उत्तराखंड में स्थित चार धाम मंदिरो के कपाट खुलने की तारीखो का ऐलान हो गया है। मंदिर के कपाट के खुलने से सम्बंधित सभी जानकारी को हमने अपने पिछले ब्लॉग में आपसे साझा किया था। चार धाम मंदिरो को साल में सिर्फ 6 महीनो के लिए खोला जाता है और 6 महीनो के लिए मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है। हम इस ब्लॉग में भगवान केदारनाथ की “केदारनाथ डोली यात्रा” की जानकारी को आपसे साझा करेंगे।
हो सकता है की आपने भगवान केदारनाथ की डोली यात्रा के बारे में न सुना हो तो मैं आपको बता दूं की जब केदारनाथ मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है तो केदारनाथ मंदिर से भगवान शिव की पंच मुखी मूर्ति को डोली में सजाकर उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर में लाया जाता है और 6 महीनो तक भगवान केदारनाथ की पूजा ओम्कारेश्वर मंदिर में ही की जाती है। इस तरह जब कपाट खुलते हैं तो ओम्कारेश्वर मंदिर से भगवान शिव की मूर्ति को वापस केदारनाथ धाम लाया जाता है और मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है।
हर साल होने वाली इस यात्रा को ही “केदारनाथ डोली यात्रा” के नाम से जाना जाता है। इस ब्लॉग में हम केदारनाथ डोली यात्रा के बारे में ही जानेगे जैसे- ये यात्रा कब शुरू होगी?, कितने किलोमीटर की यह यात्रा होती है? और आप इस यात्रा में कैसे शामिल हो सकते हैं, इन सभी जानकारियों को हम आपसे साझा करेंगे। तो आईये जानते हैं केदारनाथ डोली यात्रा के बारे में…
विषय सूची
शार्ट जानकारी
यात्रा | केदारनाथ डोली यात्रा |
पता | उखीमठ से केदारनाथ तक |
यात्रा की दूरी | 60 किलोमीटर |
यात्रा अवधि | 5 दिन |
यात्रा की शुरुआत | 6 मई से |
केदारनाथ डोली यात्रा
केदारनाथ डोली यात्रा हर साल भगवान शिव के केदारनाथ के कपाट खुलने पर और उसके बाद कपाट के बंद किये जाने पर होती है। डोली यात्रा की यह परम्परा सदियों पुरानी है और सदियों से होती चली आ रही है। कहते हैं ये परम्परा ठीक उतनी ही पुरानी है जितना पुराना केदारनाथ मंदिर है।
मुख्यता भगवान शिव की दो मूर्तियां इस यात्रा का हिस्सा होती हैं जिसमे एक भोग मूर्ति और दूसरी पंच मुखी मूर्ति। सदियों से चली आ रही इस यात्रा में पहले सिर्फ भोग मूर्ति को शोमाल्या और भंडारी जाति के लोगो द्वारा खुनखुन (कंडी नुमा ढांचा) में लाया और ले जाया जाता था।
अब वर्तमान समय में भगवान शिव की पंच मुखी मूर्ति को चांदी की डोली में लाने और ले जाने की परम्परा “बिरला परिवार” द्वारा सन 1964 में भगवान केदारनाथ को भेट की गयी चांदी की डोली के बाद पड़ी। उसके बाद इस यात्रा को बड़े ही उत्साह से भव्यता से निकाले जाने लगा। अब (2024) जब केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का ऐलान हो गया है तो अब यह यात्रा पुनः शुरू होगी और भगवान शिव की मूर्तियों को डोली में सजा कर ओम्कारेश्वर मंदिर से केदारनाथ मंदिर में लाया जायेगा।
केदारनाथ डोली यात्रा कब शुरू होगी?
2024 में शिवरात्रि के दिन चार धाम मंदिरो के कपाट खुलने का ऐलान कर दिया गया है। केदारनाथ मंदिर के कपाट 10 मई 2024 के दिन बड़े ही धूम धाम से और पूजा अर्चना के साथ खोल दिए जायेंगे। केदारनाथ मंदिर के कपाट के खुलने से पहले भगवान शिव की पंच मुखी मूर्ति और भोग मूर्ति को उखीमठ के ओमकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ लाया जायेगा उसके बाद ही मंदिर के कपाट खोले जायेंगे। ओम्कारेश्वर मंदिर से केदारनाथ मंदिर तक मूर्तियों को आने और ले जाने की इस यात्रा को डोली यात्रा के नाम से जाना जाता है।
इस साल यह यात्रा 6 मई 2024 से शुरू होगी और 9 मई के शाम तक केदारनाथ धाम पहुंच जाएगी। 10 मई को सुबह 7 बजे विधि विधान से मंदिर के कपाट खोल दिए जायेंगे। यह यात्रा हर साल की जाती है जब केदारनाथ के कपाट खोले जाते हैं और जब कपाट बंद किये जाते हैं। डोली यात्रा को पूरा होने में 5 दिन लगते हैं। इन 5 दिनों में यात्रा रुक-रुककर केदारनाथ धाम तक पहुँचती है।
- यात्रा का पहला दिन : उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर से गुप्तकाशी
- यात्रा का दूसरा दिन : गुप्तकाशी से फाटा
- यात्रा का तीसरा दिन : फाटा से गौरी कुंड
- यात्रा का चौथा दिन : गौरी कुंड से केदारनाथ
- यात्रा का पांचवा दिन : केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलेंगे और मूर्ति स्थापना की जाएगी और फिर यात्रा की समाप्ति
केदारनाथ डोली यात्रा कितनी लम्बी है?
