यदि आप नवंबर से अप्रैल या मई के बीच में भगवान केदारनाथ या मधेश्वरनाथ के दर्शन करना चाहते हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए है। यदि आपके घर में कोई वृद्ध है जो भगवान शिव के पंच केदार के दर्शन करना चाहता है मगर पैदल चलने में असमर्थ है, तो आपको उन्हें उत्तराखंड में स्थित उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर में ले जाना चाहिए।
आप यहाँ पंच केदार के दर्शन कर सकते हैं और साथ ही ठंडो यानि नवंबर से अप्रैल या मई के बीच में भगवान केदारनाथ और मधेश्वरनाथ के दर्शन भी कर सकते हैं। तो पढ़िए ओम्कारेश्वर मंदिर उखीमठ के बारे में सभी जानकारी….
विषय सूची
ओम्कारेश्वर मंदिर कहाँ है?
ओम्कारेश्वर मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले से लगभग 41 किलोमीटर दूर उखीमठ में स्थित एक बहुत प्राचीन और सुन्दर मंदिर है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन माना जाता है और यह 1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव के ओम्कारेश्वर रूप के दर्शन होते हैं, जिसका श्रेय श्री राम के पूर्वज राजा मांधाता के द्वारा की गयी घोर तपस्या को दिया जाता है। राजा मांधाता की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने मांधाता को ओम्कारेश्वर रूप में दर्शन दिए थे।
ओम्कारेश्वर मंदिर उखीमठ की कहानी क्या है?
ओम्कारेश्वर मंदिर उखीमठ में स्थित है। उखीमठ को स्कंदपुराण के केदारखंड के अनुसार मानधात्री क्षेत्र कहा गया है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की श्री राम के पूर्वज मांधाता ने इसी जगह 12 वर्ष तक एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की थी। भगवान शिव ने मांधाता को ओंकार (ॐ की ध्वनि) रूप में दर्शन दिए। जिस कारण इस मंदिर का नाम ओम्कारेश्वर पड़ा।
यहाँ एक और कहानी बताई जाती है की भगवान कृष्ण के पौत्र और प्रद्युमन के पुत्र अनिरुद्ध और वाणासुर की पुत्री उषा का विवाह भी हुआ था। जिस कारण इस जगह का नाम “उषामठ” रखा गया लेकिन वक़्त के साथ इस जगह का नाम “उखीमठ” रख दिया गया और आज हम इस जगह को उखीमठ के नाम से ही जानते हैं।
ओम्कारेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
इस मंदिर में आप पंच केदार के दर्शन कर सकते हैं, यदि कोई व्यक्ति सभी पंच केदार जाने में असमर्थ है तो वह उखीमठ आकर ओम्कारेश्वर मंदिर में पंच केदार के दर्शन कर सकता है। इस मंदिर में किये गए दर्शन भी पंच केदार में किये गए दर्शन के बराबर ही होते हैं। साथ ही यह मंदिर इसलिए और भी प्रसिद्ध है क्यूंकि जब भगवान केदार के ठंडो में कपाट बंद कर दिए जाते हैं तब भगवान केदार की पंच मुखी मूर्ति को इसी मंदिर में 6 महीनो के लिए स्थापित कर दिया जाता है। तब सभी श्रद्धालु भगवान केदार के इसी मंदिर में दर्शन करते हैं।
इस मंदिर में भगवान केदारनाथ के साथ ही पंच केदार में से एक मधेश्वरनाथ की मूर्ति को भी 6 महीनो के लिए स्थापित किया जाता है। तो यदि आप सभी पंच केदार जाने में असमर्थ हैं तो आप उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर में जा सकते हैं।
ओम्कारेश्वर मंदिर का विवरण
मंदिर के अंदर आप भगवान शिव के ओम्कारेश्वर रूप के दर्शन कर सकते हैं। साथ ही मंदिर के अंदर एक हाथ जोड़े जुए मूर्ति भी है, जो सूर्यवंशी राजा मान्धाता की है। मंदिर में आप पंच केदार के और बाहर की ओर अनिरुद्ध और उषा का विवाह स्थल को देख सकते हैं।
मंदिर ठीक पीछे की ओर एक पेड़ के नीचे एक बहुत ही प्राचीन और तांत्रिक स्थान है। पेड़ के नीचे एक बहुत बड़ी शिला है जो बहुत ही प्राचीनतम है। शिला पर पर 10 महाविद्याओ (माँ काली के दस रूप) को उकेरा गया है।
उखीमठ का क्षेत्रपाल किसे कहा जाता है?
ओम्कारेश्वर मंदिर और यहाँ के क्षेत्रपाल के तौर पर भगवान भैरव नाथ इस जगह की रक्षा करते हैं। उखीमठ में ओम्कारेश्वर मंदिर से थोड़ा ऊपर की ओर भगवान भैरव नाथ का मंदिर भी है। यहाँ आप भैरव नाथ के अष्ट रूप में दर्शन कर सकते हैं। इसी वजह से यहाँ इन्हे “अष्ट भैरव” भी कहते हैं। भैरवनाथ को उखीमठ के साथ सभी केदार का क्षेत्रपाल कहा जाता है और यही यहाँ की रक्षा करते हैं।
ओम्कारेश्वर मंदिर भगवान केदारनाथ और मधेश्वरनाथ की शीतकालीन गद्दी
ओम्कारेश्वर मंदिर को भगवान केदारनाथ और मधेश्वरनाथ की शीतकालीन गद्दी कहा जाता है। जब नवंबर के बाद केदारनाथ में अधिक ठण्ड और बर्फ पड़ने की वजह से केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं तब भगवान केदार की पंच मुखी मूर्ति को डोली में सजा कर केदारनाथ से इसी मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है।
ठंडो में भगवान केदारनाथ के दर्शन श्रद्धालु इसी मंदिर में करते हैं। मंदिर में भगवान केदारनाथ और मधेश्वरनाथ साल के 6 महीने रहते हैं। जब अप्रैल या मई में केदारनाथ के कपाट खोले जाते हैं तब मूर्ति को दुबारा केदारनाथ में स्थापित कर दिया जाता है। इस मूर्ति की यात्रा को डोली यात्रा कहा जाता है और यह हर साल होती है।
ऐसा ही मधेश्वरनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाने पर होता है, तब वहां से भगवान मद्येश्वर को डोली में सजा कर ओम्कारेश्वर मंदिर लाया जाता है। इस दौरान उखीमठ में तीन दिवसीये मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेले में उत्तराखंड के साथ बाहर राज्ये के लोग भी घूमने और ओम्कारेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।
ओम्कारेश्वर मंदिर खुलने का समय?
