Rudranath Dham Uttrakhand | रुद्रनाथ मंदिर, पंच केदार मंदिर यात्रा की जानकारी

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उत्तराखंड राज्य भारत के लोगो के लिए के एक गहरी आस्था का केंद्र है। उत्तराखंड में भगवान शिव, भगवान विष्णु, माता गौरा आदि के बहुत से पौराणिक मंदिर हैं। यहाँ स्थित यह मंदिर सदियों पुराने हैं और अभी भी अपना अस्तित्व बनाये हुए हैं। हम इस ब्लॉग में जिस मंदिर की बात करने जा रहे हैं वह पंच केदार मंदिर में से एक है। जिसे “रुद्रनाथ मंदिर” (Rudranath Mandir) के नाम से जाना जाता है और इस धाम को “रुद्रनाथ धाम” के नाम से जाना जाता है।

उत्तराखंड में स्थित पंच केदार मंदिरो के बनने की एक पौराणिक कहानी बताई जाती है। जो महाभारत काल से जुड़ी हुयी है। हम इस ब्लॉग में आपको रुद्रनाथ धाम की सभी जानकारी जैसे इस मंदिर का इतिहास, यहाँ आप कैसे पहुंच सकते हैं?, आपको यहाँ कितने दिन लगेंगे आदि ऐसी सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े। तो आईये जानते हैं रुद्रनाथ धाम से सम्बंधित सभी जानकारियों को…

रुद्रनाथ मंदिर कहाँ है?

भगवान शिव को समर्पित रुद्रनाथ मंदिर पंच केदार मंदिर में से एक है और यह पंच केदार में चतुर्थ केदार है। यह मंदिर 2290 मीटर की ऊंचाई पर भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको गोपेश्वर के पास स्थित सगर गांव से 18 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है। सगर गांव की दूरी उत्तराखंड के मुख्य शहर हरिद्वार से 237 किलोमीटर, ऋषिकेश से 212 किलोमीटर, देहरादून से 249 किलोमीटर और कोटद्वार से 239 किलोमीटर है

कुछ शार्ट जानकारी

जगह (Location)रुद्रनाथ मंदिर (Rudranath Mandir)
ट्रेक डिस्टेंस (Trek Distance)18 किलोमीटर (18 Km)
ट्रेक बेस कैंप (Trek Base Camp)सगर गांव गोपेश्वर (Sagar Village Gopeshwar)
ट्रेक कठनाई (Trek Difficulty)आसान से मध्यम (Normal to Medium)
निकट एयरपोर्ट (Nearest Airport)जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून (Jolly Grant Airport Dehradun)
निकट रेलवे स्टेशन (Nearest Railway Station)ऋषिकेश & देहरादून रेलवे स्टेशन (Rishikesh & Dehradun Railway Station)

रुद्रनाथ मंदिर का इतिहास

रुद्रनाथ मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है और इसका सीधा सम्बन्ध द्वापर युग से जोड़ा जाता है। मंदिर के बारे में कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण पांडवो द्वारा कराया गया था जिसके पीछे एक कहानी बताई जाती है जो हमारे पौराणिक ग्रंथो में मिलती है।

रुद्रनाथ मंदिर मुख्य दरवाजा

ऐसा भी माना जाता है की रुद्रनाथ मंदिर और बाकि पंच केदार मंदिर के साथ और भी उत्तराखंड में स्थित मंदिरो को महान दार्शनिक और धर्म प्रवर्तक आदि शंकराचार्य ने बनवाया था।

रुद्रनाथ मंदिर की कहानी

रुद्रनाथ मंदिर और पंच केदार मंदिर से जुड़ी हुयी एक रोचक कहानी बताई जाती है, जिसका सीधा सम्बन्ध द्वापर युग में हुए महाभारत युद्ध से जोड़ा जाता है। तो आईये जानते हैं की क्या है पंच केदार मंदिरो की बनने की कहानी…

