बिनसर महादेव मंदिर, रानीखेत में स्थित पांडवो से सम्बंधित मंदिर की सभी जानकारी, कैसे पहुंचे? कहाँ रुकें? आदि

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उत्तराखंड में स्थित महादेव के अधिकतर मंदिरो का सम्बन्ध महाभारत के पात्र पांडवो से है। पांडवो ने महाभारत युद्ध के बाद अपने पापो से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आराधना की और उन्हें ढूढ़ते हुए उत्तराखंड में बहुत से मंदिरो का निर्माण कराया जो आज भी मौजूद हैं, जैसे- केदारनाथ, तुंगनाथ, और विश्वनाथ मंदिर आदि।

उत्तराखंड के रानीखेत में स्थित और एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है की इस मंदिर को भी पांडवो ने ही बनाया था और इसका निर्माण एक रात में किया था। हम जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो है, “बिनसर महादेव मंदिर”(Binsar Mahadev Mandir) । इस मंदिर को बिंदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

इस मंदिर को लेकर बहुत सी मान्यता हैं। मंदिर को किसने बनवाया ये तो किसी को नहीं पता लेकिन मंदिर निर्माण से सम्बंधित कहानिया बहुत बताई जाती हैं। इस मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारियों को हम इस ब्लॉग के माध्यम से जानेगे। हम इस ब्लॉग में मंदिर के प्राचीन इतिहास, सुन्दर आकर्षण, धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक वातावरण के बारे में जानेगे, जो इसे तीर्थयात्रियों और प्राकृतिक प्रेमियों को एक देखने योग्य स्थान बनाता है।

बिनसर महादेव कहां हैं?

बिनसर महादेव मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र के थलीसैण से 22 किलोमीटर की दूरी पर बिसौना गांव में स्थित है। इस मंदिर तक आपको 22 किलोमीटर का ट्रेक करके पहुंचना होता है। यह 22 किलोमीटर का पैदल रास्ता देवदार,और चीड़ के जंगल से होकर जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख शहर नैनीताल से 120 किलोमीटर, अल्मोड़ा से 34 किलोमीटर और देहरादून से 273 किलोमीटर दूर स्थित है तथा दिल्ली से इस मंदिर की दूरी 385 किलोमीटर है।

बिनसर का अर्थ

बिनसर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का एक “वन्य जीव अभ्यारण्य” है। बिनसर एक गढ़वाली शब्द है जिसका अर्थ- “नव प्रभात” है। बिनसर से हिमालयी रेंज की केदारनाथ, चैखम्बा, और नंदाकोट पहाड़ियों का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। जो प्राकृतिक प्रेमियों को यहाँ आने पर मजबूर करती हैं।

बिनसर महादेव मंदिर का इतिहास

बिनसर महादेव मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है और यह एक रॉक मंदिर है, जिसे एक चट्टान को काट कर बनाया गया था। इस मंदिर को किसने बनाया और इसकी उत्पत्ति समय की धुंध में छिपी हुयी है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

मंदिर के निर्माण को लेकर बहुत सी कहानिया बताई जाती हैं, कहते हैं इस मंदिर को राजा पिठ्ठू ने अपने पिता बिंदु की याद में बनवाया था। इस मंदिर का निर्माण 9 वीं या 10 वीं शताब्दी में करवाया गया था, इसलिए इस मंदिर को बिंदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को कत्यूरी शैली में बनवाया गया था।

बिनसर महादेव मंदिर की धार्मिक कहानी

इस मंदिर के बारे में कुछ किवदंतिया भी बहुत प्रचलित हैं। कहते हैं महाभारत युद्ध के प्रमुख पात्र पांडवो ने अपना अज्ञातवास यहाँ काटा था और उसी दौरान इस मंदिर का निर्माण एक रात में किया था। मंदिर का निर्माण एक चट्टान को काट कर किया गया था।

एक दूसरी कहानी बताई जाती है की सोनी गांव के मनिहार की एक गाये रोजाना यहाँ आकर अपना दूध छोड़ देती थी। एक दिन मनिहार ने गाय का पीछा किया और देखा की गाय दूध को पत्थर यानि शिवलिंग पर छोड़ देती है, तभी मनिहार उस शिवलिंग पर कुल्हाड़ी से बार कर देता है और शिवलिंग से रक्त बहना शुरू हो जाता है। उसके बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ।

वही एक और कहानी है की एक निःसंतान व्यक्ति के सपने में एक साधु आते हैं और शिवलिंग के बारे में बताते हैं और मंदिर का निर्माण करने का आदेश देते हैं। वह व्यक्ति उसी जगह मंदिर का निर्माण कराता है और मंदिर के निर्माण के बाद उस व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है। इसी कारण यहाँ वैकुण्ठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा को मेले का आयोजन किया जाता है। यहाँ महिलाये पूरी रात भजन गाती हैं और भगवान शिव की संतान प्राप्ति के लिए आराधना करती हैं।

बिनसर महादेव मंदिर का बेस कैंप?

