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Devalsari Mahadev Mandir | भगवान शिव को समर्पित देवलसारी मंदिर की सभी जानकारी, कैसे पहुंचे? क्या है मंदिर का रहस्य? आदि

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उत्तराखंड में महादेव के बहुत से प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनके बारे में अधिकतर पर्यटक जानते हैं, लेकिन फिर भी उत्तराखंड में कुछ ऐसे मंदिर हैं जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के देहरादून शहर से लगभग 124 किलोमीटर दूर स्थित है, जिसे हम देवलसारी महादेव मंदिर या कोणेश्वर मंदिर के नाम से जानते हैं। यह मंदिर देवलसारी में पड़ने वाला एक रहस्यमय मंदिर है। यह मंदिर साल में सिर्फ दो बार ही खुलता है बाकि समय में यह मंदिर बंद ही रहता है।

इस मंदिर से जुड़ी हुयी कुछ कहानी बताई जाती हैं जो भगवान शिव और यहाँ रहने वाले ग्रामीणों से जुड़ी हुयी है। इस मंदिर के पास में कुछ मीटर की दूरी पर एक स्थान है जहाँ पर महादेव की खंडित शिवलिंग रखी हुयी है। इस शिवलिंग से जुड़ी हुयी भी एक कहानी है जिसके बारे में हम इस ब्लॉग में बात करेंगे। देवलसारी एक ऐसी जगह है जो देहरादून में छिपी हुयी है जिसके बारे में लोगो को इतना पता नहीं है जिस कारण से यह जगह देखने में और समय बिताने के लिए बहुत अच्छी है।

देवलसारी महादेव मंदिर कहां है?

यह मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में टिहरी गढ़वाल जिले के देवलसारी रेंज में स्थित है। यह मंदिर उत्तराखंड के देहरादून से 124 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ आने के लिए आपको सबसे पहले देहरादून आना होगा वहां से आप मसूरी वाले रोड पर चलते रहे और फिर मसूरी से 6 किलोमीटर पहले दो रास्ता कटी हैं। जिनमे से आपको धनौल्टी वाले रोड से जाना है और फिर वहां से कुछ किलोमीटर के बाद एक कट है जहाँ से आप देवलसारी तक पहुंच सकते हैं।

भगवान शिव का समर्पित देवलसारी मंदिर।

इस मंदिर की दूरी उत्तराखंड के मुख्य शहरों देहरादून से 124 किलोमीटर, ऋषिकेश से 100 किलोमीटर और हरिद्वार से 125 किलोमीटर पर स्थित है। यह मंदिर चारो ओर से देवदार की पेड़ो से घिरा हुआ है जिसकी एक बहुत खूबसूरत कहानी है।

कुछ शार्ट जानकारी

जगह (Location)देवलसारी मंदिर या कोणेश्वर महादेव मंदिर (Dewalsari Mandir or Koneshwar Mahadev Mandir)
पता (Address)मसूरी के देवलसारी रेंज में थत्यूड़ गांव से 7 किलोमीटर दूर, बोंगशील गांव उत्तराखंड (7 Km away form Thatur village in Dewalsari range in Mussoorie)
ट्रेक डिस्टेंस (Trek Distance)600 मीटर (600 Meter)
लास्ट गांव (Last Village)थत्यूड़ (Thatur)
निकट एयरपोर्ट (Nearest Airport)जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून (Jolly Grant Airport Dehradun)
निकट रेलवे स्टेशन (Nearest Railway Station)देहरादून रेलवे स्टेशन & ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (Dehradun Railway Station & Rishikesh Railway Station)

देवलसारी मंदिर का इतिहास

देवलसारी मंदिर जिसे अधिकतर लोग कोणेश्वर मंदिर के नाम से जानते हैं वह मसूरी के देवलसारी रेंज मे स्थित है। देवलसारी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है। यहाँ के लोगो द्वारा बताया जाता है की यह मंदिर लगभग 200 से 300 साल पुराना है जिसके पीछे बहुत ही सुन्दर कहानी है। यह मसूरी के पास मे एक बहुत ही सुन्दर छिपी हुयी जगह है, जिसके बारे मे बहुत कम लोग जानते हैं।