यह मंदिर हर रोज सुबह 6 खुल जाता है और शाम 7 बजे तक खुला रहता है। इस बीच में आप इस मंदिर में कभी भी दर्शन कर सकते हैं।
ओम्कारेश्वर मंदिर उखीमठ आने का सबसे अच्छा समय?
वैसे तो आप उखीमठ कभी आ सकते हैं। यदि आप केदारनाथ की यात्रा पर हैं तब भी आप यहाँ भगवान शिव के ओम्कारेश्वर रूप के दर्शन कर सकते हैं। लेकिन यहाँ आने का जो सही समय है वो है नवंबर के बाद का जब केदारनाथ और मधेश्वरनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। जब मधेश्वरनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और डोली उखीमठ पहुँचती है तो यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है, जो तीन दिन चलता है।
इस समय आने पर आप मेले में भी शामिल हो सकते हैं और भगवान के पंच केदार रूप के दर्शन भी कर सकते हैं। उसके साथ ही आप यहाँ शिवरात्रि के समय भी आ सकते हैं। यह समय भी यहाँ आने के लिए अनुकूल और अच्छा है।
उखीमठ में कहाँ रुके?
उखीमठ आने पर आपको यहाँ पर कुछ छोटे होम स्टे मिल जायेंगे। यहाँ रहने वाले लोग भी किराये पर रूम देते हैं तो आपको यहाँ पर रुकने में कोई भी दिक्कत नहीं होगी। साथ ही यहाँ पर कुछ छोटी दुकाने भी हैं और कुछ खाने के छोटे से ढाबे जहाँ आप भर पेट खाना खा सकते हैं। यहाँ खाने में आपको पराठे और पहाड़ी खाना मुख्यता मिलता है।
ओम्कारेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे?
ओम्कारेश्वर मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ में स्थित है। यहाँ तक पहुंचने का सबसे अच्छा साधन सड़कमार्ग है। यदि आप फ्लाइट या ट्रेन द्वारा यहाँ आना चाहते हैं तो आप इनके द्वारा सिर्फ आधा ही सफर तय कर सकते हैं, बाकि का आधा सफर आपको सड़क मार्ग द्वारा ही पूरा करना होगा। यदि आप उत्तराखंड के ही किसी शहर से आ रहे हैं तो आपको इस सफर को सड़कमार्ग द्वारा ही पूरा करना होगा। तो आईये जानते हैं आप ओम्कारेश्वर मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं….
फ्लाइट द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप ओम्कारेश्वर मंदिर उखीमठ फ्लाइट द्वारा आना चाहते हैं तो मैं आपको बता दू की उखीमठ में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। उखीमठ के सबसे निकट एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो देहरादून में स्थित है। अतः आप फ्लाइट से देहरादून तक की दूरी को तय कर सकते हैं। देहरादून से यहाँ तक के बाकि के सफर को आपको सड़कमार्ग द्वारा ही तय करना होगा। देहरादून से उखीमठ की दूरी 216 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में आपको 7 घंटे लगेंगे।
देहरादून से आप बस और टैक्सी द्वारा उखीमठ तक पहुंच सकते हैं। यदि सीधे उखीमठ की लिए आपको टैक्सी या बस न मिले तो आप पहले रुद्रप्रयाग तक आ सकते हैं। रुद्रप्रयाग से यहाँ के लिए बस ओर टैक्सी आपको आराम से मिल जाएँगी।
ट्रेन द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप उखीमठ ट्रेन द्वारा पहुंचना चाहते हैं तो उखीमठ में कोई भी रेलवे स्टेशन भी नहीं है। उखीमठ के सबसे निकट रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। आप अपने शहर से ऋषिकेश की ट्रेन पकड़कर ऋषिकेश आ सकते हैं। ऋषिकेश से उखीमठ तक के सफर को आप आसानी से तय कर लेंगे। यदि आपको ऋषिकेश के लिए ट्रेन नहीं मिलती हैं तो हरिद्वार भी आ सकते हैं। हरिद्वार से भी यहाँ आप बस या टैक्सी द्वारा आराम से पहुंच जायेंगे।
बस द्वारा कैसे पहुंचे?
पहाड़ो के सफर को तय करने का सबसे अच्छा तरीका और साधन बस है। बस द्वारा आप कम रुपये में सफर का मज़ा उठाते हुए आराम से अपनी मंज़िल तक पहुंच जायेंगे। आप अपने शहर से बस द्वारा हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून आसानी से पहुंच सकते हैं। इन सभी जगहों से सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की बसे मिल जाएँगी। यदि आप इन जगहों पर टैक्सी द्वारा जाना चाहते हैं तो आपको यहाँ से उखीमठ के लिए टैक्सी भी मिल जाएँगी।