ऐसा माना जाता है की द्वापर युग में हुआ महाभारत युद्ध जिसके मुख्य पात्र पांडव और कौरव थे। पांडव इस युद्ध में लड़े तो सत्य के लिए थे पर एक कटु सच यह भी था की वे अपने भाइयो, गुरुजनो और परिजनों के हत्या के दोषी भी थे। पांडवो द्वारा महाभारत युद्ध जितने के बाद जब सभी पांडवो को एहसास हुआ की वे सभी गोत्र हत्या के दोषी बन गए हैं तो वे अपने इस दोष से मुक्त होना चाहते थे। सभी पांडव अपने दोषो से मुक्ति पाने के उपाए को ढूढ़ते हुए नारद जी के पास जा पहुंचते हैं।

सभी पांडव नारद जी से अपने इन दोषो से मुक्ति पाने का उपाए पूछते हैं। नारद जी पांडवो को भगवान शिव की आराधना करने के लिए कहते हैं। नारद जी कहते हैं की तुम भगवान शिव से मिलो सिर्फ वे ही तुम्हारे इन पापो से तुम्हे मुक्त कर सकते हैं। नारद जी की बात सुनकर सभी पांडव भगवान शिव से मिलने के लिए निकल पड़ते हैं। भगवान शिव पांडवो द्वारा किये गए इस कार्य से नाराज़ थे क्यूंकि पांडवो ने अपने भाइयो, गुरुजनो और ब्राह्मणो का वध किया था।

जब भगवान शिव को यह पता लगता है की पांडव उनसे मिलने काशी आ रहे हैं तो वे वहां से निकल कर उत्तराखंड में छिप जाते हैं। जब पांडव काशी पहुंचते हैं तो उन्हें भगवान शिव के दर्शन नहीं होते हैं तब सभी पांडव भगवान शिव की खोज में निकल पड़ते हैं। पांडव भगवान शिव को खोजते हुए उत्तराखंड जा पहुंचते हैं, जहाँ भगवान शिव छिपे हुए ध्यान कर रहे थे। जब भगवान शिव को यह पता लगता है की पांडव उन्हें खोजते हुए यहाँ आ रहें हैं तो वे एक नंदी का रूप धारण करके अंतर्ध्यान हो जाते हैं। जिस जगह से भगवान शिव गुप्त या अंतर्ध्यान हुए थे उसे आज गुप्तकाशी के नाम से जाना जाता है।

रुद्रनाथ में पहाड़ो पर बने हुए पत्थरो द्वारा निर्मित पांचो पांडव सहित द्रोपदी जी का मंदिर

भगवान शिव नंदी का रूप धारण करके केदारनाथ की ओर निकल जाते हैं। पांडव भी भगवान शिव का पीछा करते हुए केदारनाथ की ओर चल देते हैं की उन्हें कुछ दूर एक बैल का झुण्ड दिखाई देता है। पांडव में से भीम अपना रूप बड़ा करके दो पहाड़ो के चोटी पर रख देता है और बाकि पांडवो से उन बैलो को उसके पैरो के बीच से निकालने के लिए कहता है। बाकि पांडव भाई सभी बैलो को हाकने लगते हैं लेकिन एक बैल पैरो के बीच से निकलने से मना कर देता है और थोड़ा उग्र व्यवहार करने लगता है।

जब सभी पांडव उस बैल के पीछे पकड़ने के लिए भागते हैं तो बैल धरती में समाने लगता है। पांडव समझ जाते हैं की यह बैल रूप में भगवान शिव ही हैं। तब भीम बैल की पूँछ को पकड़ कर बाहर की ओर खीचने लगता है लेकिन बैल धरती में समा जाता है। पांडवो की इस दृणसंकल्प शक्ति और भक्ति को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें पंच केदार रूप में दर्शन देते हैं और उन्हें उनके पापो से मुक्त कर देते हैं। भगवान शिव बैल रूप यानि पंच केदार रूप में प्रकट होते हैं, जिसमे बैल की पीठ केदारनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, भुजाये तुंगनाथ में, नाभि मधेश्वरनाथ में और जटा कल्पेश्वरनाथ में प्रकट हुयी।

हम जिस केदार की बात कर रहे हैं वह रुद्रनाथ के नाम से जाना जाता है। जिसमे भगवान शिव के मुख के दर्शन किये जाते हैं। तो कुछ इस प्रकार है पंच केदार मंदिरो के बनने की कहानी।

