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जानिये हिमालये की वादियों में स्थित पंच कैलाश यात्रा के बारे में

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आज आप सभी लोग कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में तो जानते होंगे और कहा जाता है की हर इंसान को जीवन में एक बार कैलाश मानसरोवर की यात्रा जरूर करनी चाहिए। आप सभी कैलाश मानसरोवर के बारे में तो जानते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं की हिमालये की वादियों में चार और ऐसे स्थान हैं, जिन्हे जोड़कर पंच कैलाश और इनकी यात्रा को “पंच कैलाश यात्रा” कहा जाता है। हम इस ब्लॉग में पंच कैलाश यात्रा और इनसे सम्बंधित सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे।

इन सभी पंच कैलाश तक जाने का रूट अलग-अलग समय पर खुलता है और इन यात्राओं को करने के लिए आपको आवेदन करने होते हैं जो इन यात्राओं के खुलने से कुछ महीने पहले करने होते हैं। तो हम सभी इन कैलाशो के बारे में एक-एक करके जानेगे और इसी के साथ यहाँ तक आप कैसे पहुंच सकते हैं इन सभी के बारे में जानेगे। तो आईये जानते हैं पंच कैलाश यात्रा के बारे…

श्री कैलाश मानसरोवर यात्रा

पंच कैलाश में जो सबसे पहला कैलाश आता है वो श्री कैलाश मानसरोवर है। कैलाश मानसरोवर यात्रा हिन्दू, जैन, बौद्ध, और सिख धर्म के लोगो के लिए बहुत अधिक आस्था का केंद्र है। कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित होने के कारण इस यात्रा के लिए आपको वीजा लेना होता है। यह यात्रा लगभग चार हफ्तों की होती है और इस यात्रा को करने के लिए आपको काफी खर्चा करना होता है। कैलाश पर्वत 22068 फिट ऊँचा है जो एवेरेस्ट के मुक़ाबले काफी छोटा है लेकिन आज तक इस पर्वत पर कोई नहीं चढ़ पाया है।

इस पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील और राक्षस झील इस यात्रा को करने में और यहाँ की खूबसूरती को बढ़ाने में मदद करती हैं। ऐसा माना जाता है की कैलाश पर्वत की परिक्रमा करने से आपको सभी पापो से मुक्ति मिल जाती है। कहते हैं की पर्वत की 108 बार परिक्रमा करने से सभी पापो से मुक्ति मिलती है और इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कैलाश पर्वत पर कैसे पहुंचे?

इस यात्रा को करने और यहाँ तक पहुंचने के तीन मार्ग हैं। पहला मार्ग उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर जाता है जो अभी सड़क निर्माण होने की वजह से बंद है और सितम्बर तक खुल जायेगा। दूसरा मार्ग सिक्किम से होकर जाता है, जहाँ आपको 1665 किलोमीटर की सड़क यात्रा करनी होती है साथ ही आपको 43 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी करनी होती है। तीसरा मार्ग नेपाल के काठमांडू से होकर जाता है। यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको तिब्बत परमिट और चीन द्वारा वीजा लेना होता है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग वीजा नहीं दिया जाता है बल्कि ग्रुप वीजा दिया जाता है।

श्रीखंड कैलाश

श्रीखंड कैलाश भारत के हिमाचल में स्थित यात्रा है और यह भी पंच कैलाश में से एक है और यह यात्रा भी पंच कैलाश यात्रा में से एक यात्रा के रूप में मानी जाती है। श्रीखंड कैलाश यात्रा बहुत कठिन यात्रा है और इसे अमरनाथ यात्रा से भी मुश्किल यात्रा माना जाता है। श्रीखंड कैलाश के लिए पैदल यात्रा हिमाचल के जौन गांव से शुरू होती है। यह यात्रा 32 किलोमीटर की है जो कुछ पहाड़ो से और गांव से होकर जाती है। श्री खंड चोटी पर स्थित शिवलिंग लगभग 75 फिट ऊँची है और यह 18570 फिट की ऊंचाई पर स्थित है।

श्रीखंड यात्रा के आखरी भाग को पूरा करने और शिवलिंग से कुछ मीटर पूर्व ही माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय के भी दर्शन किये जाते हैं। इस पैदल मार्ग के दौरान आपको मार्ग में बहुत से पवित्र और धार्मिक स्थान देखने को मिलते हैं जिनमे शिव गुफा, परशुराम मंदिर, माता पार्वती और उनके नौ देवियों के स्वरूप, हनुमान मंदिर और दक्षिणेश्वर महादेव के दर्शन किये जा सकते हैं।

इस जगह के बारे में एक पौराणिक कहानी बताई जाती है जो सदियों पुरानी है। ऐसा माना जाता है की इसी जगह पर राक्षस भस्मासुर को भगवान विष्णु ने नारी का रूप धारण करके नृत्य के लिए राजी किया था और नृत्य करते-करते उसने अपना हाथ अपने सर पर रख लिया और खुद ही भस्म हो गया था।

श्रीखंड कैलाश कैसे पहुंचे?

