भारत में महादेव के बहुत से मंदिर हैं जिनके प्रति लोगी की बहुत ही गहरी आस्था है। महादेव के मंदिर जितने महादेव के कारण आस्था का केंद्र हैं उतना ही उनके भक्तो के वजह से भी। आज महादेव के जितने भी मंदिर हैं उनके पीछे कोई न कोई पौराणिक या आस्था से जुड़ी हुई कहानी जरूर है।
भगवान शिव के मंदिरो की बात करे तो उनके कुछ मंदिर ऐसे हैं जिनके दर्शन करने के लिए आपको कई किलोमीटर पैदल पहाड़ो पर चलना पड़ता है जैसे केदारनाथ, तुंगनाथ तो कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जो मुख्य शहरों में है जैसे काशी विश्वनाथ मंदिर(गुप्तकाशी), वाराणसी तो कुछ सागर के किनारे भी। इस ब्लॉग में जिस मंदिर की बात करने जा रहें हैं वो है, “चूड़धार महादेव मंदिर या शिरगुल महाराज मंदिर”।
चूड़धार महादेव मंदिर हिमांचल में स्थित है। हम इस ब्लॉग के माध्यम से चूड़धार महादेव मंदिर तक की यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को जानेगे। जैसे ये मंदिर कहाँ स्थित है? इस मंदिर तक आप कैसे पहुंच सकते हैं? यहाँ पहुंचने के साधन क्या हैं? इस मंदिर तक का ट्रेक कितना लम्बा है? यहाँ आप कहाँ रुक सकते हैं? आदि।
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कुछ बेसिक जानकारी
- स्थान(Location) : सिरमौर, शाया गांव हिमांचल प्रदेश(Sirmour, Shaya Village Himachal)
- ट्रेक(Trek) : 18 किलोमीटर (18 Kilometer)
- यात्रा अवधि(Duration) : 2 से 3 दिन (2 To 3 Days)
- बेस कैंप(Base Camp) : नोहराधार(Nohradhar)
- कठनाई(Difficulty) : मध्यम से कठिन(Medium To Difficult)
चूड़धार महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?
चूड़धार महादेव मंदिर भारत के हिमांचल प्रदेश राज्य के सिरमौर जिले के नोहराधार से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चूड़धार एक पर्वत का नाम है और उसी के नाम से यह मंदिर है “चूड़धार महादेव मंदिर”। यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको हिमांचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आना होगा, वहां से नोहराधार और फिर नोहराधार से 18 किलोमीटर ट्रेक करके आप चूड़धार पर्वत चोटी पर पहुंच सकते हैं। यह मंदिर सिरमौर की सबसे ऊँची चोटी 11965 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
चूड़धार महादेव मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
हिमांचल प्रदेश के सिरमौर, शिमला और इससे लगे कई शहरो में शिरगुल महाराज को यहाँ के लोग अपने इष्ट देवता के रूप में मानते हैं, और ये मंदिर भी एक तरह से शिरगुल महाराज को ही समर्पित है इसलिए ये इतना प्रसिद्ध है। आज चूड़धार कुछ इसलिए भी लोकप्रिय हो रहा है क्यूंकि यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 18 किलोमीटर का ट्रेक करना पड़ता है तो जो लोग ट्रेकिंग के शौकीन हैं उन्हें ये जगह और ये मंदिर काफी पसंद आता है।
क्या है इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानी?
इस मंदिर से जुड़ी एक बहुत ही पौराणिक कहानी है जिसके साक्ष्य आज भी देखने को मिलते हैं। यहाँ के मंदिर के बारे में कहा जाता है की महाभारत काल के दौरान एक व्यक्ति अपने बेटे चूरू के साथ इस मंदिर में दर्शन के लिए आता है। इस यात्रा के दौरान वो दोनों लोग थक कर एक जगह रूककर आराम करने लगते हैं।
तभी एक साप न जाने कहा से आ जाता है वो दोनों लोग बहुत डर जाते हैं और भागने की कोशिश करते हैं लेकिन भाग नहीं पाते हैं। जब शिरगुल महाराज ये सब देखते है तो वो वहां पर पड़े एक बहुत ही बड़े पत्थर के दो टुकड़े कर देते हैं और पत्थर का एक भाग नीचे साँप पर गिर जाता है और साँप मर जाता है, और वो दोनों लोग बच जाते हैं। तभी से इस मंदिर के प्रति और महाराज शिरगुल के प्रति लोगो की आस्था बहुत गहरी होती चली गयी। तब से लेकर अब तक इस मंदिर के प्रति और महाराज शिरगुल के प्रति लोगो की बहुत ही गहरी आस्था रही है।
चूड़धार महादेव मंदिर तक का ट्रेक कैसा है?