रुद्रनाथ मंदिर संरचना

रुद्रनाथ मंदिर की संरचना केदारनाथ मंदिर से बिलकुल अलग है। यह मंदिर एक बड़े पहाड़ से घिरा हुआ है, जिसमे पत्थरो द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर के अंदर भगवान शिव के बैल मुख के दर्शन किये जा सकते हैं। मंदिर के अंदर भगवान शिव की गर्दन कुछ टेढ़ी है और यह उस बैल की ही बताई जाती है जो धरती में समाया था।

रुद्रनाथ मंदिर आने का सबसे अच्छा समय

रुद्रनाथ मंदिर साल में सिर्फ 6 महीने खुला रहता है बाकि 6 महीने अधिक ठण्ड पड़ने की वजह से बंद रहता है। आप मंदिर में दर्शन करने के लिए मंदिर के कपाट खुलने के बाद अप्रैल या मई के बाद से नवंबर तक कभी भी आ सकते हैं। वैसे यहाँ आने का जो सबसे अच्छा समय माना जाता है वह कपाट के खुलने के तुरन्त के बाद का है। इस समय में आपको ठंडक का एहसास और पृकृति की खूबसूरती देखने को मिलेगी।

रुद्रनाथ में पहाड़ पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर और पास में रहने के लिए कुछ झोपड़ी

मानसून के समय में यानि अगस्त से अक्टूबर के बीच में यहाँ आना थोड़ा मुश्किलों से भरा हो सकता है क्यूंकि अधिक वर्षा होने पर रास्ते बह जाते हैं और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। जिससे यात्रा करने में थोड़ी कठनाई आती है। मानसून के बाद का समय भी यात्रा करने के लिए एक आदर्श समय हो सकता है तो इस समय में भी आप यहाँ आ सकते हैं।

मंदिर में दर्शन का समय

आप मंदिर में सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। इस मंदिर में सुबह में 6 बजे आरती की जाती है,और शाम में कपाट बंद होने से पहले 7 बजे शाम की आरती की जाती है। आप इस समय के बीच में कभी भी भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं।

रुद्रनाथ में कहाँ रुके?

इस मंदिर का ट्रेक 18 किलोमीटर का है। यह केदारनाथ में किये जाने वाले ट्रेक्स से थोड़ा कठिन है तो आपको इस ट्रेक को करने में थोड़ा ज्यादा समय लगेगा। आप इस ट्रेक को दो भागो में कर सकते हो। पहले भाग में आप सगर गांव से ल्यूटी बुग्याल तक का ट्रेक कर सकते हैं और फिर अगले दिन ल्यूटी बुग्याल से मंदिर तक का ट्रेक कर सकते हो।

इस बीच में आप यहाँ पर ट्रेक के बीच में बनी हुयी झोपड़ियों में रुक सकते हैं। इन झोपड़ियों का किराया वहां पहुंचने वाले लोगो और सीजन पर निर्भर करता है। वैसे आपको यहाँ पर मंदिर के पास में भी रुकने के लिए कुछ झोपड़ी मिल जाएँगी और सगर गांव में तो आपको पक्के गेस्ट हाउस मिल जायेंगे। यहाँ आपको रुकने के लिए पूरी व्यवस्था मिल जाएगी।

रुद्रनाथ में इंटरनेट सुविधा

रुद्रनाथ में आपको सिर्फ सगर गांव और उसके बाद कुछ ट्रेकिंग दूरी तक ही इंटरनेट की सुविधा मिलती है उसके बाद आपको यहाँ प्रॉपर इंटरनेट की सुविधा नहीं मिलेगी। आप ट्रेक शुरू करने से पहले ही सगर गांव में अपनी सभी जरूरत की कॉल कर ले। आगे ट्रेकिंग के दौरान आपको नेटवर्क नहीं मिलेंगे। मंदिर के पास में कुछ जगहों पर आपको नेटवर्क सुविधा मिल जाएगी।

