आज दुनिया में जितने भी धर्म हैं उनमें हिन्दू धर्म सबसे पुराना माना जाता है। हिन्दू धर्म में जितनी आस्था शिव के प्रति है उससे कही ज्यादा शक्ति के प्रति है। शक्ति यानी ‘माता सती’ या कहे ‘माता पार्वती’ को माना जाता है। आज जितने भी शक्ति पीठो में माता की पूजा की जाती है वो माता सती का ही एक रूप है। हम इस ब्लॉग में माता के शक्ति पीठो के बारे में भी जानेगे तो अंत तक ब्लॉग को जरूर पढ़े।
हम इस ब्लॉग में जिस शक्ति पीठ की बात करने जा रहे हैं वो है मध्य प्रदेश का “मैहर माँ शारदा माता मंदिर”। इस मंदिर के बारे में कही जाती हैं बहुत ही रहस्य भरी बातें। इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको इस मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारी देने की कोशिश करेंगे।आप इस मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं? यह कहाँ स्थित है? क्या है शक्ति पीठो के बनने की कहानी? इन सभी बातों को हम विस्तार पूर्वक जानेगे। अगर ब्लॉग पसंद आये तो अपना फीडबैक कमेंट के माध्यम से जरूर दे।
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मैहर देवी मंदिर कहाँ है?
यह मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले के मैहर ग्राम में त्रिकूट पर्वत पर 600 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर सड़क मार्ग द्वारा अच्छे तरह से जुड़ा हुआ है। मैहर में रेलवे स्टेशन भी है जो की एक बहुत ही अच्छा साधन है यहाँ तक पहुंचने के लिए। मुख्य सड़क से मंदिर तक 1063 सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है। यदि आप पैदल चलने में असमर्थ हैं तो मैहर माँ शारदा माता मंदिर एक रोप-वे से भी जुड़ा हुआ है जिसकी सहायता से आप आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
क्या है शक्ति पीठ बनने की कहानी?
माता के शक्ति पीठ बनने की कहानी कई हज़ारो साल पुरानी है। जो की माता सती, उनके पिता महाराज दक्ष, भगवान शिव और विष्णु जी से जुड़ी हुयी है। हमारे पुराणों में लिखा हुआ है जब भगवान शिव का विवाह माता सती से होना था तब महाराज दक्ष को भगवान शिव पसंद नहीं थे, और वो माता का विवाह शिव जी से नहीं करना चाहते थे, लेकिन ब्रह्मा जी के समझाने पर वो विवाह के लिए तैयार हो गए।
एक बार महाराज दक्ष ने यज्ञ का आयोजन कराया और उसमे सभी देवी देवताओ को आमंत्रित किया, लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया। जिससे माता सती को बहुत दुःख हुआ। जब माता ने महाराज दक्ष से शिव जी को न आमंत्रित करने का कारण पूछा तो महाराज दक्ष ने शिव जी के बारे में बहुत उपशब्द कहे। जिससे क्रोध और दुःख में आकर माता सती ने उसी यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो उन्होंने माता सती के शव को गोद में उठाकर क्रोध में आकर तांडव करना शुरू कर दिया।
भगवान शिव के क्रोध भरे तांडव से पूरी पृथ्वी डोलने लगी, सभी देवी देवता शिव के इस क्रोध को देखकर भयभीत होने लगे। तब भगवान विष्णु को लगा की अगर शिव जी के क्रोध को शांत नहीं किया गया तो उनके क्रोध से पूरी पृथ्वी नष्ट हो जाएगी। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शव को कई भागो में विभाजित कर दिया। माता सती के शरीर के हिस्से या उनके आभूषण जिस-जिस जगह गिरे उन सभी जगह शक्ति पीठो का निर्माण हुआ। आज माता के 51 शक्ति पीठ हैं जो भारत के साथ उसके पास के देश में भी स्थित हैं।
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तो कुछ इस प्रकार से माता के शक्ति पीठो की स्थापना हुयी। हम आज जिस शक्ति पीठ की बात कर रहे हैं वह है, “मैहर माँ शारदा माता मंदिर”। इसको मैहर के नाम से इसलिए जानते हैं क्यूंकि यहाँ पर माता सती का गले का हार गिरा था। कहते हैं इस मंदिर को सबसे पहले कई वर्षो पहले के शूरवीर योद्धाओ में से एक आल्हा उदल ने खोजा था। वो आज भी इस मंदिर में माँ का सबसे पहला श्रृंगार करते हैं।
मैहर माँ शारदा माता मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
मैहर माँ शारदा माता मंदिर इसलिए बहुत प्रसिद्ध है क्यूंकि यह भारत का इकलौता माँ शारदा का मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की इतिहास के योद्धाओ में से एक आल्हा आज भी इस मंदिर में पूजा करने आते हैं। यहाँ के लोगो और पुजारियों का कहना है की इस मंदिर में शाम के मंदिर कापट बंद होने के बाद मंदिर में पूजा होने की गतिविधिया होती हैं। लोगो का यह भी मानना है की माता का सबसे पहला श्रृंगार वीर योद्धा आल्हा ही करते हैं।
इस जगह का नाम मैहर क्यों पड़ा?
