दिल्ली: दिल्ली में स्थित कालकाजी मंदिर का साहित्यिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व रहा है। यह मंदिर दिल्ली में आने वाले तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, और भक्तो के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा है।
यह मंदिर जितना अधिक प्राचीन है उतनी ही गहरी इस मंदिर के प्रति लोगो की आस्था है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर को इच्छा पूर्ति मंदिर भी कहते हैं। तो आईये जानते हैं कालकाजी मंदिर दिल्ली की सभी जानकारियों को….
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कालकाजी मंदिर कहां पर है?
कालकाजी मंदिर दिल्ली में स्थित है। यह मंदिर भारत की राजधानी शहर दिल्ली के कालका इलाके में है जो दिल्ली के बाकि पर्यटक स्थल के मुक़ाबले जितना ही प्रसिद्ध है। यह मंदिर कमल मंदिर ( Lotus Temple ) और इस्कॉन मंदिर के निकट ही स्थित है। यह मंदिर दुर्गा माता के कालका रूप यानी माता काली को समर्पित है और इस इलाके का नाम इसी मंदिर की वजह से कालका रखा गया है।
कालकाजी मंदिर का इतिहास
कालकाजी मंदिर का इतिहास और इसका निर्माण बीते हुए समय की धुंध में छिपा है। इस मंदिर के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट जानकारी कोई नहीं जानता है कि यह मंदिर कब बना और किसने कालका जी मंदिर को बनवाया। लेकिन कुछ अतीत के पन्नो में इस मंदिर का जिक्र मिलता है। ऐसा कहा जाता है की यह मंदिर महाभारत काल का है या उससे भी पुराना है।
मंदिर को किसने बनवाया यह तो किसी को नहीं पता लेकिन समय-समय पर कुछ लोगो ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण जरूर कराया है। कहते हैं इस मंदिर के प्राचीन हिस्से का निर्माण मराठाओ ने 1764 ईस्वी को कराया था। ऐसा कहा जाता उसके बाद 1816 ईस्वी को राजा केदारनाथ ने इस मंदिर को सही कराया था। राजा केदारनाथ अकबर के पेशकार थे। कुछ समय के बाद इस मंदिर के पास रहने वाले लोगो ने इस मंदिर के आसपास धर्मशालाओ का निर्माण कराया और एक बार फिर इस मंदिर में कुछ परिवर्तन किया गया, जो आज मंदिर का वर्तमान स्वरूप है।
कुछ किवदंतियों के अनुसार इस मंदिर को महाभारत काल से पुराना माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले पांडवो के साथ इस मंदिर में माता काली की आराधना की थी।
ऐसा भी माना जाता है की सतयुग में माता काली द्वारा बहुत से राक्षसों का वध किया गया। ऐसा ही एक राक्षस रक्तबीज का वध भी माता काली ने किया था। माता काली का बहुत अधिक उग्र रूप देखकर सभी देवतागण भयभीत हो गए थे और इसी स्थान पर देवताओ ने माता की आराधना और स्तुति की थी। माता के शांत होने पर माता ने सभी देवताओं से कहा जो भी इस स्थान पर मेरी स्तुति करेगा उसकी मनोकामना जरूर पूरी होगी। तभी यहाँ इस मंदिर की स्थापना हुयी थी।
कालकाजी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
कालकाजी मंदिर लोगो की इच्छा पूर्ति करने की वजह से अत्यधिक प्रसिद्ध है इसलिए इस मंदिर को “मनोकामना सिद्ध पीठ” के नाम से भी जाना जाता है। इस पीठ को एक और नाम जयंती पीठ से भी जाना जाता है।
देवताओ के द्वारा स्तुति और आराधना करने के बाद माता कालका ने यह आशीर्वाद दिया था की जो कोई भी यहाँ सच्चे मन से मेरी आराधना करेगा उसकी मनोकामना जरूर पूरी होगी इसलिए इस मंदिर में देश के बड़े-बड़े लोग माता का आशीर्वाद लेने और उनकी पूजा करने आते हैं।
कालकाजी मंदिर खुलने का समय
कालकाजी मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है और रात 11 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के कपाट दिन में 11:30 बजे भोग लगाने पर 12:00 बजे तक बंद कर दिए जाते हैं और फिर दिन में 3:00 से 4:00 बजे के बीच में मंदिर में साफ़ सफाई के दौरान बंद रहते हैं। बाकि समय में आप कभी भी इस मंदिर में माता कालका के दर्शन कर सकते हैं।
कालकाजी मंदिर की संरचना और वास्तुकला
कालकाजी मंदिर की वास्तुकला पारम्परिक और समकालीन है, जो प्राचीन और आधुनिक दोनों तरह की कला को दर्शाती है। मंदिर पिरामिडाकार का है और इसे बनाने में ईंट और संगमरमर के पत्थर का प्रयोग किया गया है। मंदिर के गर्भ ग्रह में माता कालका शक्ति पीठ रूप में विराजमान हैं, गर्भ ग्रह के ठीक सामने दो बाघों की मूर्तियां हैं। मंदिर परिसर में एक माता की मूर्ति भी स्थापित है जिसपर माता का नाम लिखा हुआ है। मंदिर का बाहरी भाग पुरानी शैली को दर्शाता है तथा पौराणिक कथाओ से प्रेरणा लेता है।
कालकाजी मंदिर में 12 द्वार हैं जो साल के 12 महीनो को दर्शाते हैं। मंदिर के प्रत्येक द्वार पर माता के 12 अलग अलग रूपों को दर्शया गया है। इस मंदिर की एक और खास बात है की जब ग्रहण पड़ता है तो विश्व के सभी मंदिरो के कपाट बंद कर दिए जाते हैं लेकिन इस मंदिर के कपाट बंद नहीं होते हैं क्यूंकि इस मंदिर के परिक्रमा करने पर आप इसके चारो ओर 36 मात्राओ के घोतक को देख सकते हैं। इन मात्राओ के अधीन सभी ग्रह को माना गया है इसी वजह से इस मंदिर के कपाट बंद नहीं किये जाते हैं।
कालकाजी मंदिर में भोग क्या लगता है?
