Tungnath विश्व का सबसे ऊँचे स्थान पर बना एक पौराणिक और रहस्यमयी भगवान शिव का मंदिर (Tungnath Trek)

Tungnath : भारत का एक ऐसा मंदिर जो न कि भारत का बल्कि विश्व का सबसे ऊँचे स्थान पर स्थित मंदिर है। जिसे “तुंगनाथ मंदिर” के नाम से जाना जाता है। Tungnath एक पर्वत का नाम है, जो कि उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। तुंगनाथ, मंदिर के लिए ही नहीं अपनी खूबसूरत वादियों और वहां के ट्रेको के लिए भी बहुत जाना जाता है।

 Tungnath मंदिर और यहाँ स्थित सभी ट्रेको के बारे में हम विस्तार पूर्वक जानेंगे। जैसे, आप इस जगह कब – कब जा सकते हैं? यहाँ जाने का रूट क्या है? यहाँ जाने से पहले क्या तैयारी करे? यहाँ कि पौराणिक कहानी क्या है? इसे उत्तराखंड का स्विट्ज़रलैंड क्यों कहते हैं? और भी बहुत सी जानकारी जिसे मैं इस ब्लॉग के माध्यम से आपको देने कि कोशिश करूँगा! आपने हमारे पिछले ब्लॉग जो कि वाराणसी और केदारनाथ के बारे में हैं। अगर उन्हें न पढ़ा हो तो एक बार उन्हें भी पढ़िए।

Tungnath मंदिर कहाँ स्थित है ?

CHANDRASHILA PAHADI

 

सबसे पहली बात यह आती है कि ये मंदिर है कहाँ, तो ये मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता से 3 किलोमीटर कि दुरी पर है। कहने के लिए ये विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर है, पर इसकी चढ़ाई इतनी कठिन नहीं है। यह मंदिर समुद्रतल से 13000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर 3460 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है।

Tungnath मंदिर का इतिहास ?

NANDI

 

तुंगनाथ मंदिर लगभग 1000 वर्ष या शायद उससे भी पुराना है।इस मंदिर में भगवान शिव कि पांच केदार में से एक रूप कि पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को पांडवो द्वारा बनवाया गया था जो कि करुक्षेत्र में हुए उस युद्ध में गोत्र हत्या और ब्राह्मण हत्या के दोष के भागी बन गए थे। महर्षि व्यास जी ने उन्हें उनके पापो से मुक्त होने के लिए भगवान शिव से मिलकर उनकी आराधना करने के लिए कहा। लेकिन भगवान शिव उनके इस कार्य से रुष्ट थे और वो इनसे मिलना नहीं चाहते थे, इसलिए भगवान शिव काशी से निकलकर गुप्तकाशी में एक बैल (नंदी) का रूप धारण करके छिप गए।

SHIV

 

पांडव जब काशी पहुंचे तो वहां उन्हें शिव जी नहीं मिले, तो भगवान शिव को खोजते खोजते वे गुप्तकाशी जा पहुंचे। जब भगवान शिव को पता लगा कि पांडव यह तक पहुंच गए हैं, तो वो एक बैलो के झुण्ड में जा मिले जिससे पांडव उन्हें न पहचान पाए। लेकिन पांडव में से भीम भगवान शिव को पहचान जाते हैं, जिससे भगवान शिव धरती में शमा जाते हैं। पांडवो कि इस दृढ संकल्प शक्ति को देख कर शिव जी उनसे प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें दर्शन देकर उन्हें उनके पापो से मुक्त कर देते हैं।

Tungnath, एक पंच केदार

TUNGNATH MANDIR
Tungnath, Chopta – 20 Nov, 2021 – Tungnath is one of the highest Shiva temples in the world

तुंगनाथ मंदिर पांच केदार में से एक है, और उन्ही एक रूप में उनकी पूजा की जाती है। जब भगवान शिव बैल रूप में धरती में समां जाते हैं, तो उस बैल के शरीर के हिस्से पांच जगह प्रकट हुए, जिसमें पीठ केदारनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, भुजा तुंगनाथ में, नाभि मध्येश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। पांडवो ने इन पांचो जगहों पर मंदिरो का निर्माण कराया। जो की आज भी अपनी जगह स्थित हैं और अपनी कहानी कहे रहे हैं।

Tungnath कब जाये और उसका रूट ?