इस जगह का नाम मैहर, माता सती की वजह से ही पड़ा। जब भगवान विष्णु ने माता सती के शव को कई भागो में विभाजित किया तब माता के गले का हार इस जगह त्रिकूट पर्वत पर गिरा। गले का हार गिरने की वजह से इस जगह माँ के शक्ति पीठ का निर्माण हुआ और इस जगह का नाम मैहर रखा गया। अर्थात मैहर मतलब “माँ के गले का हार”।
माँ शारदा माता मंदिर में दर्शन करने का सबसे अच्छा समय?
आप माता के दर्शन के लिए इस जगह कभी भी जा सकते हैं। ये मंदिर पुरे वर्ष खुला रहता है तो आप दर्शन के लिए कभी भी आ सकते हैं। अगर सबसे अच्छे समय की बात करे तो वो है नवरात्रो के समय का। जब वर्ष में दो बार माँ के नवरात्रे आते हैं तो इस जगह मेला लगता है, उस समय बाकि दिनों के तुलना में बहुत अधिक भीड़ रहती है। नवरात्रो में इस शक्ति पीठ के साथ बाकि जगह भी काफी भक्तो की भीड़ रहती है। बस इस समय में एक ही दिक्कत रहती है की अधिक भीड़ होने के कारण माँ के दर्शन ठीक तरह से नहीं हो पाते हैं।
मंदिर के अंदर और बाहर का व्यू?
मंदिर में प्रवेश के दौरान आप देखेंगे की मंदिर में माता की प्रतिमा स्थापित है और पास ही सतयुग में भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह देव की मूर्ति भी स्थापित है। इस पीठ को नरसिंह पीठ के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के अंदर भगवान नरसिंह की पाषाण की मूर्ति स्थापित है, जिसे लगभग 1500 वर्ष पुराना माना जाता है।
मंदिर त्रिकूट पर्वत पर 600 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यहाँ से आसपास के और दूर-दूर तक के मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं। इस मंदिर की आल्हा से जुड़ी हुयी भी एक कहानी है तो नीचे आप आल्हा अखाड़ा और आल्हा तालाब को भी देख सकते हैं जिसे हाल भी दुबारा रेनोवेट किया गया है, जो वहां के लोगो के बीच काफी लोकप्रिय है। नीचे से मंदिर तक रोप वे से आने पर आपको बहुत ही अच्छा फील होगा और वहां से मंदिर और उसके चारो ओर का दर्शय भी काफी मनमोहक लगता है।
मैहर माँ शारदा माता मंदिर तक रोप-वे का किराया?
अगर आप नीचे से मंदिर तक की दूरी को पैदल न चलकर रोप वे द्वारा करना चाहते हैं तो आप इसके द्वारा भी मंदिर तक के सफर को तय कर सकते हैं। नीचे से मंदिर तक रोप वे का किराया व्यस्क व्यक्ति के लिए 150 रुपये प्रति व्यक्ति होता है जो की आने जाने का होता है। वहीं बच्चो का किराया (3 से 10 वर्ष तक के) 100 रुपये होता है। यह दोनों तरफ का किराया होता है।
मैहर में कहां रुके?
जब आप यहाँ मैहर माँ शारदा माता मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं तो अगर आप यहाँ दो या तीन दिन रुकना चाहते हैं तो आपको यहाँ पर बहुत ही अच्छे होटल और कुछ सस्ते लॉज़ मिल जायेंगे। मैहर में माता के मंदिर के पास में नीचे की ओर काफी होटल्स हैं, जहाँ आप रुक सकते हैं। आप जब भी रूम ले या तो आप अपने हिसाब से ऑनलाइन रूम देख ले या तो आप मैहर रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर रूम ले। इससे आपको कम रुपये में अच्छा रूम मिल जायेगा।
माँ शारदा माता मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?