भगवान केदारनाथ की यह भव्य यात्रा 60 किलोमीटर लम्बी होती है जिसे पूरा होने में 5 दिन लगते हैं। डोली यात्रा में भगवान शिव की पंच मुखी मूर्ति और भोग मूर्ति को आने और ले जाने का काम उखीमठ ब्लॉक के राशि और गांधार गांव के लोगो द्वारा ही किया जाता है। इस यात्रा को यह लोग नंगे पैर करते हैं और 60 किलोमीटर तक पैदल नंगे पैर ही जाते हैं।
केदारनाथ डोली यात्रा में कैसे शामिल हो सकते हैं?
पहले के मुक़ाबले अब इस यात्रा में सम्मलित होने के लिए बहुत से श्रद्धालु पहले से ही उखीमठ के ओमकारेश्वर मंदिर पहुंच जाते हैं। यह यात्रा उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर से शुरू होती है और केदारनाथ मंदिर तक जाती है। इस साल यह यात्रा 6 मई को शुरू होगी तो आप 6 तारीख से पहले ही उखीमठ पहुंच जाए। यात्रा शुरू होने से पहले की रात को भगवान भैरवनाथ की पूजा की जाती और पूरी रात भजन-कीर्तन किये जाते हैं।
आप अगर इस यात्रा में शामिल होना चाहते हो तो आप उखीमठ से गौरीकुंड तक कहीं से भी इस यात्रा में सम्मलित हो सकते हो। जैसे की हम ऊपर बता चुके हैं की यह यात्रा जगह-जगह पर रुक कर आगे बढ़ती है तो उसी हिसाब से आप इस यात्रा के बीच में कही से भी जुड़ सकते हैं। कुछ लोग यात्रा के शुरुआत से ही (उखीमठ ओमकारेश्वर मंदिर से) इस यात्रा में शामिल हो जाते हैं और कुछ लोग गुप्तकाशी से कुछ फाटा से तो कुछ लोग गौरी कुंड से तो कुछ बीच रास्तो से भी शामिल होते हैं। तो आप इस यात्रा में कहीं से भी शामिल हो सकते हैं।
डोली यात्रा के दौरान रुकना और खाना
केदारनाथ डोली यात्रा उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर से शुरू होकर केदारनाथ मंदिर तक जाती है। यह यात्रा 60 किलोमीटर की होती है जिसे पैदल ही पूरा किया जाता है। यात्रा के दौरान इसमें शामिल श्रद्धालुओं के लिए रुकने और खाने की व्यवस्था स्थानीय लोगो और सरकार द्वारा की जाती है।
यात्रा के दौरान जगह-जगह पर भण्डारे का आयोजन किया जाता है जिससे लोगो को खाने की कोई भी परेशानी न हो। खाने के साथ रुकने के लिए भी कुछ जगह दी जाती हैं जहाँ आप रुक सकते हैं। यदि आप यहाँ रूम लेकर रुकना चाहे तो उन्हें भी बुक कर सकते हैं।
चार धाम मंदिरो के खुलने की डेट (Date)
चार धाम मंदिर जिसमे केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर शामिल हैं इन मंदिरो के कपाट खुलने का ऐलान शिवरात्रि के दिन कर दिया गया है, तो आईये जानते हैं मंदिरो के खुलने की तारीखों के बारे…
Mandir | Opening Date |
---|---|
केदारनाथ मंदिर | 10 मई 2024 |
बद्रीनाथ मंदिर | 12 मई 2024 |
गंगोत्री मंदिर | 10 मई 2024 |
यमुनोत्री मंदिर | 10 मई 2024 |
उखीमठ ओमकारेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे?
आप जब भी इस डोली यात्रा में सम्मलित होने के लिए उखीमठ आये तो अपनी गाड़ी की जगह प्राइवेट गाड़ी या बस द्वारा आये क्यूंकि यह यात्रा पैदल ही पूरी की जाती है इसलिए आप यहाँ अपनी गाड़ी से न आये। इस यात्रा में सम्मलित होने के लिए और उखीमठ पहुंचने के लिए आप बस द्वारा उखीमठ तक पहुंच सकते हैं और यदि बस नहीं मिलती है तो आप प्राइवेट गाड़ी द्वारा टुकड़ो में उखीमठ तक पहुंच सकते हैं। तो आईये जानते हैं की आप किस प्रकार से यहाँ तक पहुंच सकते हैं…
सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
उखीमठ उत्तराखंड में स्थित है तो यहाँ तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका सड़कमार्ग द्वारा है। उखीमठ तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आप हरिद्वार, देहरादून या ऋषिकेश पहुंचे। यहाँ से आपको उखीमठ के लिए बस और प्राइवेट टैक्सी मिल जाएँगी जिनकी सहायता से आप उखीमठ पहुंच सकते हैं। उखीमठ के लिए सुबह में इन जगहों से बस मिलती है। यदि आपकी बस छूट जाती है तो आप प्राइवेट जीप या शेयरिंग कैब की सहायता से उखीमठ तक पहुंच सकते हैं।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
उखीमठ में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है। उखीमठ ओमकारेश्वर मंदिर के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और देहरादून रेलवे स्टेशन है। यहाँ से मंदिर तक की बाकि की दूरी को आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरा करना होगा। जिसे आप शेयरिंग कैब या बस और प्राइवेट गाड़ियों द्वारा पूरा कर सकते हैं।
हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
उखीमठ में कोई एयरपोर्ट भी नहीं है। उखीमठ के सबसे नजदीक एयरपोर्ट “जॉली ग्रांट एयरपोर्ट” है जो देहरादून में स्थित है। देहरादून से उखीमठ तक की बाकि की दूरी को आप सड़कमार्ग द्वारा पूरा कर सकते हैं।