उत्तराखण्ड में स्थित सबसे मुश्किल यात्राओं में से एक चारधाम यात्रा का बहुत अधिक महत्व है। हर साल इस यात्रा के प्रारम्भ होते ही लाखो की संख्या में लोग इस यात्रा को श्रद्धा पूर्वक करते हैं। चार धाम यात्रा में केदारनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, गंगोत्री मंदिर और यमुनोत्री मंदिर की यात्रा शामिल हैं। अधिकतर लोग इस यात्रा को भागो में करना पसंद करते हैं लेकिन सबसे ज्यादा लोग केदारनाथ मंदिर की यात्रा करना पसंद करते हैं।
हम अपने पिछले ब्लोगो में केदारनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर और गंगोत्री मंदिर के बारे में बता चुके हैं। इस ब्लॉग में हम चार धाम मंदिर में प्रथम मंदिर यमुनोत्री मंदिर की जानकारी को आपसे साझा करेंगे। आप यमुनोत्री मंदिर कैसे जा सकते हैं और किस प्रकार से आप इस यात्रा को पूरी कर सकते हैं उसके बारे में हम विस्तार से जानेगे। तो आईये जानते हैं यमुनोत्री मंदिर की जानकारियों को…
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शार्ट जानकारी
जगह | यमुनोत्री मंदिर |
पता | उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हरिद्वार से लगभग 240 किलोमीटर दूर |
प्रसिद्ध होने का कारण | यमुना जी का उद्गम स्थल और चार धाम मंदिरो में से एक होने के कारण |
ट्रेक बेस कैंप | जानकी चट्टी |
ट्रेक की दूरी | 5 से 6 किलोमीटर |
निकट रेलवे स्टेशन | हरिद्वार रेलवे स्टेशन |
निकट एयरपोर्ट | जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून |
यमुनोत्री मंदिर कहाँ है?
चार धाम मंदिर में से एक यमुनोत्री मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से 3185 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर हरिद्वार से 240 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 5 से 6 किलोमीटर का ट्रेक करना पड़ता है जो जानकी चट्टी से शुरू होता है। इसी जगह से यमुना जी का उद्गम माना जाता है।
यमुनोत्री मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यमुनोत्री मंदिर चार धाम मंदिरो में से एक होने के कारण और यमुना जी के उद्गम स्थल होने के कारण बहुत अधिक प्रसिद्ध है। यह मंदिर एक वजह से और अधिक प्रसिद्ध हो रहा है वह यह है की यहाँ बने एक कुंड में गर्म पानी निकलता है, जिसे सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड में लोग चावल पकाते है और प्रसाद स्वरुप यमुना जी को चढ़ाते हैं और अपने घर लेकर जाते हैं।
यमुनोत्री धाम का इतिहास
यमुनोत्री धाम का इतिहास बहुत पुराना है। यमुनोत्री धाम का उल्लेख हिन्दू धर्म की पवित्र ग्रंथो में भी मिलता है। ऐसा माना जाता है यमुना जी का पृथ्वी पर सर्वप्रथम अवतरण कलिंद पर्वत पर हुआ जिस वजह से इन्हे कालिंदी भी कहा जाता है। इस मंदिर को 19 वीं सदी में जयपुर की रानी गुलेरिया ने बनवाया था लेकिन भूकंप की वजह से यह मंदिर छतिग्रस्त होने के कारण इस मंदिर को 1884 में गढ़वाल के राजा सुदर्शन शाह ने बनवाया था। अब जो वर्तमान में मंदिर स्थापित है इस मंदिर को गढ़वाल नरेश प्रताप शाह ने बनवाया था।
पहले इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर का मुश्किल ट्रेक करना होता था लेकिन अब सड़कमार्ग बनने से ये ट्रेक सिर्फ 5 किलोमीटर का रह गया है। महाभारत के अनुसार पांडवो ने चार धाम मंदिर की यात्रा के दौरान सर्वप्रथम यमुनोत्री के दर्शन किये थे, उसके बाद गंगोत्री और फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ के दर्शन किये थे।
यमुनोत्री मंदिर में दर्शन का समय