Root

 

वैसे तो आप तुंगनाथ साल में कभी भी जा सकते हैं। इसका रूट हमेशा खुला रहता है परन्तु मंदिर के कपाट साल में सिर्फ 6 महीने ही खुलते हैं। मंदिर के कपाट अप्रैल में खुलकर, सर्दियों में अधिक बर्फवारी होने के कारण नवंबर में बंद कर दिए जाते हैं। आप अप्रैल से नवंबर के बीच में कभी भी तुंगनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। अगर आप यहाँ नवंबर के बाद आते हैं तो, आप भगवान शिव के दर्शन मक्कूमठ में कर सकते हैं क्यूंकि अधिक बर्फवारी होने के कारण भगवान शिव की मूर्ति को तुंगनाथ से मक्कूमठ के मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है।

Tungnath ही पांच केदार में एक ऐसा केदार है जहा तक जाने के लिए सीधे यातायात सुविधा मौजूद है। आप Tungnath ट्रेन, बस, प्राइवेट गाड़ी, हवाईजहाज से भी आ सकते हैं। तुंगनाथ के सबसे निकटतम एयरपोर्ट देहरादून में है, जहाँ से तुंगनाथ की दुरी 243 किलोमीटर है। देहरादून से आप बस या प्राइवेट गाड़ी द्वारा तुंगनाथ पहुंच सकते हैं। तुंगनाथ से सबसे निकटतम स्टेशन ऋषिकेश है, यहाँ से भी आपको प्राइवेट गाड़ी या बस मिल जाएँगी।

Tungnath जाने के लिए आपको निम्न रूट को फॉलो करना होगा :-

  • देहरादून – ऋषिकेश – श्रीनगर – रुद्रप्रयाग – अगस्तमुनि – उखीमठ – चोपता – तुंगनाथ
  • हरिद्वार – ऋषिकेश – श्रीनगर – रुद्रप्रयाग – अगस्तमुनि – उखीमठ – चोपता – तुंगनाथ
  • ऋषिकेश – श्रीनगर – रुद्रप्रयाग – अगस्तमुनि – उखीमठ – चोपता – तुंगनाथ

यातायात सुविधा :-

YATAYAT SUVIDHA

 

आप अगर Tungnath ट्रेन से आते हैं तो आपको सबसे निकट स्टेशन ऋषिकेश मिलेगा और अगर आप हवाईजहाज से आते हैं तो आपको सबसे निकट एयरपोर्ट देहरादून में मिलेगा। इन दोनों जगह पहुंच कर आप या तो सीधे चोपता के लिए बस या जीप देख ले जो की मिलना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए आप सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार से रुद्रप्रयाग और वहां से उखीमठ और फिर वहां से आप चोपता पहुंच सकते हैं। चोपता तक आप गाड़ी के द्वारा पहुंच सकते हैं फिर इसके बाद यहां से शुरू होती है 3 – 4 किलोमीटर की पैदल यात्रा।

Tungnath में रहने की व्यवस्था (होटल्स & धर्मशाला)?

HOTELS

 

आप अगर बस या प्राइवेट या अपनी पर्सनल गाड़ी से आते हैं तो आप एक रात उखीमठ में रुक सकते हैं। जहाँ से चोपता की दुरी 30 किलोमीटर है। यहां से सुबह में चोपता के लिए रवाना हो सकते हैं। आपको रुकने के लिए रोड के किनारे ही काफी होटल्स और धर्मशाला मिल जाएँगी। वही अगर आप चोपता में रुकना चाहते हैं तो वो मेरे हिसाब से सबसे अच्छा होगा क्यूंकि आप चोपता से ही सुबह में जल्दी उठकर अपनी ट्रेकिंग शुरू कर सकते हैं। चोपता में आपको सस्ते और अच्छे रूम मिल जायेंगे जो आपके बजट में होंगे।

वहां का खाना ?