बिनसर महादेव मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 22 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है। इस मंदिर का बेस कैंप “पीठसैण” गांव है। जहाँ से इस मंदिर का सुन्दर सा ट्रेक शुरू होता है।

बिनसर महादेव मंदिर का विवरण

मंदिर पुरानी कत्यूरी शैली में बना हुआ था, लेकिन मंदिर को पुनः बनाने के लिए उसे तोड़ दिया गया और अब इसे संगमरमर के पत्थरो से बनाया जा रहा है। मंदिर में भगवान शिव “लिंगम” रूप में विराजमान हैं। मंदिर में माता गौरा, गणेश जी, महिषासुरमर्दिनि की मुर्तिया स्थापित हैं।

मंदिर के आस पास कुछ घर बने हुए हैं जो पास के गांव के लोगो के हैं जहाँ आप कुछ समय रुक सकते हैं। मंदिर ठीक जंगल के बीच में स्थित है। इसके चारो ओर देवदार, अल्पाइन के पेड़ो का जंगल है। जो मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ाता है।

क्या ब्रह्म ढूँगी से सम्बंधित कहानी

बिनसर महादेव मंदिर में दर्शन करने के पश्चात आप 1 से 1.5 किलोमीटर का ऊपर की ओर ट्रेक करके “ब्रह्म ढूँगी” पहाड़ी पर जा सकते हैं। यहाँ पर माता गौरा एक मंदिर बना हुआ है। इस जगह के बारे में कहा जाता है जब माता सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर अपनी जान दे दी थी। उसके बाद भगवान शिव ने माता गौरा की स्थापना इस ब्रह्म ढूँगी पर ही की थी।

इस जगह से देखने पर आपको हिमालयी रेंज की सुन्दर पर्वत श्रृंखला दिखाई पड़ती हैं। यहाँ से सुबह में सूर्योदय को देखना भी बहुत दिलचस्प होता है। तो यदि आप यहाँ आकर एक रात रुकते हैं तो आप सुबह में जल्दी उठ कर ब्रह्म ढूँगी पर जरूर जाए और सुबह का शांत वातावरण को और सूर्य की किरणों को महसूस करे।

क्या बिनसर महादेव मंदिर के पास खाने की दुकाने हैं?

मंदिर के पास में कुछ घर बने हुए हैं, जहाँ रहने के साथ साथ खाने की दुकाने भी हैं, लेकिन ये सभी आस पास के गांव वालो की है। जिससे कभी कभी बंद भी रहती हैं, इसलिए आप जब भी यहाँ आये तो कुछ खाने की चीजे भी अपने साथ जरूर रखे। ट्रेक के दौरान भी कोई भी खाने की दूकान नहीं है तो इसके लिए भी अपने साथ कुछ स्नैक्स, फल रखे। आप अपने साथ कुछ मैगी और छोटी चीजे भी रखे जिससे आप यहाँ पर खुद पका कर खा सके।

बिनसर महादेव में कहाँ रुके?

बिनसर महादेव मंदिर के दर्शन के दौरान आप मंदिर के पास में भी रुक सकते हैं। मंदिर के पास में कुछ छोटे घर बने हुए हैं, जहाँ रुकने की व्यवस्था है। यदि आप आपको पहुंचते पहुँचते रात हो जाती है तो आप पीठसैण में भी रुक सकते हैं। यहाँ पर आपको रुकने की अच्छी सुविधा मिल जाएगी। पीठसैण में कुछ छोटे होटल और खाने की दुकाने भी हैं। आप मंदिर के पास कैंपिंग भी कर सकते हैं तो आप अपने साथ कैंपिंग का भी सारा सामान लेकर जा सकते हैं।

बिनसर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे?

बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir) उत्तराखंड में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 22 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है। यह ट्रेक देवदार, चीड़ और अल्पाइन के पेड़ो के बीच से होकर जाता है। मंदिर का बेस कैंप पीठसैण हैं, यहाँ से ही मंदिर का ट्रेक शुरू होता है। आप पीठसैण तक कैसे पहुँच सकते हैं अब हम इसके बारे में जानते हैं….

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

आप फ्लाइट द्वारा सीधे बिनसर नहीं पहुंच सकते हैं क्यूंकि बिनसर कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। बिनसर मंदिर के सबसे निकट एयरपोर्ट पंतनगर है। पंतनगर के लिए फ्लाइट आपको दिल्ली, देहरादून और देश के कई और राज्यों से मिल जाएँगी। पंतनगर से बिनसर महादेव मंदिर तक की दूरी 208 किलोमीटर है जिसे आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरा करना होगा। दिल्ली से पंतनगर की दूरी 257 किलोमीटर है।

ट्रेनमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप ट्रेन द्वारा आना चाहते हैं तो बिनसर में कोई रेलवे स्टेशन भी नहीं है। मंदिर के सबसे निकट रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। काठगोदाम से बिनसर महादेव मंदिर तक की दूरी 183 किलोमीटर है। काठगोदाम के लिए ट्रेन आपको दिल्ली से सीधे तौर पर मिल जाएगी। दिल्ली से काठगोदाम तक की दूरी 277 किलोमीटर है जिसे आप ट्रेन द्वारा आसानी से पूरा कर सकते हैं।

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप हवाई मार्ग या रेलमार्ग में से किसी के भी द्वारा यहाँ आये हैं तब भी आपको कुछ दूरी सड़कमार्ग द्वारा ही पूरी करनी होगी। यदि आप रेलमार्ग द्वारा आते है तो काठगोदाम से और अगर हवाई मार्ग द्वारा आते हैं तो पंत नगर से बिनसर महादेव मंदिर के लिए बाकी दूरी सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी। इन दोनों जगहों से आप बस द्वारा पहुंच सकते हैं। यदि आपको बस नहीं मिलती हैं तो आप कैब या टैक्सी बुक करके बिनसर महादेव तक पहुंच सकते हैं।

यदि आप पूरी दूरी को सड़कमार्ग द्वारा करना चाहते हैं तो आप अपने शहर से नैनीताल, काठगोदाम या पंतनगर पहुंच सकते हैं। वहां से बिनसर महादेव तक की दूरी को बस या टैक्सी द्वारा पूरा कर सकते हैं।


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