देवलसारी मंदिर की कहानी

इस मंदिर और जहाँ यह मंदिर बना हुआ है उसके सम्बन्ध में एक कहानी बताई जाती है। यह कहानी भगवान शिव और इस मंदिर के पास मे रहने वाले गांव वालो से सम्बंधित है। ऐसा कहा जाता है जिस जगह यह मंदिर बना हुआ है वहां कभी धान की खेती हुआ करती थी। यह जगह धान की खेती करने के लिए बहुत अच्छी मानी जाती थी। एक बार भगवान शिव साधु का वेश धारण करके इस जगह से गुजर रहे होते हैं कि वह इस जगह की खूबसूरती और शांत वातावरण को देख कर इस जगह पर मोहित हो जाते हैं।

भगवान शिव ग्रामीणों से खेत के बीच में रहने के लिए थोड़ी सी जगह की मांग करते हैं, लेकिन धान की खेती के लिए अनुकूल होने के कारण ग्रामीण अपनी जगह शिव जी को देने से मना कर देते हैं। भगवान शिव ग्रामीणों की बात सुन कर अंतर्ध्यान हो जाते हैं। अगले दिन जब ग्रामीण अपने खेत की ओर जाते हैं तो उन्हें धान की खेती की जगह देवदार के पेड़ दिखाई देते हैं। सभी ग्रामीण अचंभित हो जाते हैं और वो इसके पीछे के रहस्य के बारे में सोचने लगते हैं।

देवदार के पेड़

एक रात शिव जी एक ग्रामीण के सपने में आते हैं और इस जगह की सभी घटनाओ के बारे में बताते हैं और उस जगह एक लड़की के मंदिर के निर्माण का आदेश देते हैं। शिव जी ग्रामीण को एक जगह के बारे में बताते जहाँ एक विशालकाय पेड़ होता है और उसी पेड़ के द्वारा मंदिर के निर्माण का आदेश देते हैं। अगले दिन सभी ग्रामीण उसी जगह पहुंचते हैं जिस जगह पेड़ होता है और उसके द्वारा मंदिर का निर्माण करते हैं।

सबसे पहले इस मंदिर को लकड़ी द्वारा ही बनाया गया था लेकिन वक़्त के बदलने के साथ-साथ इस मंदिर को दुबारा बनाया गया और अब यह मंदिर सीमेंट और टाइल्स द्वारा निर्मित है। जिससे अब इसकी प्राचीन वास्तुकला मिट चुकी है, लेकिन पेड़ द्वारा बनायीं गयी चौखट और बहुत से मंदिर के पुराने अंश आज भी मंदिर के बाहर मौजूद हैं।

और पढ़े:- दीबा माता मंदिर के रहस्य के बारे

क्या है देवलसारी मंदिर के पास में स्थित खंडित शिवलिंग की कहानी?

देवलसारी मंदिर जिसे कोणेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है उसी मंदिर के पास में एक ऐसी जगह भी है जहाँ पर एक शिवलिंग खंडित अवस्था में है। यह स्थान मंदिर के बहुत पास है लेकिन यहाँ आने वाले ज्यादतर पर्यटकों को इस जगह के बारे में नहीं पता है। यदि आप इस जगह पर किसी लोकल पर्सन के साथ आते हैं तो आप उस जगह को भी देख सकते हैं।

यहाँ के लोकल लोगो द्वारा बताया जाता है की इस जगह के पास के गांव के ग्रामीण की एक गाय हर रोज चरने आती पर रोज सुबह शाम में अपना दूध एक जगह पर छोड़ देती थी। ग्रामीण इस बात से परेशान हो जाता है और वह एक दिन गाये का पीछा करता है। गाये फिर उसी जगह जा पहुँचती है जिस जगह शिवलिंग होती है और वहां अपना सारा दूध छोड़ देती है।

देवलसारी मंदिर के पास स्थित प्राचीन भगवान शिव की खंडित शिवलिंग, जिसे ग्रामीण ने कुल्हाड़ी द्वारा खंडित कर दिया था

जब वह ग्रामीण उस जगह को देखता है तो वह गुस्से में शिवलिंग पर कुल्हाड़ी से एक बार करता है और शिवलिंग के दो टुकड़े हो जाते हैं और वह कुल्हाड़ी टूट कर उसके सर पर जा लगती है और उसकी मृत्यु हो जाती है। उस जगह पर आज भी खंडित शिवलिंग मौजूद है पर वक़्त के साथ-साथ यह जगह विलुप्त होती जा रही है।