चूड़धार महादेव मंदिर तक का ये ट्रेक लगभग 18 किलोमीटर का है। इस ट्रेक को मध्यम से कठनाई में रखा गया है। शुरू का रास्ता सीढ़ियों की चढ़ाई द्वारा शुरू होता है। जैसे जैसे आप रास्ते पर आगे बढ़ते जाते हैं आपको कुछ समतल और थोड़ा चढ़ाई वाले रास्ते का सामना करना पड़ता है। ये 18 किलोमीटर ट्रेक का रास्ता कुछ घने जंगलो से तो कुछ खुले मैदानों से होकर जाता है।
इस ट्रेक का सबसे कठिन भाग आखरी के 1 से 2 किलोमीटर हैं। जहाँ से एक दम पत्थरो पर सीधे खड़ी चढ़ाई शुरू हो जाती है। ट्रेक के आखरी कुछ किलोमीटर पर आपको दो रास्ते दिखाई देंगे। जिसमे एक ऊपर चोटी की ओर जाता है और दूसरा नीचे मंदिर की ओर जहाँ भगवान शिव और शिरगुल महाराज के दर्शन किये जाते हैं। ऊपर चोटी पर भी एक छोटा सा मंदिर है और भगवान शिव की एक काफी बड़ी मूर्ति स्थापित है।
चोटी और मंदिर के बाहर का दर्शय कैसा है?
जब आप ये 18 किलोमीटर का ट्रेक पूरा करके चोटी पर पहुंचते हैं तो वहां पर एक छोटा सा महादेव का मंदिर है और एक बहुत ही बड़ी भगवान शिव कि मूर्ति स्थापित है। चोटी पर जिस ओर मंदिर है उसके चारो ओर रेलिंग लगी हुई है। यहाँ से जब आप देखेंगे तो आपको हिमांचल के सभी पहाड़ देखने को मिलेंगे। चूड़धार महादेव मंदिर सिरमौर की सबसे ऊँची चोटी पर है, जिससे यहाँ से आपको हिमालयन रेंज के अधिकतर पहाड़ देखने को मिलते हैं।
जब आप नीचे की ओर शाया गांव में आते हैं, तो वहां स्थित है- चूड़धार मंदिर या शिरगुल महाराज मंदिर। मंदिर के अंदर फोटो या वीडियो बनाना मना है। मंदिर पहाड़ी वास्तुकला द्वारा ही बना हुआ है। जिसे लकड़ी और पत्थरो की सहायता से बनाया गया है। मंदिर के बाहर ही वह पत्थर है जिसे शिरगुल महाराज ने अपने भक्तो को बचने के लिए दो टुकड़े किये थे। लोग उस पत्थर को भी बहुत मानते हैं और उसकी भी पूजा की जाती है। मंदिर से कुछ दुरी पर लोगो के रहने के लिए रूम की व्यवस्था भी है, जहाँ आप रहे सकते हैं।
यहाँ आप कहाँ रुक सकते हैं?
यहाँ रुकने के लिए आपको नोहराधार में बहुत ही अच्छे होटल्स और लॉज़ मिल जायेंगे। नोहराधार में कहीं सही जगह देखकर आप कैंपिंग भी कर सकते हैं। नोहराधार से जहाँ से चूड़धार महादेव मंदिर के लिए रास्ता है उससे कुछ दूरी पर ही रूम ले जिससे आपको सस्ते और अच्छे रूम मिल जायेंगे।
अगर आप ऊपर रुकना चाहते हैं तो ट्रेक के बीच में भी दो रुकने के स्पॉट हैं वहां पर एक दो खाने पिने की दुकाने भी हैं जहाँ आप रुक कर कुछ खा भी सकते हैं। अगर आप चूड़धार पर्वत की चोटी पर पहुंच कर दर्शन करने के बाद लेट हो जाते हैं तो आप चोटी से नीचे शाया गांव जहाँ शिरगुल महाराज का मंदिर भी है, उसके पास में भी रुक सकते हैं। यहाँ आपको किराये पर रूम मिल जातें हैं और अगर यहाँ आप कैंपिंग करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।
ये ट्रिप कितने दिन की होगी?
