भारत का उत्तराखंड राज्य पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही खूबसूरत और महत्वपूर्ण राज्य है। यहाँ हर साल लाखो लोग अपने परिवार के साथ हिमालय की वादियों में छुट्टियां मानाने आते हैं। उत्तराखंड में स्थित सबसे अधिक जगहें किसी न किसी रूप में धार्मिक महत्व से जुड़ी हुयी हैं। यहाँ बहुत से ऐसे शहर हैं जो किसी न किसी तरह से महादेव या किसी अन्य हिन्दू देवी-देवताओ से जुड़े हुए हैं। ऐसा ही एक शहर है गुप्तकाशी जिसके नाम से लेकर इसकी पहचान तक देवो के देव महादेव से जुड़ी हुयी है।
इस ब्लॉग में हम उत्तराखंड के इसी शहर में और इसके आस पास स्थित कुछ बेहद खूबसूरत जगहों के बारे में जानेगे। गुप्तकाशी शहर केदारनाथ जाने वाले मार्ग के बीच में पड़ता है। तो इसलिए आप जब भी केदारनाथ की यात्रा करे तो गुप्तकाशी में भी कुछ समय जरूर बिताये और गुप्तकाशी तथा इसके आस पास स्थित मंदिरो में दर्शन करे। तो आईये जानते हैं गुप्तकाशी और इसके आस पास स्थित कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में…
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गुप्तकाशी कहाँ है?
गुप्तकाशी शहर भारत के उत्तराखंड राज्ये के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह खूबसूरत शहर केदारनाथ जाने वाले राष्टीय राजमार्ग पर स्थित है। यह शहर उत्तराखंड के राजधानी देहरादून से 217 किलोमीटर, हरिद्वार से 203 किलोमीटर, ऋषिकेश से 181 किलोमीटर दूर स्थित है। इस शहर का नाम महाभारत काल के दौरान पड़ा। जब भगवान शिव इस जगह से अन्तर्ध्यान हुए तभी से इस जगह का नाम गुप्तकाशी पड़ा।
तो आईये जानते हैं यहाँ की कुछ सबसे अच्छी जगहों के बारे में, जिससे आप जब भी गुप्तकाशी जाए तो आप इन जगहों पर घूम सके।
गुप्तकाशी और इसके आस पास स्थित जगहें
गुप्तकाशी शहर केदारनाथ जाने वाले राष्टीय राजमार्ग पर स्थित है। आप जब भी केदारनाथ की यात्रा करे तो एक दो दिन गुप्तकाशी में भी रुके। गुप्तकाशी शहर का सीधा सम्बन्ध महादेव से है। यहाँ बहुत से महादेव के प्राचीन मंदिर बने हुए हैं जो गुप्तकाशी की पहचान हैं। गुप्तकाशी और इसके आस पास बहुत से प्राचीन मंदिर और जगहें हैं जहाँ आपको जाना चाहिए। तो आईये जानते हैं इन सभी जगहों और मंदिरो के बारे में…
काशी विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी
गुप्तकाशी में मुख्य मार्किट से लगभग 1 किलोमीटर ऊपर की ओर स्थित है विश्वनाथ मंदिर, जिसे “काशी विश्वनाथ मंदिर” भी कहते हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की यह महाभारत काल से भी पुराना है, और इसी मंदिर में भगवान शिव ने माता पार्वती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था। इस मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारी को हम पहले भी बता चुके हैं तो उससे भी जरूर पढ़े। समय बिताने के लिए और घूमने के लिए गुप्तकाशी में स्थित यह एक बहुत ही अच्छा और शांत मंदिर है।
अर्धनारेश्वरी मंदिर
विश्वनाथ मंदिर के पास में ही अर्धनारेश्वरी मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर में आप शिव और शक्ति दोनों रूपों के दर्शन कर सकते हैं। गुप्तकाशी में स्थित यह मंदिर भी बहुत ही प्राचीन माना जाता है। इस मंदिर के बारे में कहते हैं की भगवान शिव और माता पार्वती जी एक साथ इस मंदिर में विराजमान हैं। तो यह भी एक अच्छा स्थान है गुप्तकाशी में घूमने के लिए।
मणिकर्णिका कुंड
