Shikari Devi Mandir Himachal Pradesh | शिकारी देवी मंदिर की जानकारी, कैसे पहुंचे? मंदिर का इतिहास? आदि

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हिमाचल प्रदेश का मंडी शहर अत्यधिक प्रसिद्ध है क्यूंकि यहाँ से बहुत से खूबसूरत जगहों के लिए रास्ता जाता है। मंडी हिमाचल का एक बहु चर्चित जिला है जहाँ से आप पराशर लेक का ट्रेक, बरोट घाटी, भीमा काली देवी मंदिर आदि खूबसूरत मंदिर और जगहों पर घूम सकते हैं। मंडी के पास ऐसे बहुत से मंदिर और जगहें हैं जिनके बारे में लोगो को बहुत कम मालूम है जिस वजह से ये जगहें छिपी रह जाती हैं। एक ऐसी जगह और मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जो कुछ रहस्यों से घिरा हुआ है और बहुत ही सुन्दर जंगल के बीच में स्थित है।

हम बात कर रहे हैं मंडी शहर के पास स्थित “शिकारी देवी मंदिर” की। ये मंदिर शिकारी देवी वन्यजीव अभ्यारण में स्थित है। इस ब्लॉग में हम शिकारी देवी मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे। शिकारी देवी मंदिर के बारे में लोग बहुत ही कम जानते हैं जिस वजह से यहाँ की खूबसूरती अनदेखी है इसलिए आप जब भी हिमाचल प्रदेश की ट्रिप पर आये तो शिकारी देवी मंदिर पर जरूर जाए। तो आईये जानते हैं शिकारी देवी मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारियों को…

शार्ट जानकारी

जगहशिकारी देवी मंदिर
पतामंडी की जंजैहली घाटी में 11000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है।
प्रसिद्ध होने का कारणमंदिर के छत रहित होने के कारण और पांडवो द्वारा स्थापना होने के कारण
ट्रेक की दूरी1 से 2 किलोमीटर
निकट रेलवे स्टेशनजोगिन्दर नगर रेलवे स्टेशन
निकट एयरपोर्टभुंतर एयरपोर्ट

शिकारी देवी मंदिर कहाँ पर स्थित है?

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के क्राउन कहे जाने वाली सबसे ऊँची पहाड़ी पर 3359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर मंडी जिले से लगभग 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर के मुख्य गेट से मंदिर के लिए ऊपर पहाड़ी तक लगभग 1000 सीढ़ियों को चढ़ना होता है। इन सीढ़ियों का ट्रेक पूरा करके आप शिकारी देवी के मंदिर तक पहुंच सकते हैं ।

शिकारी देवी मंदिर का इतिहास

शिकारी देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है की यह मंदिर महाभारत काल का है और इस मंदिर को स्वयं पांडवो ने बनाया था। ऐसा माना जाता है की पांडवो ने इस मंदिर का निर्माण अपने अज्ञातवास के दौरान किया था लेकिन इस मंदिर की ऊपर छत का निर्माण क्यों नहीं किया वो आज भी रहस्य बना हुआ है। मंदिर के पास की पहाड़ी के बारे में कहा जाता है की उस पर ऋषि मार्कन्डे ने सालो तक तपस्या की थी।

शिकारी देवी मंदिर की कहानी

शिकारी देवी मंदिर के बनने और उनकी स्थापना को लेकर कोई भी पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। मंदिर के बारे में एक कहानी बताई जाती है जो महाभारत काल के पात्र पांडवो से जुड़ी हुयी है। ऐसा कहा जाता है की पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान इसी जगह शिकार कर रहे थे तब उन्हें माता काली के दर्शन प्राप्त होते हैं। माता के दर्शन को पाकर पांडव इसी पहाड़ी पर माता की पिंडी रूप में स्थापना करते हैं और मंदिर का निर्माण करते हैं लेकिन मंदिर को लेकर जो सबसे बड़ा रहस्य है वो यह है की यह मंदिर छत रहित है।

जैसा देखा जाता है की सभी मंदिरो को बनाने पर मंदिर की छत जरूर होती है लेकिन इस मंदिर के ऊपर छत नहीं बनी हुयी है। वर्तमान समय में भी काफी बार इस मंदिर की ऊपर छत डालने का प्रयास किया गया है लेकिन हर बार प्रयास नाकाम रहा है।

