भारत में भगवान श्री कृष्ण के प्रति लोगो की बहुत गहरी आस्था है। भगवान कृष्ण के सबसे अधिक मंदिर उत्तर प्रदेश में हैं, लेकिन भगवान श्री कृष्ण का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश में है। जो 12000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर हिमाचल के पहाड़ो के बीच में एक बहुत ही सुन्दर झील में स्थित है।
इस ब्लॉग में हम इसी मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे। जिससे आप जब भी इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जाए तो आप सही तरह से अपना प्लान बना सकें। हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह है युल्ला कांडा मंदिर। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित है, जो दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित श्री कृष्ण का मंदिर है। तो आईये जानते हैं इस मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारियों को…
विषय सूची
शार्ट जानकारी
जगह | युल्ला कांडा मंदिर |
पता | किन्नौर की रोरा घाटी में युल्ला खास गांव से 12 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश में स्थित है। |
प्रसिद्ध होने के कारण | पांडवो से जुड़े होने के कारण और सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण |
ट्रेक बेस कैंप | युल्ला खास गांव |
ट्रेक लम्बाई | 12 किलोमीटर |
ट्रेक अवधि | 5 से 6 घंटे |
कुल ट्रिप दिन | 3 से 4 दिन |
ट्रेक करने का बेस्ट टाइम | मई से अक्टूबर (मानसून के समय ट्रेक करने से बचे) |
निकट रेलवे स्टेशन | शिमला रेलवे स्टेशन |
निकट एयरपोर्ट | शिमला एयरपोर्ट |
युल्ला कांडा कृष्ण मंदिर कहाँ है?
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की रोरा घाटी में युल्ला खास से 12 किलोमीटर की दूरी पर एक झील पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले शिमला आना होगा वहां से आपको टापरी होते हुए युल्ला खास पहुंचना होगा। युल्ला खास इस मंदिर का बेस कैंप है और यहाँ से ही इस मंदिर का 12 किलोमीटर का ट्रेक शुरू होता है।
युल्ला कांडा कृष्ण मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यह मंदिर लोगो के बीच इसलिए बहुत प्रसिद्ध है क्यूंकि यह मंदिर एक झील पर स्थित है और झील से जुड़ा हुआ एक चमत्कार की कहानी बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है की झील में लोगो द्वारा एक हिमाचली टोपी को डाला जाता है और यदि टोपी झील में बिना पलटे और बिना डूबे झील के दूसरे किनारे पर चली जाती है तो आपके आने वाले साल बहुत ही अच्छे और शांत होंगे। यदि टोपी झील में पलट जाती है तो आपके आने वाले साल बहुत अधिक कष्टों से भरे होंगे।
इस मंदिर के प्रसिद्ध होने का एक कारण और भी है की यह मंदिर महाभारत काल का बताया जाता है और ऐसा माना जाता है की पांडवो ने अपने वनवास के दौरान झील का निर्माण किया था और उसके बाद झील पर मंदिर का निर्माण किया जो आज भी मौजूद है। मंदिर के पास में पांडवो द्वारा की गयी खेती के बारे में भी बताया जाता है। यह मंदिर दुनिया में सभी कृष्ण मंदिरो में से सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित श्री कृष्ण मंदिर है, जो 12000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है।
युल्ला कांडा मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और मंदिर को महाभारत काल का बताया जाता है। मंदिर के प्रति लोगो की पहले भी गहरी आस्था थी और अब भी बहुत गहरी आस्था है। यह मंदिर लोगो के बीच बुशहर रियासत के दौरान काफी प्रचलित हुआ जब बुशहर रियासत के राजा द्वारा इस मंदिर में जन्माष्टमी मेले का आयोजन कराया गया। यह मेला तब से लेकर अब तक होता चला आ रहा है। जन्माष्टमी के दौरान यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है और लोग इस मंदिर में पूजा अर्चना और भगवान कृष्ण का जन्मदिन मानाने आते हैं।
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मंदिर की झील में उल्टी टोपी की मान्यता
मंदिर जिस झील पर बना है उसका बहुत अधिक महत्व है। झील के बारे में लोगो के बीच एक मान्यता बताई जाती है की यदि कोई व्यक्ति एक विशेष टोपी (हिमाचली टोपी) को उल्टा करके इस झील में डालता है और यदि टोपी बिना डूबे झील के दूसरे ओर चली जाये तो उस इंसान की सारी मनोकामना पूरी होती हैं और उसके जीवन के आगे आने वाले साल अच्छे से और खुशहाली से व्यतीत होते हैं।
युल्ला कांडा मंदिर ट्रेक
दुनिया का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित श्री कृष्ण के मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 12 किलोमीटर का पैदल ट्रेक करना होता है। यह ट्रेक हिमाचल के जंगलो के बीच से होकर सुन्दर पहाड़ो और वादियों के बीच लेकर जाता है। युल्ला कांडा मंदिर का बेस कैंप युल्ला खास गांव है जहाँ से मंदिर के लिए ट्रेक शुरू होता है। यह ट्रेक आसान से माध्यम ट्रेक के बीच में आता है। इस ट्रेक के शुरू के 6 से 7 किलोमीटर का भाग आसान है लेकिन जैसे-जैसे आप इससे आगे बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे यह ट्रेक कठिन होता जाता है।