इस ट्रिप को पूरा होने में आपको 3 से 4 दिन लग सकते हैं। पहला दिन आपके घर से नोहराधार तक का रहता है। जब दिल्ली से सोलन के लिए रात में बस द्वारा आते हैं तो वो सुबह में आपको सोलन तक पंहुचा देती है। उसके बाद आप सोलन से नोहराधार तक 3 घंटे में पहुंच जायेंगे। आप नोहराधार में एक रूम लेकर आज का दिन वही विताये और वहां की खूबसूरती का और वहां के पहाड़ो का मज़ा ले। आज की रात नोहराधार में रुक कर आप अपने सफर की सारी थकान को दूर करे। अगले दिन आप चूड़धार के लिए ट्रेक शुरू कर दे, जिसे आप लगभग 6 से 7 घंटे में पूरा कर लेंगे।
आप शाम तक चोटी पर पहुंच जायेंगे। चोटी पर भगवान शिव के दर्शन करने के बाद वहां कुछ समय रुके और फिर नीचे शिरगुल महाराज के मंदिर की ओर उतरना प्रारम्भ कर दे। मंदिर पहुंचकर आप वहां भी दर्शन करे और वही शाया गांव में रुक जाए। अगली सुबह मंदिर में दुबारा दर्शन करे और फिर नीचे नोहराधार के लिए उतरना शुरू कर दे। आप लगभग शाम तक नीचे आ जायेंगे। आप आज रात नोहराधार में रुके और सुबह उठा कर बस पकड़कर सोलन पहुंचे और फिर वहां से सीधे दिल्ली। तो कुछ इस प्रकार आपके इस ट्रिप के ये दिन हो सकते हैं।
चूड़धार महादेव मंदिर आने का सबसे अच्छा समय?
आप यहाँ पर सर्दियों के मौसम को छोड़कर कभी आ सकते हैं। सर्दियों के मौसम में यानी नवंबर के लास्ट से लेकर फ़रवरी तक इस यात्रा को बंद कर दिया जाता है क्यूंकि अधिक बर्फवारी होने के कारण रास्ते ब्लॉक हो जाते हैं। चूड़धार महादेव मंदिर आने का सबसे अच्छा टाइम मार्च से लेकर जून तक का। इस समय में आपको मौसम साफ मिलता है और चोटी से दूर दूर तक के पहाड़ बहुत ही सुन्दर दिखाई पड़ते हैं।
अधिकतर ट्रेकर्स या श्रद्धालु इस मौसम में यहाँ आना पसंद करते हैं। जून के बाद दो तीन महीने पुरे देश में मानसून का होता है जिस कारण से इस समय में यहाँ आना थोड़ा कठिन रहता है क्यूंकि बारिश की वजह से रास्ते ब्लॉक हो जाते हैं और लैंड स्लाइड का खतरा बढ़ जाता है।
चूड़धार महादेव मंदिर तक कैसे पहुंचे?
इस जगह के बारे में हिमांचल और कुछ इससे लगे राज्य और वहां के कुछ ही लोगो को जानते हैं। तो अब हम जानते हैं की आप किन किन साधन से इस जगह आ सकते हैं और आप यहाँ किस रूट द्वारा पहुंच सकते हैं।
चूड़धार महादेव मंदिर बस द्वारा कैसे पहुंचे?