देवलसारी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

देवलसारी मंदिर मसूरी के देवलसारी रेंज में खूबसूरत से देवदार के पेड़ो के जंगल के बीच में स्थित है। यह मंदिर इसलिए प्रसिद्ध है क्यूंकि यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान शिव के शिवलिंग की पूरी परिक्रमा की जाती है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है की जिस जगह पर शिवलिंग है उसके चारो ओर जलेरी (शिवलिंग के चारो ओर का हिस्सा जहाँ से जल या दूध निकलता है) नहीं बनी हुयी है। जिस वजह से इस मंदिर की पूरी परिक्रमा की जाती है।

मंदिर के प्रसिद्ध होने का एक और भी कारण है की इस मंदिर की शिवलिंग पर चढ़ाया गया दूध या जल अपने आप रहस्यमय तरीके से गायब हो जाता है। मंदिर चारो ओर से जंगल से घिरा हुआ है जिस कारण यहाँ की खूबसूरती देखने लायक है। इस मंदिर के बारे में ज्यादातर लोगो को नहीं पता है जिस कारण से यहाँ का वातावरण एक दम से शांत और मन को प्रफुलित करने वाला है।

देवलसारी मंदिर साल भर बंद क्यों रहता है?

देवलसारी मंदिर या कोणेश्वर मंदिर साल भर बंद रहता है। ऐसा बताया जाता है की इस जगह पर भगवान शिव साधु का वेश धारण करके ध्यान करने आये थे, इसलिये इस मंदिर को बनाने के बाद साल भर बंद ही रखा जाता है। ऐसा माना जाता है की मंदिर में भगवान शिव ध्यान कर रहे हैं इसलिए इस मंदिर को खोला नहीं जाता है।

देवलसारी मंदिर कब खोला जाता है?

देवलसारी मंदिर लगभग साल भर बंद रहता है। इस मंदिर को साल में सिर्फ दो बार खोला जाता है। यह मंदिर अप्रैल में 16 तारीख को खोला जाता है और मंदिर में आने वाले श्रद्धालु के जल को सिर्फ पंडित जी द्वारा ही शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। उसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और सितम्बर में डोली यात्रा के दौरान मंदिर को पुनः खोला जाता है। इस समय में यहाँ पर मेले का आयोजन किया जाता है।

देवलसारी मंदिर ट्रेक

जब आप देवलसारी मंदिर आएंगे तो आपको मेन रोड से मंदिर तक का लगभग 600 मीटर का ट्रेक करना होगा। यह ट्रेक इतना लम्बा नहीं तो आप इसे आराम से पूरा करे। मेन रोड में पार्किंग की जगह है यदि आप अपने वेहिकल से आये हैं तो अपनी गाड़ी खड़ी करके पार्किंग के ठीक पास लोहे की रेलिंग लगी हुई सड़क से ट्रेक को शुरू कर दे।

कुछ दूरी पर आपको एक लोहे का बना पूल मिलेगा जिसके नीचे से बहुत ही सुन्दर नहीं बह रही है। फोटो क्लिक करने के लिए यह एक परफेक्ट जगह है। ऐसे ही ट्रेक करके आप पहुंचेंगे देवदार के पेड़ो के जंगलो के बीच में जिसके बीच में यह प्यारा सा देवलसारी मंदिर या कोणेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।

मंदिर के चारो ओर का दर्शय

मंदिर चारो ओर से देवदार के पेड़ो से घिरा हुआ है। जिसके वजह से इस मंदिर की खूबसूरती देखने लायक है। मंदिर के पास में ही फारेस्ट डिपार्टमेंट का एक पार्क बना हुआ है। जो मेले लगने के दौरान खुलता है। मंदिर को अभी दुबारा बनाया गया है जो सीमेंट और टाइल्स द्वारा बनाया गया है। मंदिर के बाहर चारो ओर पुराने मंदिर जो लकड़ी द्वारा बना हुआ था उसके अंश को अभी भी रखा गया है। मंदिर के बाहर मंदिर की लकड़ी की चौखट रखी हुयी है जिसमे सिक्को को लगाया गया है।

प्राचीन लकड़ी द्वारा बने मंदिर को तोड़ने के बाद मंदिर के बाहर रखे मंदिर के कुछ पुराने अंश जिसमे सिक्को को गाढ़ा गया