इस ट्रेक का सबसे कठिन भाग आखरी के 1 से 2 किलोमीटर का ट्रेक है। जिसमे आपको पहाड़ो पर बर्फ का सामना करना पड़ता है साथ ही अधिक ऊंचाई पर होने के कारण आपको साँस लेने में और चलने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। यह ट्रेक गांव से शुरू होता है और सबसे पहले आपको सीढ़ियों द्वारा ऊपर चढ़ना होता है और फिर आप कुछ दूरी के बाद जंगल से होकर जाते हो जो देवदार और पाइन के पेड़ो से घिरा हुआ है। यह ट्रेक जितना कठिन है उतना ही सुन्दर भी है और यहाँ पहुंचने के बाद आपको एक अलग सकारात्मक भाव और शांत वातावरण का एहसास होगा।
युल्ला कांडा में रुकना और खाना
आप जब युल्ला कांडा मंदिर जायेंगे तो आपको न तो मंदिर के पास कोई रुकने की व्यवस्था मिलेगी और न ही ट्रेक के बीच में कोई भी रुकने की व्यवस्था है। लेकिन यदि आप कैंपिंग करना चाहते हैं तो आप कैंपिंग कर सकते हैं। मंदिर के पास में खुले आसमान के नीचे कैंपिंग करना बहुत सुन्दर एहसास हो सकता है लेकिन अधिक ठण्ड और हवा से आपको कुछ परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है।
यदि आप यहाँ रुकना चाहते हैं तो आप युल्ला कांडा मंदिर के बेस कैंप युल्ला खास विलेज में रुक सकते हैं। यहाँ आपको बहुत से गेस्ट हाउस बने हुए मिल जायेंगे। जहाँ आप रुक सकते हैं। इन गेस्ट हाउस का प्राइस 1000 से 1500 रुपये हो सकता है और सीजन के हिसाब से कम बढ़ होता रहता है। यहाँ खाने के ऑप्शन भी आपको मिल जायेंगे। यहाँ पर कुछ दुकाने भी है तो साथ में गेस्ट हाउस में भी खाने की सुविधा मिल जाती है। इसके साथ ही आप टापरी में भी रुक सकते हैं।
युल्ला कांडा मंदिर का आने सबसे अच्छा समय
युल्ला कांडा ट्रेक आप कभी भी कर सकते हैं, लेकिन सबसे अच्छा समय इस मंदिर तक आने का जन्माष्टमी पर है। जन्माष्टमी पर इस जगह एक मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे हजारो लोग शामिल होते हैं। ट्रेक करने का जो सर्वोत्तम समय है वो मई से अक्टूबर के बीच का है। तब आपको मौसम साफ़ और स्वच्छ मिलेगा। ठंडो के समय में आने पर पर आप अपने साथ स्नो शूज जरूर रखे बरना आपको यहाँ पर चलने में बहुत दिक्कत होगी।
युल्ला कांडा कृष्ण मंदिर कैसे पहुंचे?
युल्ला कांडा कृष्ण मंदिर तक पहुंचने का सबसे सरल और आसान तरीका सड़कमार्ग द्वारा है। यदि आप फ्लाइट और ट्रेन द्वारा यहाँ आना चाहते हैं तो इनके द्वारा सिर्फ आधी दूरी ही तय कर सकते हैं। तो आईये जानते हैं की आप कैसे और किन साधनो के माध्यम से युल्ला कांडा कृष्ण मंदिर पहुंच सकते हैं…
हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
यदि आप युल्ला कांडा फ्लाइट द्वारा आना चाहते हो तो यहाँ कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। युल्ला खास विलेज के सबसे निकट एयरपोर्ट शिमला एयरपोर्ट है। शिमला एयरपोर्ट से युल्ला खास गांव के लिए बाकि की दूरी आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी। शिमला से युल्ला खास की दूरी 205 किलोमीटर है। जिसे आप सड़कमार्ग द्वारा पूरा कर सकते हैं।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
युल्ला खास के सबसे निकट रेलवे स्टेशन शिमला रेलवे स्टेशन है, जो देश के बाकि बड़े रेलवे स्टेशनो से अच्छे से जुड़ा हुआ है। यहाँ से युल्ला खास तक की दूरी को आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरा करना होगा। जिसे आप बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पूरा कर सकते हैं। युल्ला खास से मंदिर तक का 12 किलोमीटर का ट्रेक शुरू होता है जिसे आपको पैदल ही पूरा करना होता है।
सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
हिमाचल में स्थित जगहों पर पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका सड़कमार्ग द्वारा है। यदि आप यहाँ अपने वाहन द्वारा आते हैं तो अच्छा रहता है और आसान भी रहता है। युल्ला खास तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले शिमला पहुंचना होगा। शिमला से आपको बसे और प्राइवेट टैक्सी टापरी के मिल जाएँगी और फिर वहां से आप प्राइवेट टैक्सी द्वारा युल्ला खास पहुंच सकते हैं जहाँ से मंदिर का ट्रेक शुरू होता है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
- आप जब इस ट्रेक को शुरू करे तो आपने साथ एक गाइड को जरूर साथ रखे क्यूंकि ट्रेक का मार्ग थोड़ा कठिन है और आप ट्रेक में भटक सकते हैं। आप युल्ला खास गांव से किसी एक व्यक्ति को अपने साथ ले जा सकते है जिसका शुल्क 1000 रुपये हो सकता है।
- ट्रेक के बीच में कोई भी खाने पीने की दूकान नहीं है तो आप अपने साथ खाने का सामान भी जरूर रखे।
- यदि आपके पास सामान ज्यादा है और आप घोडा या खाना पकाने वाले को अपने साथ ले जाना चाहते हैं तो युल्ला खास गांव से ले जा सकते हैं जिनका शुल्क भी 1000 से 1500 रुपये होता है।
- आप जब इस ट्रेक को करे तो कोशिश करे की आप किसी ट्रेकिंग कंपनी की सहायता से ही करे।