ये जगह हिमांचल प्रदेश के सिरमौर जिले में है। हिमांचल प्रदेश पूरे तरह से पहाड़ो से घिरा राज्य है, और यहाँ के किसी भी टूरिस्ट स्पॉट या धार्मिक स्थल तक आने के लिए सबसे अच्छा तरीका बस के द्वारा है यदि आपके पास अपना पर्सनल विहिकल नहीं है तो। यदि हम बस की बात करे तो हिमांचल के लिए देश के कई बड़े शहरों से आपको बसे मिल जाएँगी। अगर आपको हिमांचल के लिए आपके राज्य से डायरेक्ट बस नहीं मिलती है तो सबसे अच्छा तरीका है की आप पहले दिल्ली पहुंचे।
दिल्ली पहुंचकर आप दिल्ली ISBT पर जाकर हिमांचल की बस का पता करे वहां से आपको यहाँ के लिए बस बहुत ही सुविधाजनक तरीके से मिल जाएँगी। आपको दिल्ली से सोलन जाने वाली बस पर बैठना है। दिल्ली से सोलन तक की दूरी 298 किलोमीटर है जिसे पूरा करने में आपको लगभग 6 घंटे लगेंगे। सोलन से आप नोहराधार जाने वाली बस पर बैठे, जो आपको लगभग 3 घंटे में नोहराधार पंहुचा देगी। सोलन से नोहराधार तक की दूरी 66 किलोमीटर की है। नोहराधार जो की चूड़धार का बेस कैंप है, यहाँ से चूड़धार के लिए आपका 18 किलोमीटर का ट्रेक शुरू होता है।
चूरधार महादेव मंदिर ट्रेन द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप इस जर्नी को ट्रेन द्वारा करना चाहते हैं तो आपको इस सफर को दो भागो में करना होगा। पहले ट्रेन द्वारा और उसके बाद बस या प्राइवेट टैक्सी द्वारा, क्यूंकि नोहराधार में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है तो आपको यहां के सबसे निकट रेलवे स्टेशन अंबाला 161 किलोमीटर, चंडीगढ़ 129 किलोमीटर और देहरादून 144 किलोमीटर तक आपको ट्रेन द्वारा पहुंचना होगा उसके बाद इन जगहों से नोहराधार तक का सफर बस, प्राइवेट टैक्सी द्वारा करना होगा ।
आप जिस भी राज्य में रहते हैं उसके हिसाब से चेक कर ले आपके यहाँ से इन जगहों के लिए ट्रेने है या नहीं। अगर आपको आपके यहाँ से ट्रेन नहीं मिलती है तो आप दिल्ली से इन जगहों के लिए ट्रेन ले सकते हैं।
आप दिल्ली से जिस भी शहर के लिए ट्रेन लेते हैं उन सभी जगहों से नोहराधार के लिए बसे और प्राइवेट टैक्सी आपको मिल जाएँगी। अगर आप इन जगहों से बस से नोहराधार के लिए सफर तय कर रहे हैं तो ये जर्नी आपकी खूबसूरत जर्नी में से एक हो सकती है। नोहराधार से चूड़धार महादेव मंदिर तक का ट्रेक शुरू होता है जो की 18 किलोमीटर का है।
चूड़धार महादेव मंदिर फ्लाइट द्वारा कैसे पहुंचे?
आप अगर फ्लाइट द्वारा जाना चाहते हैं तो आप उसके द्वारा भी जा सकते हैं, लेकिन ट्रेन की तरह ही फ्लाइट से भी आपको आधी दूरी फ्लाइट द्वारा तय करनी पड़ेगी बाकि आधी दुरी को आपको सड़कमार्ग द्वारा बस या टैक्सी से कम्पलीट करनी होगी। यहाँ के सबसे निकट एयरपोर्ट देहरादून एयरपोर्ट और चंडीगढ़ एयरपोर्ट है। यहाँ के लिए आपको देश के कई शहरों से फ्लाइट मिल जाएगी। देहरादून से नोहराधार तक की दूरी 144 किलोमीटर है और चंडीगढ़ से यह दुरी 129 किलोमीटर है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
- आप जब भी यहां आये पहले पूरी प्लानिंग कर ले कि किस जगह आपको रुकना है, कब ट्रेक शुरू करना है आदि।
- ये ट्रेक थोड़ा कठिन है तो आप ग्रुप में ही इस ट्रेक को करे।
- इस ट्रेक के दौरान आप एलेक्ट्रोल, ग्लुकोन डी, पानी पीते रहें और पुरे ट्रेक के दौरान हाइड्रेट होते रहे।
- जहाँ भी आपको पानी का स्रोत मिले तुरन्त अपने बोतल में पानी भर ले, क्यूंकि कभी इस ट्रेक में 3 से 4 किलोमीटर तक पानी का स्रोत नहीं मिलता है।
- इस ट्रेक को आप सुबह में जल्दी शुरू करे और शाम शिरगुल महाराज के मंदिर के पास में ही बिताये और फिर अगली सुबह वहां से नोहराधार के लिए नीचे उतरना शुरू करे।
- अगर आप इस ट्रेक को थोड़ा सा ऑफ सीजन में कर रहें हैं तो आप अपने पास खाने का सामान जरूर साथ रखे क्यूंकि यहाँ फिर खाने की दूकान नहीं मिलती हैं।