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गंगोत्री मंदिर की जानकारी, मंदिर कहाँ स्थित है? कैसे पहुंचे? आदि

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भारत के उत्तराखंड में स्थित चार धाम मंदिरो में से एक गंगोत्री मंदिर के प्रति लोगो की बहुत गहरी आस्था है। गंगोत्री से ही माँ गंगा का उद्गम माना जाता है जिस कारण से यह बहुत अधिक प्रसिद्ध है। गंगोत्री में गोमुख ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा नदी पृथ्वी के लिए एक संजीवनी बूटी का काम करती है। जो हमारी पृथ्वी को एक तरह से प्राकृतिक जीवन प्रदान करती है। इस ब्लॉग में हम “गंगोत्री मंदिर” से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे।

गंगोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पड़ता है। यह मंदिर साल में 6 महीने खुलता है और 6 महीनो के लिए बंद रहता है। 2024 में जब से गंगोत्री मंदिर के कपाट खुलने का ऐलान हुआ है तब से लोगो ने इस मंदिर के साथ चार धाम के बाकि तीन मंदिरो (केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री) की यात्रा का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। तो आप गंगोत्री मंदिर की यात्रा कैसे कम से कम बजट में कर सकते हैं और यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को आप नीचे ब्लॉग में पढ़ सकते हैं…

शार्ट जानकारी

जगह गंगोत्री मंदिर
पताउत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में उत्तरकाशी शहर से 100 किलोमीटर दूर
प्रसिद्ध होने का कारणचार धाम मंदिर में से एक होने के कारण और माँ गंगा के उद्गम होने के कारण
गंगोत्री जाने का सबसे अच्छा समयमई से जून और सितम्बर से नवंबर लास्ट तक
मंदिर में दर्शन का समयसुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक और
शाम 3 बजे से रात 9 बजे तक
निकट रेलवे स्टेशनहरिद्वार और देहरादून रेलवे स्टेशन
निकट एयरपोर्टजॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून

गंगोत्री मंदिर कहाँ है?

चार धाम मंदिर में से एक गंगोत्री मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के उत्तरकाशी शहर से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर समुंद्र तल से लगभग 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गंगोत्री मंदिर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है “गोमुख” जो माँ गंगा का उद्गम स्थान है।

गंगोत्री मंदिर का इतिहास

माँ गंगा के उद्गम क्षेत्र में बना गंगोत्री मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। यह मंदिर चार धाम मंदिरो में से एक है जिसका अस्तित्व 17 से 18 वीं सदी में भारत के लोगो के बीच आया। पहले गंगोत्री तक की यात्रा बहुत ही दुर्गम थी और यह यात्रा पैदल की जाती थी जिस वजह से इस यात्रा को करना मुश्किल होता था लेकिन फिर भी बहुत से श्रद्धालु इस यात्रा को करते थे। ऐसा माना जाता है की पहले गंगोत्री में मंदिर नहीं था लोग यहाँ सीधे माँ गंगा की धारा की पूजा किया करते थे।

गंगोत्री मंदिर के बाहर लगी शिलालेख पर लिखा हुआ मंदिर का विवरण

पहले लोग भागीरथी शिला के पास में एक मंच पर कुछ देवी देवताओ की मूर्तियां को रखते थे, जो चार धाम की यात्रा के समय रखी जाती थी। इन मूर्तियों को पास के ही गांव मुखबा से लाया जाता था और यात्रा के बंद होने पर वापस गांव में लौटा दिया जाता था। इस मंदिर में पूजा सेमवाल पुजारियों द्वारा की जाती थी। इन पुजारियों द्वारा मंदिर निर्माण के लिए 18 वीं सदी में गढ़वाल के गुरखा सेनापति अमर सिंह थापा से निवेदन किया गया। उसके बाद उन्होंने ही इस जगह मंदिर का निर्माण कराया और फिर बाद में 20 वीं सदी में माधो सिंह द्वितीय ने मंदिर को रेनोवेट कराया।

गंगोत्री से जुड़ी कहानी

गंगोत्री धाम से जुड़ी हुयी कहानी बहुत ही पौराणिक है और यह भगवान राम के पूर्वजो से जुड़ी हुयी है। हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रथो के अनुसार इक्ष्वाकुवंशीय सम्राट सगर के 60000 हजार पुत्र थे जिन्होंने कपिल मुनि का अपमान किया जिस कारण से कपिल मुनि ने अपने तपोवल से उन्हें भस्म कर दिया था। उन सभी पुत्रो को मोक्ष दिलाने के लिए गंगा जी को पृथ्वी पर लाने की जरुरत थी क्यूंकि गंगा जी द्वारा ही राजा सगर के सभी पुत्रो को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती थी।