इस मंदिर के ठीक सामने एक कुंड स्थित है, जिसे मणिकर्णिका कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है की इस कुंड में दो जल धाराएं गिरती हैं। इन दोनों जल धाराओं में एक धारा गंगा जी की है और एक धारा यमुना जी की है। इस कुंड में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करने के बाद ही इन दोनों मंदिर में दर्शन करते हैं।
कालीमठ मन्दिर
कालीमठ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में और गुप्तकाशी के पास ही स्थित एक बहुत ही प्राचीन और सुन्दर मंदिर है। यह मंदिर विश्वनाथ मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर तक आप आसानी से गाड़ी द्वारा पहुंच सकते हैं।
कालीमठ मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय नवरात्रों का है। वैसे आप साल में कभी भी इस मंदिर में पूजा करने और माता के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। यह मंदिर साल भर खुला रहता है।
ओम्कारेश्वर मंदिर उखीमठ
आप गुप्तकाशी से उखीमठ के लिए भी जा सकते हैं। जो केदारनाथ जाने वाले मार्ग के बीच में ही पड़ता है। यदि आप गुप्तकाशी ठंडो के समय में आ रहे हो तो आपको उखीमठ जरूर आना चाहिए।
उखीमठ का ओम्कारेश्वर मंदिर बाबा केदारनाथ की शीतकालीन गद्दी है। जब नवंबर के बाद केदारनाथ के कपाट 6 महीनो के लिए बंद कर दिए जाते हैं तब बाबा केदार की पंच मुखी मूर्ति को इसी मंदिर में 6 महीनो के लिए विराजमान कर दिया जाता है इसलिए ठंडो में लोग बाबा केदारनाथ के दर्शन इसी मंदिर में करते हैं।
त्रियुगीनारायण मंदिर
आप गुप्तकाशी से त्रियुगनारायण गांव भी जा सकते हैं। गुप्तकाशी से त्रियुगीनारायण गांव की दूरी 38 किलोमीटर है, जिसे आप गाड़ी द्वारा आसानी से पूरा कर सकते हैं। यदि आप अपनी पत्नी के साथ गुप्तकाशी आये हैं तो आपको त्रियुगीनारायण गांव में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर जरूर जाना चाहिए।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की यही वह मंदिर है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। विवाह के सभी काम विष्णु जी ने माता पार्वती के भाई के रूप में किये थे और पंडित जी कार्य ब्रह्मा जी ने किया था। शिव जी के विवाह होने के कारण ही यह मंदिर और यह गांव विवाह करने के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध है।
नारायण कोटि मंदिर
गुप्तकाशी से 3 किलोमीटर दूर ही स्थित है नारायण कोटि मंदिर। यह बहुत से मंदिरो का समूह है, जिनके बारे में कहा जाता है की इन मंदिरो को 9 वीं शताब्दी में बनाया गया था और तब इनकी संख्या 360 हुआ करती थी।
वक़्त के साथ-साथ और देख रेख न होने के कारण और समय-समय पर आने वाली आपदाओं के कारण इन मंदिरो की संख्या सिर्फ 40 बची है। यह मंदिर पुरानी शैली में बने हुए हैं और इनपर की गयी नक्काशी इन्हे और खूबसूरत बनाती है। तो आपको इस मंदिर में भी जरूर जाना चाहिए।
गौरीकुंड
यदि आप ठंडो के समय में इस गुप्तकाशी आये हुए हैं, तो आप केदारनाथ मंदिर तक तो नहीं जा सकते हैं, लेकिन आप गौरी कुंड तक अवश्य जा सकते हैं। यह जगह माता गौरी यानि माता पार्वती को समर्पित है। कहते हैं की इसी जगह पर माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी, इसलिए इस जगह का भी बहुत अधिक महत्व है। यहाँ एक कुंड भी बना हुआ, जिसमे हमेशा गर्म पानी रहता है।
केदारनाथ मंदिर के लिए पैदल ट्रेक यहीं से शुरू होता है। यहाँ गौरी कुंड में स्नान करके और माता गौरी का आशीर्वाद लेकर ही श्रद्धालु केदारनाथ मंदिर का ट्रेक शुरू करते हैं।