शिकारी देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

यह मंदिर मंडी जिले की सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण और मंदिर पर छत नहीं होने के कारण और ऋषि मार्कन्डे की तपस्थली होने के कारण बहुत अधिक प्रसिद्ध है। मंदिर बहुत अधिक ऊंचाई पर है और मंदिर छत रहित है लेकिन इस मंदिर के परिसर में आपको कभी भी बर्फ देखने को नहीं मिलेगी। मंदिर के चारो ओर का भाग ठंडो में बर्फ से ढक जाता है लेकिन मंदिर में कभी भी बर्फ नहीं होती है। यह बात भी मंदिर को बहुत अधिक प्रसिद्ध बनाती है।

शिकारी देवी मंदिर कब खुलता है?

यह मंदिर साल में सिर्फ 8 से 9 महीने के लिए ही खुलता है। यह मंदिर मंडी जिले के सभी अधिक ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी पर है जिस वजह से यहाँ पर ठंडो में अधिक बर्फवारी होती है। अधिक ठण्ड पड़ने और बर्फवारी की वजह से इस मंदिर को नवंबर में बंद कर दिया जाता है। यह मंदिर 15 मार्च से लेकर 15 नवंबर तक खुला रहता है। इस बीच में आप कभी इस मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।

शिकारी देवी मंदिर कैसे पहुचे?

शिकारी देवी मंदिर हिमाचल के मंडी शहर से 116 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिकारी देवी मंदिर तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका सड़कमार्ग द्वारा है। जंजैहली शहर हिमाचल के मंडी शहर से सड़कमार्ग द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है। यदि आप फ्लाइट और ट्रैन द्वारा यहाँ आना चाहते हैं तो आप सिर्फ आधी दूरी ही तय कर सकते हैं बाकि की आधी दूरी आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी। तो आईये विस्तार से जानते हैं की आप कैसे शिकारी देवी मंदिर तक पहुंच सकते हैं…

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

शिकारी देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर पहुंचना होगा। मंडी शहर के बस स्टेशन के 7 नंबर गेट पर आपको जंजैहली के लिए बस मिल जाएगी। यह बस सुबह 6 बजे मंडी से जंजैहली के लिए जाती है। मंडी से जंजैहली की दूरी लगभग 98 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में लगभग 4 से 5 घंटे लगेंगे। जंजैहली से शिकारी देवी मंदिर की दूरी लगभग 15 किलोमीटर रह जाती है।

जंजैहली से शिकारी देवी मंदिर तक आपको कोई भी शेयरिंग कैब या बस नहीं मिलेगी आपको यहाँ से मंदिर तक प्राइवेट गाड़ी बुक करके ही जाना होगा। इन प्राइवेट गाड़ियों का आने जाने का किराया लगभग 1000 से 1500 रुपये हो सकता है। शिकारी देवी मंदिर ऊपर पहाड़ की चोटी पर स्थित है इसलिए आपको नीचे गेट से 1000 सीढ़ियों का मंदिर तक का ट्रेक करना होता है। इस 1 घंटे का ट्रेक करके आप शिकारी देवी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप शिकारी देवी ट्रेन द्वारा आना चाहते हो तो आप जोगिन्दर नगर रेलवे स्टेशन तक आ सकते हैं। मंडी में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है। मंडी के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन जोगिन्दर नगर रेलवे स्टेशन ही है। जोगिन्दर नगर रेलवे स्टेशन से मंडी तक की दूरी लगभग 72 किलोमीटर है जिसे आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरा करना होगा।

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप फ्लाइट द्वारा आना चाहते हैं तो जंजैहली के सबसे निकटतम एयरपोर्ट भुंतर एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट कुल्लू जिले में स्थित है जो जंजैहली से 118 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से बाकि मंदिर तक की दूरी सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी। सड़कमार्ग द्वारा बाकि की दूरी आप कैसे पूरी कर सकते हैं उसके बारे में हम ऊपर पहले ही बता चुके हैं।


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