राजा सगर से लेकर बहुत से राजाओ और सम्राटो ने तपस्या की लेकिन कोई भी गंगा जी धरती पर नहीं ला पाया। अंत में राजा दिलीप के पुत्र भगीरथ जी की घोर तपस्या के द्वारा ही गंगा जी आगमन हुआ। जब गंगा जी का आगमन हुआ तो उनका वेग बहुत तेज़ था जिससे पृथ्वी नष्ट हो सकती थी जिस कारण भगवान शिव ने गंगा जी को अपने जटाओ में समाहित कर लिए और हल्के हल्के अपनी जटाओ से गंगा जी को पृथ्वी पर छोड़ दिया।

गंगा जी सबसे पहले गंगोत्री में ही गिरी और यहीं से गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे समुन्द्र से होते हुए पाताल लोक तक पहुंची, जिससे सगर के पुत्रो को मोक्ष की प्राप्ति हुयी। इस तरह से गंगा जी आगमन पृथ्वी पर हुआ।

गंगोत्री मंदिर प्रसिद्ध क्यों है?

गंगोत्री से ही गंगा जी का उद्गम हुआ है और यहाँ बना मंदिर चार धाम मंदिरो में से एक है जिस कारण से गंगोत्री प्रसिद्ध है। माँ गंगा स्वर्ग से पहली बार इसी जगह उतरी थी जिसे गोमुख कहा जाता है। गंगोत्री मंदिर के पास बना भगीरथ जी का मंदिर इस बात का प्रमाण देता है की गंगा जी का उद्गम यहीं से हुआ था।

गंगोत्री मंदिर में दर्शन का समय

यदि आप प्राइवेट बस या टैक्सी द्वारा गंगोत्री आये हैं तो आपको मंदिर में दर्शन का समय जरूर पता होना चाहिए। मंदिर के बाहर मंदिर समिति के द्वारा लगाए गए बोर्ड के अनुसार मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है और मंदिर में पूजा से सम्बंधित सभी कार्यक्रम होने लगते हैं। मंदिर आने वाले श्रद्धालु प्रातः 6 बजे से मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। मंदिर में 9 बजे भोग लगाया जाता है इसलिए लगभग 15 से 20 मिनट के लिए श्रद्धालुओ को रोक दिया जाता है और उसके बाद 2 बजे तक आप मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।

मंदिर 2 बजे से लेकर 3 बजे तक शयन हेतु बंद रहता है और 3 बजे के बाद मंदिर को पुनः भक्तो के लिए दर्शन करने हेतु खोल दिया जाता है। मंदिर में शाम की आरती 7:45 बजे होती है और सांयकालीन भोग रात 8 बजे लगाया जाता है। मंदिर रात 9 बजे तक खुला रहता है और आप 9 बजे तक मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।

गंगोत्री में कहाँ रुके?

गंगोत्री मंदिर की यात्रा के दौरान अधिकतर श्रद्धालु उत्तरकाशी में रुकते हैं। यहाँ आपको बहुत से बड़े और छोटे होटल्स और गेस्ट हाउस मिल जायेंगे जहाँ आप रुक सकते हैं। यदि आप अपनी गाड़ी से गंगोत्री आये हैं तो आपको मेरे हिसाब से उत्तरकाशी में न रुक कर उत्तरकाशी से 20 किलोमीटर पहले पड़ने वाली एक जगह चिंयालीसौर में रुकना चाहिए क्यूंकि उत्तरकाशी और गंगोत्री की तुलना में यहाँ पर बहुत ही अच्छे और सस्ते रूम आपको मिल जायेंगे।

यदि आप अपनी गाड़ी की वजह पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा आये हैं तो आपको उत्तरकाशी में रुकना चाहिए। आप यदि हरिद्वार से प्राइवेट बस या टैक्सी द्वारा आते हैं तो वो आपको सीधे उत्तरकाशी में छोड़ती है इसलिए आप एक रात उत्तरकाशी में रुककर अगले दिन सुबह जल्दी ही उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए प्राइवेट बस द्वारा निकल जाए। उत्तरकाशी में आपको रूम 1000 से 1500 रुपये की बीच में मिल जायेंगे।