आप जब भी किसी मंदिर के दर्शन के लिए जाते हो तो एक प्रश्न जरूर उठता है की मंदिर कितने बजे खुलता होगा। यमुनोत्री मंदिर सुबह 5 बजे खुल जाता है और 5 बजे मंदिर में मंगला आरती होती है। उसके बाद मंदिर श्रद्धालुओं के लिए 6 बजे खोल दिया जाता है जो रात 9 बजे तक खुला रहता है। इस बीच में सुबह करीब 9 बजे मंदिर में भोग लगाया जाता है जिससे इस बीच में मंदिर कुछ समय के लिए दर्शन करने के लिए बंद कर दिया जाता है और फिर भोग लगने के बाद मंदिर को दुबारा खोल दिया जाता है।
जानकी चट्टी से यमुनोत्री तक का ट्रेक
यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको जानकी चट्टी से लगभग 5 से 6 किलोमीटर का ट्रेक करना पड़ता है। इस ट्रेक को पूरा करने में आपको लगभग 3 से 4 घंटे लगेंगे। यदि आप इस ट्रेक को पैदल पूरा करने में असमर्थ हैं तो यहाँ घोड़े, पालकी और पिट्ठू की भी व्यवस्था है। यहाँ पर घोड़ो द्वारा जाने पर दोनों तरफ का किराया 2500 रुपये है और एक तरफ का 1500 रुपये है। यदि आप पिट्ठू द्वारा जाते हैं तो इसका किराया 5000 रुपये है।
जानकी चट्टी से यमुनोत्री मंदिर तक का ट्रेक अच्छा है। शुरआत में यह ट्रेक मार्ग थोड़ा पतला है और बीच-बीच में मार्ग पतला होने के कारण जाम भी लग जाता है। इस मार्ग के शुरुआत में आपको काफी खाने पीने की दूकान, मेडिकल स्टोर के साथ कुछ धर्मशालये भी देखने को मिल जाएँगी। ट्रेक मार्ग में काफी पानी के विकल्प मौजूद है लेकिन इस मार्ग में आपको शौचालय न के बराबर मिलेंगे। इस ट्रेक की कठनाई साधारण लेवल की है तो आप आराम से इस ट्रेक को पूरा कर सकते हो।
यमुनोत्री में कहाँ रुके?
यमुनोत्री की यात्रा के दौरान रुकना और यहाँ रूम देखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। आप जब भी यमुनोत्री यात्रा का प्लान बनाये तो उस दौरान रूम ऑनलाइन बुक कर दे। इससे आपको अच्छे और सही लोकेशन पर रूम मिल जायेंगे। यमुनोत्री यात्रा के दौरान रुकने का सही स्थान बरकोट है यहाँ आपको बहुत से होटल्स और गेस्ट हाउस मिल जायेंगे। बरकोट में यात्रा सीजन में रूम बहुत महंगे होते हैं, यहाँ रूम आपको 1500 से 2000 रुपये में साधारण रूम मिल जायेंगे।
यदि आप यमुनोत्री मंदिर के ट्रेक बेस कैंप जानकी चट्टी में रुकना चाहते हो तो ये काफी महंगा हो सकता है क्यूंकि यहाँ पर साधारण से धर्मशाला वाले रूम 1000 से 1500 रुपये में मिलेंगे। यदि आप एक सही रूम को लेते हैं तो उसका प्राइस लगभग 2000 से ऊपर ही होगा। तो यहाँ पर रुकना थोड़ा महँगा हो सकता है इसलिए आप पहले से ही सरकारी GMVN गेस्ट हाउस को बुक करके रखे।
यमुनोत्री धाम में दार्शनिक स्थल
आप जब यमुनोत्री धाम आए तो मंदिर में दर्शन के बाद यहाँ स्थित कुछ और दार्शनिक स्थलों को जरूर देखे। यहाँ यमुनोत्री मंदिर के अतिरिक्त दिव्या शिला मुखारबिंद है, जहाँ लोग यमुना जी की पूजा करते हैं। मंदिर के पास ही सूर्य कुंड है जिसका पानी केदारनाथ के गौरीकुंड और बद्रीनाथ के तप्त कुंड की तरह गर्म रहता है। यहाँ पर सूर्य मंदिर, द्रौपदी कुंड, हनुमान मंदिर स्थित हैं जो मंदिर के पास ही हैं। मंदिर के पास यमुना जी की धारा बहती है जहाँ यहाँ आने वाले श्रद्धालु साड़ियां माँ यमुना को चढ़ाते हैं।
यमुनोत्री मंदिर में दर्शन करने के बाद आप मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर का ट्रेक करके गरुड़ गंगा धारा तक जा सकते हैं। इसके साथ आप मंदिर से 7 किलोमीटर का ट्रेक करके माँ गंगा का उद्गम स्थल कालिंदी पर्वत के दर्शन करने जा सकते हैं।
यमुनोत्री की यात्रा कैसे करे?