श्रीखंड कैलाश हिमाचल के वादियों में स्थित भारत के सबसे मुश्किल ट्रेक्स में से एक है। श्रीखंड कैलाश की यात्रा करने के लिए आपको हिमाचल के कुल्लू जिले के जौन गांव आना होगा। यहाँ तक आप सड़कमार्ग द्वारा आसानी से आ सकते हैं। जौन गांव के सबसे निकट एयरपोर्ट शिमला एयरपोर्ट है जो 189 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और सबसे निकट रेलवे स्टेशन शिमला रेलवे स्टेशन है, जो 178 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

जौन गांव श्रीखंड कैलाश का बेस कैंप है। यहाँ से श्रीखंड कैलाश के लिए 32 किलोमीटर का ट्रेक शुरू होता है। यह यात्रा जुलाई के अंतिम हफ्ता में शुरू होती है अगस्त तक चलती है। इस बीच में हज़ारो के संख्या में श्रद्धालु इस ट्रेक को करते हैं और भगवान शिव के दर्शन करते हैं।

किन्नौर कैलाश

किन्नौर कैलाश भी भारत के हिमाचल प्रदेश में ही स्थित पंच कैलाश यात्रा है। यह यात्रा अगस्त के महीने में की जाती है और इसे कुछ दिन के लिए ही खोला जाता है। 2023 में इस यात्रा को 15 अगस्त से 30 अगस्त तक के लिए खोला गया था। इस बीच बहुत से भक्तो ने इस ट्रेक को किया था। हिमाचल के किन्नौर रेंज में पहाड़ी पर स्थित शिवलिंग लगभग 79 फिट ऊँची है और इसका आकर त्रिशूल के जैसा दिखाई पड़ता है। इस शिवलिंग की एक खास बात है की यह अलग-अलग समय में अलग रंग की दिखाई देती है।

किन्नौर कैलाश बहुत अधिक प्रसिद्ध है क्यूंकि पौराणिक कहानी के अनुसार भगवान शिव इसी जगह शीतकाल में देवताओं के साथ एक बैठक का आयोजन किया करते थे। किन्नौर कैलाश यात्रा के बीच में पड़ने वाले गांव बहुत ही खूबसूरत हैं जो इस यात्रा को बहुत ही आकर्षक बनाते हैं। इस यात्रा के बीच में पड़ने वाला कल्पा गांव बहुत ही खूबसूरत है जिसके बारे में हमारे पिछले ब्लॉग में पढ़े। किन्नौर कैलाश के पास में ही स्थित है पार्वती कुंड जिसके बारे में कहा जाता है की इसे माता पार्वती ने ही बनवाया था।

किन्नौर कैलाश कैसे पहुंचे?

किन्नौर कैलाश तक पहुंचने के लिए आपको 17-18 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है। यह यात्रा तंगलिंग गांव से शुरू होती है जो 7050 फिट की ऊंचाई से शुरू होती है। यहाँ तक पहुंचने के लिए आप दिल्ली से ट्रेन या फ्लाइट द्वारा शिमला आ सकते हैं और वहां से प्राइवेट गाड़ी द्वारा कल्पा गांव और फिर वहां से तंगलिंग पहुंच सकते हैं जहाँ से पैदल ट्रेक शुरू होता है। इस यात्रा को करने के लिए आप पैकेज ले सकते हैं साथ ही आप अकेले भी इस यात्रा को कर सकते हैं।

यह हिमाचल में किये जाने वाले ट्रेक्स में से कुछ सबसे डिफिकल्ट ट्रेक में है। यह ट्रेक आपको आपकी शारीरिक क्षमताओं को आजमाने का मौखा देता है। इस यात्रा को 15 साल से ऊपर के लोग ही कर सकते हैं। तो आप पंच कैलाश यात्रा में से एक किन्नौर कैलाश की यात्रा भी जरूर करे। जहाँ आपको धार्मिक वातावरण के साथ-साथ प्राकृतिक खूबसूरती भी देखने को मिलती है।

मणिमहेश कैलाश

मणि महेश यात्रा भी बाकि पंच कैलाश यात्रा के तरह ही बहुत अधिक पवित्र मानी जाती है। यहाँ भगवान शिव के पहाड़ पर एक मणि रूप में दर्शन किये जाते हैं। यहाँ पर कैलाश पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील के तरह एक झील भी है जिसे मणिमहेश झील कहा जाता है। इस यात्रा को लोग सबसे ज्यादा भाद्रपद के महीने में करते हैं। इस महीने में इस झील के चारो ओर मेले का आयोजन किया जाता है और हजारो लोग इस झील में डुबकी लगाते हैं। ऐसा माना जाता है की इस जगह भगवान शिव ने कई वर्षो तक तपस्या की थी। जिस कारण इस जगह का इतना महत्व है।

मणिमहेश झील हिमाचल के बुद्धिल घाटी में स्थित है। यह भरमौर से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मणि महेश झील से कैलाश पर्वत की चोटी पर भगवान शिव के मणि रूप में दर्शन किये जाते हैं जिस वजह से इस यात्रा का इतना महत्व है। मणिमहेश झील तक पहुंचने के लिए आपको 13 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है। जिसे करने में लगभग 7 से 9 घंटे लगते हैं।

मणिमहेश कैलाश कैसे पहुंचे?