FOOD

 

आपको चोपता से लेकर पुरे ट्रेक में छोटी छोटी दुकाने और टी-स्टाल मिल जायेंगे। जहां आपके खाने के साथ – साथ रहने के लिए रूम भी होते हैं। मंदिर के पास में भी आपको कुछ दुकाने मिल जाएँगी, जहां से आप मंदिर में चढ़ाने के लिए प्रसाद और खाने के लिए खाना और चाय भी पी सकते हैं। यहां पर मुख्यता खाने में मैग्गी और कड़ी चावल या पहाड़ी खाना ही मिलता है। जिसका स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है।

घोड़ो और खच्चरों द्वारा ट्रेक ?

अगर आप पहाड़ पर चढाई करने में थोड़ा असमर्थ हैं तो आप Tungnath ट्रेक को घोड़ो और खच्चरों द्वारा पूरा कर सकते हैं। पैदल मार्ग के शुरू में ही घोड़ो और खच्चरों को बुक करने का कार्यालय है। जहां से आप इन्हे बुक कर सकते हैं। एक तरफ के रूट का किराया लगभग 700 -800 ₹ होता है, और अगर आप दोनों तरफ के लिए बुक करते हैं तो किराया थोड़ा कम जाता है।

Tungnath का मौसम ?

MAUSAM

 

यहां का मौसम पल पल में बदलता रहता है, तो आप जब भी जाये एक रैनकोट अपने साथ जरूर रखे। मैदानी इलाको की तुलना में यहां की गर्मी आपके लिए सर्दी के बराबर ही है। तो गर्म कपड़े अपने साथ जरूर रखे। यहां गर्मियों में तापमान ज्यादा से ज्यादा 20 से 25 तक पहुँचता है तो ठंडो में यही तापमान माइनस में पहुंच जाता है। आप यहां अक्टूबर के लास्ट से बर्फवारी को देख सकते हैं और इसका लुत्फ़ उठा सकते हैं।

उत्तराखंड का स्विट्ज़रलैंड और ट्रेक

तुंगनाथ का ट्रेक चोपता से शुरू होता है। पहाड़ पर चढ़ाई के शुरू में एक घोड़ो और खच्चरों का कार्यालय है। जहां से आप इन्हे बुक कर सकते हैं। बस शुरू का लगभग आधा किलोमीटर ट्रेक करके ही आ जाते है बुग्याल जहां दूर दूर तक मैदानों में हरी घास मनो किसी ने हरी चादर बिछा दी हो। जिसका व्यू बहुत ही सुन्दर लगता है।

ट्रेक के दोनों ओर देवदार के पेड़ साथ में पंछियो की आवाज़ आपको उस वातावरण में मंत्रमुग्ध कर देती है वही दूर दिखते हुई हिमालय की चोटियों की सुंदरता। मानो जैसे किसी दुल्हन को किसी ने बहुत प्यार से सजाया हो ऐसा प्रतीत होता है। इसलिए ही इसे उत्तराखंड का स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है। आप आपने ट्रेक को जैसे – जैसे पूरा करते जाओगे उसकी सुंदरता और भी बढ़ती जाएगी।

मंदिर के अंदर का द्रश्य

आप जैसे ही मंदिर में प्रवेश करेंगे तो मंदिर के प्रवेश के दाहिनी ओर भगवान गणेश जी की एक छवि बनी हुई है। मुख्य कक्ष के अंदर अष्टधातु है जो आठ धातुओं से बना हुआ है। इसके अंदर कालभैरव भगवान शिव और उनके अनुयायियों की मुर्तिया हैं।

Tungnath मंदिर के बाहर का व्यू

आप जैसे ही ट्रेक कम्पलीट करके मंदिर के पास पहुंचेंगे मंदिर के बाहर पास ही भैरोनाथ जी का मंदिर है। वही पास में ही गणेश जी और पांचो पांडवो सहित द्रोपदी के छोटे – छोटे मंदिर हैं। वही मंदिर से थोड़ा सा नीचे उतरकर वन्य देवता का मंदिर है। कहते हैं जब हम ट्रेक के दौरान जाने अनजाने में वहां के पेड़ पोधो को तोड़ते हैं या वहां गंदगी फैलते है, तो वन्य देवता से यहाँ माफ़ी मांग सकते हैं। मंदिर के पीछे की ओर से एक रास्ता है जो चंद्रशिला तक जाता है। मंदिर के चारो ओर छोटे – छोटे मंदिर और कुछ दुकाने हैं।

Tungnath के आसपास की जगह जहाँ आप और घूम सकते हैं ?