ज्यादातर श्रद्धालु उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए सुबह में जल्दी ही बस द्वारा निकल जाते हैं और दर्शन करके शाम तक उत्तरकाशी वापस आ जाते हैं, लेकिन यदि आप गंगोत्री में एक रात रुकना चाहते हैं तो यहाँ रुकना थोड़ा खर्चीला हो सकते है क्यूंकि यहाँ आपको रूम 2000 से 4000 रुपये प्रति रात (डबल बेड) के हिसाब से मिलता है। तो आप जहाँ भी रुकना चाहते हैं वहां अपने बजट और अपने मन मुताबिक रुक सकते हैं।

गंगोत्री मंदिर आने का सबसे अच्छा समय

गंगोत्री मंदिर चार धाम मंदिरो में से एक है। यह मंदिर साल में 6 महीने खुलता है और 6 महीने बंद रहता है। इस साल 2024 में शिवरात्रि के दिन चार धाम मंदिरो (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के खुलने का ऐलान कर दिया गया है, जिसमे से गंगोत्री मंदिर 10 मई 2024 को अगले 6 महीनो के लिए खोल दिया जायेगा।

अब बात करे की इन 6 महीनो में से सबसे अच्छा समय कौन सा है गंगोत्री आने के लिए तो वो है मई से जून के बीच का और उसके बाद सितम्बर के लास्ट से मंदिर के कपाट बंद होने तक का है। जुलाई से अगस्त में उत्तराखंड की किसी भी तरह की यात्रा करने से बचे क्यूंकि यह समय मानसून का होता है जो थोड़ा खतरों से भरा हुआ होता है।

गंगोत्री के दर्शनीय स्थल

गंगोत्री में बहुत से दर्शनीय स्थल हैं जिन्हे आप देख सकते हैं। गंगोत्री मंदिर में माँ गंगा के दर्शन करने के पश्चात आप मंदिर के पास बने भगीरथ जी के मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। आप यहाँ बने सूर्य कुंड और गौरी कुंड को भी देखना न भूले। अधिकतर लोग इनके बारे में नहीं जानते हैं जिस वजह से लोग गंगोत्री मंदिर में दर्शन करने के पश्चात वापस लौट जाते हैं। गंगोत्री मंदिर से 300 मीटर पहले एक पांडव गुफा भी है जिसे आप देख सकते हैं। इसके साथ ही आप गोमुख ट्रेक भी कर सकते हैं जहाँ से माँ गंगा का उद्गम होता है। यह ट्रेक लगभग मंदिर से 19 किलोमीटर का है।

गोमुख ट्रेक गंगोत्री

यदि आप मंदिर में दर्शन करने के पश्चात मंदिर से आगे गोमुख तक जाना चाहते हैं तो आप गोमुख का ट्रेक भी कर सकते हैं। गोमुख वह स्थान है जहाँ से माँ गंगा का उद्गम माना जाता है। गंगोत्री मंदिर से गोमुख लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर है। इस ट्रेक को करने के लिए आपको गंगोत्री से आगे का परमिट लेना होता है जो गोमुख ट्रेक के दौरान बीच में पड़ने वाली चौकी पर देखा जाता है।

गोमुख ग्लेशियर से निकलती हुयी माँ गंगा। गोमुख से ही माँ गंगा का उद्गम माना जाता है।

इस ट्रेक को लोग दो भागो में पूरा करते हैं जिसमे से पहले भाग में लोग गंगोत्री से तपोवन तक जाते हैं और फिर अगले भाग में तपोवन से गोमुख के लिए निकलते हैं। तो यदि आप इस ट्रेक को करना चाहते हो तो आप भी इस ट्रेक को कर सकते हो।

गंगोत्री कैसे पहुंचे?