मणि महेश के दर्शन करने के लिए आपको सबसे पहले हिमाचल के शिमला पहुंचना होगा। शिमला तक आप बस, ट्रेन और फ्लाइट द्वारा पहुंच सकते हैं। शिमला से प्राइवेट गाड़ी द्वारा आप भरमौर और उसके आगे हड़सर तक पहुंच सकते हैं। हड़सर से ही मणिमहेश झील के लिए पैदल यात्रा शुरू होती है। यह यात्रा 13 किलोमीटर की है। जिसे पूरा करने में आपको 7 से 9 घंटे लगेंगे। यह यात्रा भाद्रपद के महीने में यानि सितम्बर में शुरू होती है और लगभग 1 महीने तक चलती है। इस दौरान आप पंच कैलाश यात्रा में से एक मणिमहेश कैलाश यात्रा को जरूर करे।

आदि कैलाश

आदि कैलाश यात्रा इसे छोटा कैलाश के नाम से भी जाना जाता है। आदि कैलाश उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है। यह पर्वत देखने में बिलकुल कैलाश पर्वत की तरह ही दिखाई पड़ता है जिस कारण इसे “आदि कैलाश” के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है की अगर कोई व्यक्ति कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना चाहता है और वो नहीं कर पता है तो उसे आदि कैलाश की यात्रा करनी चाहिए। जो पुण्य कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने से मिलते हैं वही आदि कैलाश की यात्रा करने से मिलते हैं।

यह यात्रा भी बहुत कठिन है और इसका रास्ता भी बहुत अधिक दुर्गम रास्तो से होकर जाता है। इस पर्वत के बारे में मान्यता है की भगवान शिव ने अपनी बारात के दौरान इसी जगह पर पड़ाव डाला था। इस यात्रा को करने के लिए आपको लगभग 35-40 हजार का बजट लेकर चलना होगा। इस यात्रा को पूरा करने में आपको लगभग 5 से 6 दिन लगेंगे। आदि कैलाश का पंच कैलाशो में बहुत अधिक महत्व माना जाता है। तो आप इस आदि कैलाश की यात्रा भी जरूर करे।

आदि कैलाश कैसे पहुंचे?

आदि कैलाश उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है। आदि कैलाश का ट्रेक धारचूला से शुरू होता है। इस यात्रा को करने के लिए आपको सबसे पहले पिथौरागढ़ आना होगा। वहां से धारचूला की दूरी 91 किलोमीटर है जिसे आप पिथौरागढ़ से बस और प्राइवेट टैक्सी द्वारा पूरा कर सकते हैं। धारचूला पहुंचकर वहां से शुरू होता है आदि कैलाश की यात्रा। जिसे पूरा करने में आपको कम से कम 6 दिन लगते हैं। इस यात्रा को करने का सबसे अच्छा समय मई से जून और सितम्बर से अक्टूबर के बीच का है। तो आप पंच कैलाश यात्रा में से एक आदि कैलाश यात्रा को भी कर सकते हैं।

FAQ

Q. भारत में कितने कैलाश हैं?

Ans. भारत में कुल पांच कैलाश हैं- कैलाश मानसरोवर, आदि कैलाश, मणिमहेश कैलाश, श्रीखंड कैलाश और किन्नौर कैलाश।

Q. कैलाश मानसरोवर यात्रा में कितना खर्चा आता है?

Ans. कैलाश मानसरोवर यात्रा थोड़ी महंगी यात्रा है क्यूंकि इस यात्रा को करने के लिए तिब्बत से यात्रा परमिट और चीन द्वारा वीजा लेना होता है और यह यात्रा लगभग 1 महीने के होती है। इस यात्रा को करने में आपको 1.5 लाख से 2 लाख के बीच खर्चा आता है।

Q. कैलाश मानसरोवर यात्रा में कितने दिन लगते हैं?

Ans. यह यात्रा काफी लम्बी होती है और इस यात्रा को पूरा करने में 25 से 28 दिन लगते हैं।

Q. मणिमहेश कैलाश यात्रा कब करनी चाहिए?

Ans. मणिमहेश यात्रा भाद्रपद (सितम्बर) के महीने में शुरू होती है। इसी महीने में अर्धचंद्र के 8 वे दिन मणिमहेश झील के पास एक मेले का आयोजन किया जाता है।

Q. किन्नौर कैलाश यात्रा कब शुरू होती है?

Ans. किन्नौर कैलाश की यात्रा सिर्फ 15 से 20 ही चलती है और यह यात्रा हर साल अगस्त के महीने में शुरू की जाती है।


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