आप फ्लाइट से यहां आना चाहते हैं तो शाहजहांपुर में कोई भी एयरपोर्ट नही है लेकिन आप फ्लाइट द्वारा बरेली तक आ सकते है और फिर ट्रेन या बस द्वारा आसानी से शाहजहांपुर पहुंच सकते हैं।

लखनऊ (नवाबों की होली)

होली की बात हो और उसमे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का जिक्र न हो ऐसा तो नहीं हो सकता है। लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है और यहां होली भी नवाबों की तरह ही मनाई जाती है। यहां लोग होली के दिन हाथी, ऊंट और घोड़ों की सवारी के साथ जुलूस निकालते हैं। ये होली का जुलूस लखनऊ के चौपटिया से निकाला जाता है और लखनऊ चौक तक जाता है।

ये होली भी वर्षो से चली आ रही है और नवाबों के समय की है। होली के इस तरीके के बारे में बताया जाता है की पहले लखनऊ के नवाब होली के समय हाथी, ऊंट और घोड़ों पर बैठकर लोगो के साथ होली खेलने आया करते थे। तब से लेकर अब तक ये प्रथा चली आ रही है और लोग होली के इस जुलूस में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। होली की इस परम्परा को देखने और होली को एक अलग अंदाज़ में मनाने के लिए आप उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जरूर आए।

कैसे पहुंचे?

लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है। ये शहर बहुत अच्छे तरीके से हवाईमार्ग, रेलमार्ग और सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। आप किसी भी साधन द्वारा यहां आसानी से आ सकते हैं। लखनऊ के लिए फ्लाइट आपको दिल्ली, मुंबई और उत्तर प्रदेश के सभी बड़े एयरपोर्ट्स से मिल जायेगी। यहां आप ट्रेन और बस द्वारा भी आ सकते हैं जोकि सस्ता और सरल तरीका है यहां तक पहुंचने का। तो आपको जो भी साधन अच्छा लगे उसके द्वारा आप लखनऊ तक पहुंच सकते हैं।

मथुरा वृंदावन (लट्ठमार होली, लड्डुमार होली, पुष्प होली, छड़ी मार होली)

होली की बात हो और उसमे मथुरा, वृंदावन, बरसाना और गोकुल की बात न हो ऐसा तो नहीं हो सकता। यदि पूरे भारत की बात की जाए तो होली की लिए सबसे ज्यादा ये शहर ही प्रसिद्ध हैं। यहां की होली इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि ये श्री कृष्ण का जन्म स्थान है और यहां पर विविध प्रकार से होली खेली जाती हैं जैसे मथुरा की लट्ठमार होली, बरसाने की लड्डुमार होली, वृंदावन की लट्ठमार होली और गोकुल की छड़ी मार होली।

लट्ठमार होली खेलती हुयी महिलाये जिसे लोग देखते हुए

होली का सबसे अलग अंदाज और नया रंग इन्ही जगहों पर देखने को मिलता है। यहां आपको रंगो के साथ आस्था का सैलाब भी देखने को मिलेगा। राधा रानी के साथ श्री कृष्ण के भजनों से गूंजती इन गलियों में हुरियारों का मेला लगा होता है। यहां खेले जाने वाली होली के पीछे वर्षो पुरानी प्रथा है और ये प्रथा तब से लेकर अब तक चली आ रही है। होली के अलग अंदाज को देखने के लिए लोग यहां देश विदेश से आते हैं।

आप यदि यहां होली खेलने आ रहे हैं तो आप होली से कुछ दिन पहले ही ऑनलाइन होटल या धर्मशालाएं बुक कर ले क्योंकि होली के समय में यहां होटल्स के रेट बहुत ज्यादा होते है और होटल मिलना भी बहुत मुश्किल रहता है।

कैसे पहुंचे?

मथुरा और वृंदावन पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका ट्रेन द्वारा है। ट्रेन द्वारा यहां आना सस्ता और सरल रहता है। मथुरा रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन आपको देश के बहुत से रेलवे स्टेशनों से मिल जायेगी। यदि आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो मथुरा के सबसे नजदीक एयरपोर्ट आगरा एयरपोर्ट है। आगरा के लिए फ्लाइट आपको लखनऊ, और दिल्ली से मिल जाएंगी। तो आप आसानी से यहां तक आ सकते हैं।


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