रुद्रनाथ मंदिर तक का ट्रेक

रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको कुछ किलोमीटर का पैदल ट्रेक करना होता है। आप रुद्रनाथ मंदिर तक तीन मार्गो से पहुंच सकते हैं जिसमे पहला हेलांग से शुरू होता है दूसरा मंडल से और तीसरा जो प्रमुख मार्ग है वो सगर गांव से शुरू होता है। अधिकतर श्रद्धालु सगर गांव के ट्रेकिंग मार्ग द्वारा ही रुद्रनाथ मंदिर तक जाते हैं।

सगर गांव से मंदिर तक का ट्रेक 18 किलोमीटर का है जिसे आप दो भागो में पूरा कर सकते हैं। यदि आप इस ट्रेक को एक बार में ही करने में समर्थ हैं तो आप सीधे एक बार में ही इस ट्रेक को कर सकते हैं। यदि आपने पहले कभी भी कोई ट्रेक नहीं किया है और तब आप इस ट्रेक को कर रहे हैं तो आप इसे दो भागो में ही करे।

Part-1

आप सगर गांव से अपना ट्रेक शुरू कर दे। सगर गांव से 4 किलोमीटर का ट्रेक करके आपको पहला पड़ाव दिखाई देगा जो पुंग बुग्याल के नाम से जाना जाता है। यहाँ तक पहुंचने में आपको कम से कम 3 घंटे लग सकते हैं। पुंग बुग्याल पहुंच कर आप कुछ समय यहाँ बनी हुयी झोपड़ियों में चाय नास्ता और आराम कर सकते हैं। इसके बाद आप यहाँ से दुबारा ट्रेक शुरू कर दे उसके बाद आपको लगभग 4 किलोमीटर तक जंगल से होकर जाना होता है और फिर आता है ल्यूटी बुग्याल

आज की रात रुकने के लिए ल्यूटी बुग्याल एक परफेक्ट जगह है। यहाँ आपको रहने के लिए कुछ झोपड़ियां और खाने की सुविधा मिल जाएगी। आप आज के दिन को ल्यूटी बुग्याल में अलविदा कहे सकते हैं। यदि आप यहाँ नहीं रुकना चाहते हैं तो आप पनार बुग्याल में भी रुक सकते हैं जो इस ट्रेक के बीच में रुकने के लिए आखरी स्थान है।

Part-2

आप आज के दिन की शुरआत ल्यूटी या पनार बुग्याल से शुरू करे और रुद्रनाथ मंदिर में जाकर खत्म करे। आज के दिन आपको 8 से 10 किलोमीटर का ट्रेक करना होगा। आप पनार या ल्यूटी बुग्याल से आगे कुछ किलोमीटर का ट्रेक करके “पित्रधार” पहुंचेंगे। पित्रधार का रुद्रनाथ में अत्यधिक महत्व है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु पित्रधार में अपने पूर्वजो का पिंडदान करते हैं और उन्हें नमन करते हैं। पित्रधार से ट्रेक करते हुए कुछ किलोमीटर के बाद आप रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंच जायेंगे।

आप मंदिर में दर्शन करने के पश्चात यदि रुकना चाहते हैं तो आप मंदिर के पास बनी हुयी कुछ झोपड़ियों में रुक सकते हैं और यदि आप वापस लौटना चाहते है तो यहाँ से आप वापसी भी कर सकते हैं।

रुद्रनाथ मंदिर का विवरण

रुद्रनाथ मंदिर पुरानी कला द्वारा निर्मित है। यह मंदिर पहाड़ पर एक गुफा के जैसे बना हुआ है। मंदिर के बाहर आप 6 छोटे मंदिरो को देख सकते है जिन्हे पांचो पांडवो सहित द्रौपदी का बताया जाता है।

एक जल कुंड जिसे नारद कुंड के नाम से जाना जाता है।

मंदिर के पास में 6 कुंड भी स्थित हैं जो निम्न प्रकार हैं- नारद कुंड, सरस्वती कुंड, चंद्र कुंड, सूर्य कुंड, तारा कुंड, सरस्वती कुंड। इन कुंडो को भी मंदिर के समय का ही बताया जाता है और इनका भी बहुत महत्व माना जाता है।