इस मंदिर में माता कालका को 5-6 तरह के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में भैरवनाथ भी स्थापित हैं।
मंदिर में माता कालका और भैरव नाथ को सात्विक, राजसी और तामसी तीनो तरह का भोग लगाया जाता है इसलिए मंदिर में भोग के तौर पर मदिरा भी चढ़ाई जाती है। सप्ताह में मंगलवार और सप्तमी के दिन को छोड़ कर हर एक दिन मंदिर में मदिरा चढ़ाई जाती है।
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कालकाजी मंदिर दिल्ली तक कैसे पहुंचे?
कालकाजी मंदिर दिल्ली में होने की वजह से यहाँ आने में आपको कोई भी तकलीफ नहीं होगी। दिल्ली पहुंच कर आप आसानी से मंदिर तक दिल्ली मेट्रो या सड़कमार्ग द्वारा बस और टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं। कालकाजी मंदिर दिल्ली के कालका इलाके में स्थित है जो दिल्ली मेट्रो स्टेशन द्वारा, लोकल टैक्सी और बस द्वारा जुड़ा हुआ है। तो आईये जानते हैं आप मंदिर तक कैसे पहुंचेंगे….
फ्लाइट द्वारा कैसे पहुंचे?
दिल्ली देश की राजधानी होने के कारण यहाँ के लिए देश के किसी भी कोने से फ्लाइट मिल जाएगी। कालकाजी मंदिर के सबसे निकट एयरपोर्ट अंतराष्टीय हवाई अड्डा इंदिरा गाँधी हवाई अड्डा है। यह एयरपोर्ट कालकाजी मंदिर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से बाकि का सफर आप यहाँ की लोकल टैक्सी या मेट्रो द्वारा पूरा कर सकते हैं।
बस द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप बस द्वारा यहाँ आना चाहते हैं तो आप अपने शहर से बस द्वारा दिल्ली आ सकते हैं, जो दिल्ली ISBT आनंद बिहार बस स्टेशन पर रूकती हैं। बस स्टेशन से कालकाजी मंदिर की दूरी 23 किलोमीटर है। जिसे आप लोकल टैक्सी द्वारा पूरा कर सकते हैं। आप आनंद बिहार से दिल्ली मेट्रो द्वारा भी यहाँ आ सकते हैं।
ट्रेन द्वारा कैसे पहुंचे?
सबसे अच्छा और सस्ता तरीका ट्रेन द्वारा है कालकाजी मंदिर तक पहुंचने का। देश के लगभग हर शहर से दिल्ली के लिए ट्रेन मिल जाती हैं। आप ट्रेन द्वारा दिल्ली आनंद बिहार रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं। उसके बाद आप आनंद बिहार मेट्रो स्टेशन से वॉयलेट लाइन वाली मेट्रो पकड़ कर कालकाजी मेट्रो स्टेशन तक पहुंच सकते हैं उसके बाद आप आसानी से कालकाजी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। यह मंदिर नेहरू प्लेस के पास में ही स्थित है और ओखला कालकाजी मेट्रो स्टेशन के बीच में स्थित है।
कालकाजी मंदिर के पास कुछ आकर्षक पर्यटक स्थल
कालकाजी मंदिर श्रद्धालुओं के साथ-साथ दिल्ली घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए भी काफी पसंद आता है। इस मंदिर के पास भी कुछ बहुत ही प्रसिद्ध और आकर्षक पर्यटक स्थल है। अगर आप पहली बार दिल्ली में इस मंदिर में दर्शन करने आ रहे हैं तो आपको इसके पास के कुछ फेमस जगहों पर भी जाना चाहिए।
लोटस मंदिर
कालकाजी मंदिर में दर्शन करने के पश्चात आप यहाँ से लोटस टेम्पल भी जा सकते हैं। कालकाजी मंदिर से लोटस टेम्पल की दूरी 600 मीटर की है। इस दूरी को आप दिल्ली मेट्रो द्वारा भी पूरा कर सकते हो और पैदल मार्ग द्वारा भी पूरा कर सकते हो।
इंडिया गेट
यदि आप दिल्ली पहली बार आ रहें हैं तो आप इंडिया गेट पर घूमने जा सकते हैं। कालकाजी मंदिर से इंडिया गेट आप दिल्ली मेट्रो द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं, तो आप इंडिया गेट भी घूमने जरूर जाए।
लाल किला
आप दिल्ली में लाल किला पर घूमने भी जा सकते हैं। यह एक राष्टीय ऐतिहासिक किला है जिसे मुग़ल काल में बनवाया गया था। लाल किला पर हर 26 जनवरी को राष्टपति द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है, और 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री द्वारा लाल किला पर ध्वजारोहण किया जाता है।
अक्षरधाम मंदिर
अक्षरधाम मंदिर एक पुरानी वास्तुकला को प्रदर्शित करता है। इस मंदिर को भगवान स्वामीनारायण को श्रद्धांजलि के तौर पर बनवाया गया था। इस मंदिर को बनाने में लगभग 5 साल का समय लगा।
इस मंदिर का उद्धघाटन 6 नवंबर 2005 को किया गया था। दिल्ली में स्थित यह एक और खूबसूरत स्थल है जहाँ आप घूमने जा सकते हैं।