यमुनोत्री मंदिर की यात्रा का शुरूआती बिंदु हरिद्वार है। हरिद्वार से यमुनोत्री की यह यात्रा 3 दिन की होगी। इस यात्रा के पहले दिन आप हरिद्वार से बरकोट तक बस या टैक्सी द्वारा जाए। आज की रात वहीं रुके फिर अगले दिन आप जल्दी ही बरकोट से यमुनोत्री की लिए निकल जाए। बरकोट से जानकी चट्टी पहुंचकर आप यमुनोत्री मंदिर तक का ट्रेक शुरू कर दे। यह ट्रेक 5 से 6 किलोमीटर का है, जिसे पूरा करने में आपको लगभग 3 से 4 घंटे लगेंगे।
दर्शन करने के बाद आप उसी दिन बरकोट के लिए वापसी कर ले और आज की रात बरकोट में ही बिताये। अगले दिन आप बरकोट से हरिद्वार की और वापसी कर दे। इस तरह से आप 3 दिन में यमुनोत्री की यात्रा पूरी कर लेंगे।
यमुनोत्री मंदिर कैसे पहुंचे?
यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका सड़कमार्ग द्वारा है। मंदिर तक पहुंचने का रोड अच्छा है लेकिन कहीं कहीं पर यह टुटा हुआ है। आप यमुनोत्री मंदिर तक कैसे और किन साधनो द्वारा पहुंच सकते हैं अब हम उसके बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे। तो आईये जानते हैं यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचने की सभी जानकारियों को..
सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
यमुनोत्री तक पहुंचने के दो मार्ग हैं, जिनमे से एक मार्ग देहरादून होते हुए जाता है तो दूसरा मार्ग टेहरी गढ़वाल होते हुए जाता है। ये दोनों मार्ग चिंयालीसौर से पहले कुछ दूरी पर मिलते हैं। यमुनोत्री जाने का शुरुआती बिंदु हरिद्वार है। हरिद्वार से यमुनोत्री के लिए सीधे बसे मिलना थोड़ा मुश्किल हैं, लेकिन आप सुबह में हरिद्वार बस स्टैंड पर बस के बारे में पता कर सकते हैं।
यदि आपको यमुनोत्री के लिए डायरेक्ट बस नहीं मिलती है तो आप हरिद्वार से बरकोट तक बस द्वारा आ सकते हैं। बरकोट से जानकी चट्टी के लिए आपको शेयरिंग जीप मिल जाएँगी। जिसका किराया लगभग 150 से 200 रुपये होता है। हरिद्वार से जानकी चट्टी के लिए आपको सीधे प्राइवेट टैक्सी भी मिल जाएँगी और फिर जानकी चट्टी से शुरू होता है यमुनोत्री के लिए 5 किलोमीटर का ट्रेक।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप रेलमार्ग द्वारा यहाँ आना चाहते हैं तो यमुनोत्री के सबसे पास रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है। आप ट्रेन द्वारा हरिद्वार तक आ सकते हो इसके अतिरिक्त आप देहरादून तक भी ट्रेन द्वारा पहुंच सकते हो। यहाँ से आगे यमुनोत्री तक की दूरी को सड़कमार्ग द्वारा पूरा करना होगा।
हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
यमुनोत्री के सबसे निकट एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो देहरादून में स्थित है। देहरादून के लिए फ्लाइट आपको दिल्ली और देश के बड़े एयरपोर्ट से मिल जाएँगी। देहरादून से आगे यमुनोत्री तक का सफर आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरा करना होगा। जिसे हम ऊपर बता चुके हैं।