1. चंद्रशिला पहाड़ी

CHANDRASHILA PAHADI

 

मंदिर से लगभग 1 से 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर है चंद्रशिला पहाड़ी। आप मंदिर में दर्शन करने के बाद मंदिर के पीछे की ओर से ट्रेक करते हुए चंद्रशिला पहाड़ी पर पहुंच सकते हैं। जिसका ट्रेक कम्पलीट करने में आपको 1 से 1.5 घंटे लगेंगे। चंद्रशिला पर एक मंदिर भी है, जहां आप दर्शन कर सकते हैं। चंद्रशिला से देखने पर हिमालय की चोटियां बहुत ही मनमोहक लगती हैं। अगर जिस समय आप जाते है और उस समय धुंध न हो तो वहां का नज़ारा वाकई बहुत ही खूबसूरत होता है।

चंद्रशिला पहाड़ी के शिखर को कुछ चोटियों की सयुक्त चोटी के रूप में बोला जाता है, जिसमे मुख्यता नंदादेवी, केदार, त्रिशूल, बंदरपंच, और चौखम्बा हैं। इसे “मून रॉक” भी कहा जाता है, जिसका मतलब है ”चन्द्रमा की चट्टान”

चंद्रशिला से जुडी कुछ पौराणिक कहानी :-

कहा जाता है की रामायण में जब भगवान राम ने रावण का वध किया, तो वो ब्राह्मण हत्या के पाप के भागी बन गए थे, क्यूंकि रावण एक ब्राह्मण था और वो बहुत बड़ा शिव भक्त था। अपने इस पाप के दोष से मुक्त होने के लिए भगवान राम ने इसी पहाड़ी पर भगवान शिव की आराधना की थी। तभी से इस पहाड़ी का नाम चंद्रशिला पहाड़ी पड़ा।

इसी पहाड़ी से जुडी एक और कहानी है, कहते हैं सतयुग में एक राजा दक्ष थे। जिनकी कई पुत्री थी जिनमे से एक का विवाह भगवान शिव से हुआ था। वही इनकी 27 पुत्रियों का विवाह चन्द्रमा से हुआ, लेकिन चन्द्रमा को सबसे अधिक लगाव उनकी बड़ी बेटी रोहिणी से था। जो बाकि पुत्रियों को पसंद नहीं था। जब राजा दक्ष को इस बात का पता लगा तो उन्होंने चन्द्रमा को बहुत समझाया परन्तु चन्द्रमा पर इसका कोई असर नहीं हुआ। चन्द्रमा को तभी क्षय होने का श्राप मिला। कहते हैं इस श्राप से मुक्त होने के लिए चन्द्रमा ने इसी पहाड़ी पर शिव जी की उपासना की थी। तभी से इसका नाम चंद्रशिला पड़ा।

इसी ट्रेक पर कई और भी पहाड़ी जहां एक पहाड़ी का नाम रावण पहाड़ी है। उसके बारे में कहा जाता है की यहाँ रावण ने तप किया था।

2. देवरिया ताल

DEWARIYA TAAL

 

देवरिया ताल एक प्राकृतिक झील है, जो ट्रेकर्स को बहुत ही लुभाती है। Tungnath जाने पर लोग इस जगह भी जाना पसंद करते हैं। इसका रास्ता उखीमठ से तुंगनाथ जाते वक़्त बीच में पड़ने वाला सरि नामक गांव से लगभग 3 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। ट्रेवल व ट्रैकिंग कम्पनियों द्वारा अधिकतर इस रूट से ही तुंगनाथ जाया जाता है। देवरिया ताल से होते हुए Tungnath का रूट इस प्रकार होगा –

  • ऋषिकेश-रुद्रप्रयाग-उखीमठ-सरी गाँव-देवरियाताल-रोहिणी बुग्याल-स्यालमी-बनियाकुंड-तुंगनाथ-चंद्रशिला

इस ट्रेक की खूबसूरती अप्रैल से अक्टूबर के बीच देखने लायक होती है। जहां ये ट्रेक जंगलो से घिरा हुआ और चारो और हरियाली और फूलों की सुंदरता से सुशोभित होता है। जो की ट्रेकर्स के लिए ट्रैकिंग और पिकनिक के लिए बेस्ट ऑप्शन है। वहां के लोकल लोग इसे पूजा स्थल भी मानते हैं। यहाँ पर एक मनसा देवी का पौराणिक मंदिर भी है। यहां का मौसम गर्मियों में मिल्ड होता है और सर्दियों में यहां बहुत अधिक बर्फवारी होती है। जिससे कुछ रास्ते बंद भी हो जाते है।