मंदिर के बाहर ठीक मंदिर के गेट पास में नंदी महाराज की मूर्ति है और बाहर साइड में एक पेड़ है जिसपर लोग सिक्को को चढ़ाते हैं। पेड़ पर सिक्को को गढ़ा कर रखा जाता है। मंदिर के बाहर भी आप शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर के चारो ओर का व्यू बहुत ही सुन्दर है तो मंदिर के बाहर बनी हुयी छोटी सी टीन शयेरिंग में आप रुक सकते हैं और कुछ समय प्रकृति को महसूस कर सकते हैं।

देवलसारी मंदिर तक कैसे पहुंचे?

देवलसारी मंदिर तक पहुंचने का सबसे अच्छा साधन यही है की आप अपने वाहन से यहाँ तक आये। यहाँ पर पहुंचने का जो दूसरा साधन है वो है प्राइवेट टैक्सी को बुक करके आना या फिर टुकड़ो में इस सफर को तय करना। आप यहाँ पर सड़कमार्ग, रेलमार्ग और हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंच सकते हैं अब हम इसके बारे में जानेगे। तो आईये जानते हैं की आप कैसे और किन साधनो द्वारा देवलसारी यानि कोणेश्वर मंदिर तक पहुंच सकते हैं…

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

उत्तराखंड के अधिकतर मंदिर या टूरिस्ट डेस्टिनेशन तक पहुंचने का सबसे अच्छा साधन सड़कमार्ग द्वारा है। आप सड़कमार्ग द्वारा पहाड़ो की कभी न खत्म होने वाली सुंदरता को पास से देख सकते हैं और उसे महसूस कर सकते हैं। इस जगह पर आने का जो सबसे अच्छा तरीका है वह यह है की आप अपने वाहन द्वारा यहाँ आये। आप सबसे पहले अपने शहर से देहरादून पहुंचे उसके बाद आप मसूरी वाले रोड से होते हुए मसूरी से 6 किलोमीटर पहले धनोल्टी वाले रोड पर कट जाए। वहां से आप देवलसारी मंदिर तक आराम से पहुंच जायेंगे।

आप यदि अपने वाहन से आ रहे हैं तो सफर के बीच में पड़ने वाले बोर्ड पर लिखे संकेतों को जरूर पढ़े। आप सफर के बीच में लोगो से रास्ते के बारे में पूछते हुए जाए। इससे आप अपनी मंज़िल तक आसानी से पहुंच जायेंगे। आप पहाड़ी रास्तो के सफ़र में गूगल मैप का सहारा न ले क्यूंकि यह कभी-कभी दिक्कत कर देता है।

आप देहरादून या ऋषिकेश से प्राइवेट गाड़ी को बुक करके भी देवलसारी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। यदि आप ग्रुप में मसूरी या देहरादून साइड घूमने आये हैं तो आप प्राइवेट गाड़ी बुक करके इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप यहाँ रेलमार्ग द्वारा आना चाहते हैं तो देवलसारी में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है जिस कारण आप सीधे देवलसारी तक ट्रेन द्वारा नहीं पहुंच सकते हैं। देवलसारी के सबसे निकट रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। आप यहाँ से प्राइवेट गाड़ी को बुक करके देवलसारी तक पहुंच सकते हैं। यदि आपको यहाँ से गाड़ी नहीं मिलती है तो आप धनौल्टी पहुंच सकते हैं वहां से गाड़ी बुक करके देवलसारी तक पहुंच सकते हैं।

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप यहाँ हवाईमार्ग द्वारा आना चाहते हैं तो देवलसारी में कोई एयरपोर्ट भी नहीं है। इस मंदिर के सबसे निकट एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो देहरादून में स्थित है। देहरादून से मंदिर तक की बाकि की दूरी आपको सड़कमार्ग द्वारा ही पूरी करनी होगी। देहरादून के लिए फ्लाइट आपको देश के कई बड़े एयरपोर्ट्स से मिल जाएँगी। यदि आपको आपके शहर से फ्लाइट नहीं मिलती है तो आप देश की राजधानी दिल्ली या फिर चंडीगढ़ पहुंच सकते हैं। यहाँ से नियमित तौर पर देहरादून के लिए फ्लाइट मिलती रहती हैं।

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