गंगोत्री पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है की आप सड़कमार्ग द्वारा यहाँ आये। गंगोत्री का जो प्रारंभिक बिंदु है वो है हरिद्वार। हरिद्वार से गंगोत्री लगभग 290 किलोमीटर है। हरिद्वार से आप प्राइवेट शेयरिंग जीप और बस द्वारा गंगोत्री तक पहुंच सकते हैं। गंगोत्री के सबसे नजदीक एयरपोर्ट देहरादून एयरपोर्ट है और रेलवे स्टेशन हरिद्वार और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। तो गंगोत्री तक के आधे सफर को आप रेलमार्ग और हवाईमार्ग द्वारा भी पूरा कर सकते हैं। तो आईये विस्तार से जानते हैं की आप गंगोत्री तक कैसे पहुंच सकते हैं…

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

गंगोत्री मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार पहुंचना होगा। हरिद्वार से गंगोत्री की दूरी 290 किलोमीटर है। हरिद्वार से गंगोत्री के लिए सीधे बस मिलना तो बहुत मुश्किल है इसलिए आप हरिद्वार से उत्तरकाशी तक बस द्वारा जा सकते हैं। हरिद्वार से उत्तरकाशी तक की दूरी 194 किलोमीटर है। हरिद्वार से उत्तरकाशी के लिए ज्यादातर प्राइवेट बसे ही मिलती हैं जो हरिद्वार रेलवे स्टेशन के बाहर से आपको मिल जाएँगी। इन बसों का किराया 390/- रुपये प्रति व्यक्ति होता है।

यदि आपको हरिद्वार से बस नहीं मिलती है तो आप हरिद्वार से शेयरिंग टैक्सी द्वारा उत्तरकाशी तक पहुंच सकते हैं। शेयरिंग टैक्सी आपको हरिद्वार और ऋषिकेश दोनों जगहों से मिल जाएँगी जिनका उत्तरकाशी तक का किराया 450/- रुपये प्रति व्यक्ति होता है। यदि आप देहरादून से आ रहे हैं तो वहां से भी आपको उत्तरकाशी के लिए शेयरिंग जीप मिल जाएगी। जिसका किराया 400/- रुपये प्रति व्यक्ति होता है।

उत्तरकाशी पहुंचने के बाद आपको यहाँ से गंगोत्री के लिए प्राइवेट बसे मिल जाएँगी, जिनका किराया 200/- रुपये प्रति व्यक्ति होता है। उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए बसे कुछ नियमित समय पर ही चलती हैं जो आपको सुबह 5:30 बजे से दोपहर 2:30 बजे (5:30, 7:00, 12:30, 1:30, 2:00, 2:30 बसों का समय) तक मिलेंगी। इसके बाद उत्तरकाशी से गंगोत्री की लिए कोई भी गाड़ी आपको नहीं मिलेगी।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

गंगोत्री में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है। गंगोत्री के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन हरिद्वार और देहरादून रेलवे स्टेशन हैं। हरिद्वार और देहरादून ट्रेन द्वारा पहुंच कर उसके बाद आगे की गंगोत्री तक की दूरी आपको सड़कमार्ग द्वारा बस या टैक्सी द्वारा पूरी करनी होगी। जिसे आप आसानी से पूरा कर सकते हैं। हरिद्वार और देहरादून रेलवे स्टेशन देश के अधिकतर बड़े रेलवे स्टेशन से जुड़े हुये हैं। तो आप आसानी से ट्रेन द्वारा इन जगहों पर आ सकते हैं।

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

गंगोत्री में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। गंगोत्री के सबसे नजदीक एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो देहरादून में स्थित है। देहरादून से गंगोत्री की दूरी 237 किलोमीटर है। जिसे आप प्राइवेट टैक्सी द्वारा आराम से पूरा कर सकते हैं। फ्लाइट से यहाँ आना थोड़ा महँगा रहता है लेकिन काफी आरामदायक भी होता है।

गंगोत्री धाम के लिए बजट

अब बात करते हैं गंगोत्री जाने के लिए कितना बजट होना चाहिए तो इस गंगोत्री की ट्रिप में लगभग 6500-7000 रुपये तक प्रति व्यक्ति खर्चा हो सकता है (हरिद्वार से हरिद्वार तक)। यदि आप प्राइवेट बस से आते हैं तो हरिद्वार से उत्तरकाशी तक का किराया 390/- रुपये है और उत्तरकाशी से गंगोत्री तक किराया 200 रूपए है।

इस हिसाब से 590 रुपये प्रति व्यक्ति का किराया एक तरफ का होगा और दोनों तरफ का किराया 1200 रूपए प्रति व्यक्ति होगा।। यहाँ आपको २ रात लगेंगी जिसका कराया 2500 रूपए हो सकता है। इस ट्रिप में अगर खाने की बात करे तो 2000 रुपये प्रति व्यक्ति खाने का खर्चा होगा। तो कुल मिलकर लगभग 6500-7000 रुपये इस ट्रिप के लिए आपको चाहिए।


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