3. कस्तूरी मृग अभयारण्य

KASTURI MRAG

 

चंद्रशिला के ट्रेक में आपको कस्तूरी मृग अभयारण्य में भी जाना चाहिए। ये भी पर्यटन का मुख्य आकर्षक का केंद्र है। कस्तूरी मृग उत्तराखंड का राज्य पशु है। ये उन पर्यटकों के लिए बहुत ही आकर्षण का केंद्र है जो वनस्पति और जीवो मे अधिक रूचि रखते हैं। ये पूरा अभ्यारण्य पेड़ पौधौ और फूलों से सज़ा हुआ है जो की बहुत ही मनमोहक लगता है।Tungnath आने पर आप यहां भी विजिट कर सकते हैं।

4. चोपता गांव

CHOPTA GAON

 

चोपता ही वह जगह है जहां से तुंगनाथ मंदिर के लिए ट्रेक शुरू होता है। ये उत्तराखंड का एक छोटा सा बहुत ही सुन्दर गांव है। Tungnath की वजह से ये पर्यटन के लिए बहुत ही अच्छी जगह है। ये पूरा गांव अल्पाइन और देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ है जो मानसून के बाद और भी खिल उठता है। आप तुंगनाथ ट्रेक को पूरा करके इस गांव में भी घूम सकते हैं।

5. उखीमठ

आप उखीमठ में Tungnath जाते वक़्त भी घूम सकते है और वापसी में भी क्यूंकि ये आपके रूट में ही पड़ता है। उखीमठ में आप ओम्कारेश्वर मंदिर में दर्शन कर सकते है। ओम्कारेश्वर मंदिर भगवान केदार का शीतकालीन गद्दी है। जब सर्दियों में केदारनाथ में अधिक बर्फवारी होने की वजह से रास्ता बंद हो जाता है। तब भगवान केदार की मूर्ति को केदारनाथ मंदिर से उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर में स्थापित कर दी जाती है। सर्दियों के बाद अप्रैल या मई के महीने में मूर्ति को वापस केदारनाथ मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है।

Tungnath के लिए कितना बजट होना चाहिए ?

हमने ये सब चीजे तो जान ली की मंदिर कहा है वहां तक कैसे जा सकते है, वहां का खाना, रहना और बाकि सभी चीजे पर अब बात आती है की हमारी इस यात्रा को पूरा करने में कितने रुपयों की जरुरत होगी, तो मेरे हिसाब से अगर आप ठीक ठाक खर्च करते हैं तो आपकी ये यात्रा 6000 – 7000 में या उससे भी कम में पूरी हो जाएगी।

Tungnath ट्रिप में ध्यान रखने योग्य बातें

  • आप जब भी इस ट्रिप पर जाए तो अपने साथ कुछ महत्वपूर्ण दवाई, गर्म कपड़े, ट्रैकिंग जूते, जैकेट, हैट, और रैनकोट आदि जरूर अपने साथ रखे।
  • आप पहली बार इस ट्रेक पर जा रहे हैं तो पहले वहां की पूरी जानकारी लेले और यहां की पूरी गाइड लाइन जरूर पढ़ ले।
  • वहां के ट्रेक्स पर प्लास्टिक आदि का कचरा न फेके। उसे उसके उचित स्थान पर ही फेकें।
  • ट्रेक करने से पहले ही आप अपने मोबाइल को चार्ज कर ले। ट्रेक के दौरान कोई चार्जिंग पॉइंट नहीं है और अपनी पॉवरबैंक अपने साथ जरूर रखे
  • यहां पर आपको इंटरनेट सेवा भी बहुत कम मिलेगी क्यूंकि पहाड़ी इलाका होने के कारण, यहां नेटवर्क की समस्या रहती है।

14 thoughts on “Tungnath विश्व का सबसे ऊँचे स्थान पर बना एक पौराणिक और रहस्यमयी भगवान शिव का मंदिर (Tungnath Trek)”

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