रुद्रनाथ भगवान की शीतकालीन गद्दी

पंच केदार मंदिरो में से कल्पेश्वरनाथ मंदिर को छोड़ कर चार केदार मंदिर को 6 महीने के लिए खोला जाता है और 6 महीनो के लिए इन मंदिरो के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यदि आप ठंडो यानि नवंबर से अप्रैल में इस मंदिर में दर्शन करने की सोच रहे हैं तो इस समय में इस मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस समय में आप भगवान रुद्रनाथ के दर्शन गोपेश्वर में स्थित श्री गोपीनाथ मंदिर में कर सकते हैं। रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद भगवान रुद्रनाथ की डोली सजा कर गोपेश्वर लायी जाती है और यहाँ 6 महीनो तक भगवान रुद्रनाथ की सेवा की जाती है।

रुद्रनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?

रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने का सबसे अच्छा साधन सड़कमार्ग द्वारा है। रुद्रनाथ का बेस गांव सगर अच्छे तरह से सड़कमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। आप कैसे और किन-किन साधनो द्वारा रुद्रनाथ पहुंच सकते हैं अब हम उसके बारे में जानेगे। तो आईये जानते हैं यहाँ पहुंचने के साधनो के बारे में….

बस से रुद्रनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?

आप यदि बस द्वारा यहाँ पहुंचना चाहते हैं तो आप सबसे पहले अपने शहर से देहरादून, हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचे। इन जगहों से आपको सुबह में जल्दी लगभग 6 से 7 बजे के करीब डायरेक्ट बस गोपेश्वर के लिए मिल जाएगी। आप इन जगहों से गोपेश्वर पहुंचे और फिर आप वहां से लोकल गाड़ी द्वारा सगर गांव पहुंच सकते हैं। यदि आपको सुबह में गोपेश्वर के लिए बस नहीं मिलती है तो आप प्राइवेट गाड़ी बुक करके गोपेश्वर और सगर गांव तक पहुंच सकते हैं। प्राइवेट गाड़ी का किराया लगभग 2000 तक हो सकता है बाकि आपको यहाँ से शेयरिंग कैब भी मिल जाएँगी।

ट्रेन से रुद्रनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?

यदि आप सीधे ट्रेन द्वारा रुद्रनाथ यानि सगर गांव पहुंचना चाहते हैं तो यहाँ कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है। जिसके कारण आप सीधे सगर गांव तक रेल द्वारा नहीं पहुंच सकते हैं। सगर गांव के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। ये दोनों रेलवे स्टेशन भारत के बाकि राज्यों के बड़े रेलवे स्टेशनो से अच्छे से जुड़े हुए हैं तो आप आपने शहर से ट्रेन द्वारा इन जगहों पर पहुंच सकते हैं और फिर वहां से सड़कमार्ग द्वारा सगर गांव तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

फ्लाइट से रुद्रनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?

सगर गांव में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है जिस कारण से आप यहाँ सीधे फ्लाइट द्वारा नहीं पहुंच सकते हैं। सगर गांव के सबसे नजदीक एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। जो देहरादून में स्थित है। देहरादून से सगर गांव तक की बाकि की दूरी को आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी। देहरादून के लिए फ्लाइट आपको देश के बाकि बड़े एयरपोर्ट्स से मिल जाएगी। तो आप अपने शहर से देहरादून तक फ्लाइट द्वारा और फिर वहां से बाकि की दूरी को सड़कमार्ग द्वारा पूरा कर सकते हैं।

कुछ ध्यान रखने योग्य बातें

  • आप सगर गांव से ट्रेक जल्दी ही शुरू कर दे और आराम से अपनी गति के अनुसार ही इस ट्रेक को करे।
  • आप अपने साथ पानी की बोतल जरूर रखे क्यूंकि ट्रेक के बीच में कुछ किलोमीटर तक आपको कोई भी पानी का स्रोत नहीं मिलेगा।
  • यदि आपने इससे पहले कोई भी ट्रेक न किया हो तो आप इस ट्रेक को दो भागो में ही करे।
  • ट्रेक के दौरान अपने साथ कुछ खाने पिने की वस्तुएं और ग्लुकोन डी या ORS के पैकेट रखे और ट्रेक के बीच-बीच में पीते रहे।

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