यह मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर ग्राम में स्थित है। मैहर काफी बड़ा तीर्थस्थल होने के कारण यह सड़क मार्ग और रेलमार्ग दोनों से बहुत ही अच्छे तरीके से जुड़ा हुआ है। यहाँ तक आप किस तरह से पहुंच सकते हैं और यहां पहुंचने के क्या-क्या साधन हैं उन्हें अब हम नीचे विस्तार से जानेगे।
फ्लाइट द्वारा मैहर माँ शारदा माता मंदिर तक कैसे पहुंचे?
यदि आप मध्य प्रदेश के अलावा किसी और राज्य से या देश से बाहर से आ रहे हैं तो मैहर के सबसे अधिक नजदीक एयरपोर्ट खजुराहो एयरपोर्ट है जो मैहर से 105 किलोमीटर की दूरी पर है और दूसरा एयरपोर्ट प्रयागराज एयरपोर्ट है जो मैहर से 163 किलोमीटर दूर स्थित है। इन दोनों जगहों से आपको बसे और प्राइवेट टैक्सी या जीप मैहर तक के लिए मिल जाएँगी। मैहर बस स्टैंड से ऑटो द्वारा मंदिर तक आप आसानी से पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा मैहर माँ शारदा माता मंदिर तक कैसे पहुंचे?
मैहर तक आने का सबसे अच्छा ऑप्शन ट्रेन द्वारा है, जो की बहुत ही आरामदायक और कम बजट वाला होता है। मैहर में मैहर रेलवे स्टेशन है जहाँ नवरात्रों के दौरान काफी ट्रेने रूकती हैं, लेकिन नवरात्रो के अलावा कुछ ही ट्रेन मैहर रेलवे स्टेशन पर रूकती हैं। अगर आप मध्य प्रदेश से ही हैं और तब आप यहाँ आ रहे हैं तो आप अपने रेलवे स्टेशन से पता करके सीधे मैहर रेलवे स्टेशन की ट्रेन पकड़ कर मैहर आ सकते हैं।
अगर आप मध्य प्रदेश से बाहर के हैं तो सतना रेलवे स्टेशन पहुंचे जो की देश के बाकी बड़े रेलवे स्टेशनो से जुड़ा हुआ है। आप सतना से ट्रेन पकड़कर मैहर के लिए आ सकते हैं। अगर ट्रेन नहीं मिलती है तो आप सतना से बस या टैक्सी द्वारा मैहर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। सतना से मैहर तक की दूरी 47 किलोमीटर की है। मैहर कटनी जंक्शन और सतना जंक्शन के बीच स्थित है। मैहर स्टेशन पर पहुंच कर आप ऑटो द्वारा बहुत ही आसानी से माँ शारदा माता मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
बस द्वारा मैहर माँ शारदा माता मंदिर तक कैसे पहुंचे?
यदि आप बस द्वारा मंदिर तक पहुंचना चाहते हैं तो मैहर में माता के मंदिर के पास ही दो बस स्टैंड है। एक बस स्टैंड मंदिर से लगभग 1 से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस बस स्टैंड पर सतना जैसे कई बड़े शहरों के लिए बसे मिलती हैं। वही दूसरा बस स्टैंड रेलवे स्टेशन के दूसरी ओर मुख्य शहर को जाने वाली सड़क मार्ग के पास में स्थित है। बस द्वारा ये सफर काफी अच्छा रहता है।
तो कुछ इस प्रकार आप यहां माँ शारदा माता मंदिर में दर्शन के लिए आ सकते हैं। अगर आपको आपके शहर से ट्रेन या फ्लाइट नहीं मिल रही हैं तो आप दिल्ली आ सकते हैं और यहाँ से आपको सतना के लिए ट्रेन मिल जाएगी और मैहर के निकटतम एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट भी मिल जाएँगी। दिल्ली देश की राजधानी होने के कारण यहाँ से लगभग देश के सभी भागो के लिए बसे या ट्रेन मिल जाती हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बाते
- आप वैसे तो कभी भी इस मंदिर में माता के और नरसिंह देव के दर्शन करने के लिए आ सकते हैं, लेकिन आप यहाँ नवरात्रो में आने की कोशिश करे।
- आप त्रिकूट पर्वत से नीचे आल्हा तालाब में भी जरूर जाए जो देखने में काफी सुन्दर दिखाई देता है।
- आप यहाँ रूम हमेशा मंदिर से और रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूरी पर ही ले जिससे आपको कम रुपये में अच्छा रूम मिल जायेगा।